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शाहजहां के इस महल को छोड़ कर चली गयी थीं मुमताज और उनकी बेगमें, पढ़ें खौफ की अनसुनी कहानी - BADSHAHI BAGH MAHAL SAHARANPUR

सहारनपुर आज भी अपने भीतर अतीत के इतिहास को संजोए हुए है. यहां विभिन्न शासकों का राज रहा है. इनमें शाहजहां की दास्तां अनोखी है.

बादशाही महल सहारनपुर.
बादशाही महल सहारनपुर. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 7, 2025, 3:49 PM IST

सहारनपुर : सहारनपुर में शाहजहां का शिकार गाह अब खंडहर हो चुका है. विधानसभा क्षेत्र बेहट में स्थित बादशाही बाग में शाहजहां के सैन्य शासक अली मरदान खां ने यह शिकार गाह बनवाया था. यहां पर शाहजहां शिकार किया करते थे. साथ ही उनकी बेगम मुमताज और अन्य बेगमें भी वहां पर रुका करती थीं. शाहजहां का शिकार गाह अब खंडार में तब्दील हो चुका है. इतिहास के पन्नों में इस महल का जिक्र है.

शाहजहां की शिकार गाह शिवालिक तलहटी और यमुना के किनारे है. शाहजहां की इच्छा पर उनके सेनापति अली मरदान खां ने यह महल बनवाया था. इसका इस्तेमाल बाद में शिकार गाह के रूप में किया गया. इस क्षेत्र में आयोडीन की कमी से महिलाओं के गले फूल जाया करते थे. इस भय से शाहजहां की बेगमें यहां से चली गई थीं. शाहजहां के सहारनपुर में आने के बाद सबसे पहले बाबा लालदास से मिले थे. वहीं शाहजहां का सेनापति अली मरदान खां अफगानिस्तान में शाह अब्बास प्रथम का भी सेनापति रहा था. अली मरदान खां को शाहजहां ने सैनिक सर्वोच्च सम्मान उनको दिया था.

जानकारी देते साहित्यकार डॉ. वीरेंद्र आजम. (Video Credit: ETV Bharat)



साहित्यकार डॉ. वीरेंद्र आजम ने बताया कि बेहट तहसील से लगभग 16 किलोमीटर दूर बेहट विकासनगर मार्क पर बादशाही बाग स्थित है. युमना के पूर्वी किनारे पर महल है. इसको शाहजहां की शिकारगाह कहा जाता है. सैन्य शासक अली मरदान खां ने शाहजहां की ख्वाहिश पर यह शिकार गाह को बनवाया था. शाहजहां जब सहारनपुर में बाबा लाल दास से मिलने आए थे, तब उन्होंने अपना पहला पड़ाव डाला था. यहीं पर उनकी सेना रुकी थी. यह वही स्थान है जिसको बादशाही बाग कहा जाता है. पहले सहारनपुर भी एक छोटा कस्बा था. चारों तरफ जंगल ही जंगल था. जहां पर शाहजहां रुके थे, वहां पर शिवालिक पहाड़ियों के बीच यमुना बहती है. यही मनोरम दृश्य शाहजहां को भा गया था.

सहारनपुर बादशाही बाग महल.
सहारनपुर बादशाही बाग महल. (Photo Credit : ETV Bharat)

साहित्यकार डॉ. वीरेंद्र आजम के मुताबिक शाहजहां ने इसे शिकार के लिए अच्छी जगह माना था. इसके बाद सेनापति अली मरदान खां ने शाहजहां की इच्छा को देखते हुए यहां पर महल बनवाया. साथ ही बेगमों के लिए भी महल भी बनवाया गया. यहां पर बेगमें रहती थीं, लेकिन इस क्षेत्र में आयोडीन की कमी के कारण महिलाओं के गले फूल जाया करते थे. इसके डर से बेगम मुमताज और अन्य बेगमों ने ठिकाना छोड़ दिया. फिर इस महल का शिकार गाह के रूप में इस्तेमाल होने लगा. अली मरदान खां अफगानिस्तान में शाह अब्बास प्रथम का भी सेनापति रहा. अली मरदान खां को शाहजहां ने सैनिक सर्वोच्च सम्मान भी दिया था.

