बदायूं: टिकट कटने के बाद भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य ने मंगलवार को बीजेपी कार्यालय में हुई एक मीटिंग में भाग लिया. इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सवालों के जबाब भी दिये. उन्होंने कहा मैं बहुत स्पष्ट वादी हूं, जैसा पार्टी का आदेश होगा, वही करूंगी.
बदायूं से जाने के सवाल पर संघमित्रा ने कहा कि 'वह बदायूं में हर वक्त उपलब्ध हैं. टिकट न मिलने का मतलब यह नहीं है कि आप उन जगहों को छोड़ दें. बदायूं हमारा परिवार था और रहेगा. एक बेटी की हैसियत से बदायूं के लोगों की हमने सेवा की है और आजीवन करती रहूंगी'. शिवपाल सिंह द्वारा सपा में संघमित्रा के सवाल पर कहा कि 'आज के दौर में हमारे जैसा स्पष्ट नेता नहीं हो सकता और ना ही दिखा होगा. संघमित्रा मौर्य खुलकर जो कहती हैं, वह करती हैं. शिवपाल सिंह किस मूड में इस बात को कह रहे हैं, हमें इस बात का पता नहीं है. यहां पर हमारा भाई दुर्विजय सिंह चुनाव लड़ रहा है, तो हम निश्चित तौर पर अपने भाई के साथ हैं. पहले दिन से और आखिरी दिन तक है और रहेंगे'.
वहीं, पिता स्वामी प्रसाद द्वारा दूसरी पार्टी के प्रचार प्रसार के सवाल पर संघमित्रा मौर्य ने कहा वह दूसरी पार्टी में है मैं दूसरी पार्टी में हूं. मैं अपनी पार्टी के साथ हूं. मेरी पार्टी से मेरे बड़े भाई दुर्विजय सिंह को टिकट मिला है, मैं उनके साथ हूं. मैनपुरी से चुनाव लड़ने के सवाल पर संघमित्रा मौर्य ने कहा कि पार्टी का जो निर्णय होगा, वह मान्य होगा. जिस तरीके से बदायूं के निर