यह भी पढ़ें : एक जमाना था जब बेटी पैदा होने पर बांटे जाते थे सोने के सिक्के, 10 ग्राम की होती थी मोहर - Gold Coin for Girl Born - GOLD COIN FOR GIRL BORN

यह भी पढ़ें : ताजमहल में शाहजहां के उर्स का मामला: उर्स कमेटी ने कोर्ट में दाखिल किया जवाब, अगली सुनवाई 22 मई को - Shahjahan Urs issue in Taj Mahal - SHAHJAHAN URS ISSUE IN TAJ MAHAL

सहारनपुर : सहारनपुर में शाहजहां का शिकार गाह अब खंडहर हो चुका है. विधानसभा क्षेत्र बेहट में स्थित बादशाही बाग में शाहजहां के सैन्य शासक अली मरदान खां ने यह शिकार गाह बनवाया था. यहां पर शाहजहां शिकार किया करते थे. साथ ही उनकी बेगम मुमताज और अन्य बेगमें भी वहां पर रुका करती थीं. शाहजहां का शिकार गाह अब खंडार में तब्दील हो चुका है. इतिहास के पन्नों में इस महल का जिक्र है.

शाहजहां की शिकार गाह शिवालिक तलहटी और यमुना के किनारे है. शाहजहां की इच्छा पर उनके सेनापति अली मरदान खां ने यह महल बनवाया था. इसका इस्तेमाल बाद में शिकार गाह के रूप में किया गया. इस क्षेत्र में आयोडीन की कमी से महिलाओं के गले फूल जाया करते थे. इस भय से शाहजहां की बेगमें यहां से चली गई थीं. शाहजहां के सहारनपुर में आने के बाद सबसे पहले बाबा लालदास से मिले थे. वहीं शाहजहां का सेनापति अली मरदान खां अफगानिस्तान में शाह अब्बास प्रथम का भी सेनापति रहा था. अली मरदान खां को शाहजहां ने सैनिक सर्वोच्च सम्मान उनको दिया था.

जानकारी देते साहित्यकार डॉ. वीरेंद्र आजम. (Video Credit: ETV Bharat)



साहित्यकार डॉ. वीरेंद्र आजम ने बताया कि बेहट तहसील से लगभग 16 किलोमीटर दूर बेहट विकासनगर मार्क पर बादशाही बाग स्थित है. युमना के पूर्वी किनारे पर महल है. इसको शाहजहां की शिकारगाह कहा जाता है. सैन्य शासक अली मरदान खां ने शाहजहां की ख्वाहिश पर यह शिकार गाह को बनवाया था. शाहजहां जब सहारनपुर में बाबा लाल दास से मिलने आए थे, तब उन्होंने अपना पहला पड़ाव डाला था. यहीं पर उनकी सेना रुकी थी. यह वही स्थान है जिसको बादशाही बाग कहा जाता है. पहले सहारनपुर भी एक छोटा कस्बा था. चारों तरफ जंगल ही जंगल था. जहां पर शाहजहां रुके थे, वहां पर शिवालिक पहाड़ियों के बीच यमुना बहती है. यही मनोरम दृश्य शाहजहां को भा गया था.

सहारनपुर बादशाही बाग महल.
सहारनपुर बादशाही बाग महल. (Photo Credit : ETV Bharat)

साहित्यकार डॉ. वीरेंद्र आजम के मुताबिक शाहजहां ने इसे शिकार के लिए अच्छी जगह माना था. इसके बाद सेनापति अली मरदान खां ने शाहजहां की इच्छा को देखते हुए यहां पर महल बनवाया. साथ ही बेगमों के लिए भी महल भी बनवाया गया. यहां पर बेगमें रहती थीं, लेकिन इस क्षेत्र में आयोडीन की कमी के कारण महिलाओं के गले फूल जाया करते थे. इसके डर से बेगम मुमताज और अन्य बेगमों ने ठिकाना छोड़ दिया. फिर इस महल का शिकार गाह के रूप में इस्तेमाल होने लगा. अली मरदान खां अफगानिस्तान में शाह अब्बास प्रथम का भी सेनापति रहा. अली मरदान खां को शाहजहां ने सैनिक सर्वोच्च सम्मान भी दिया था.

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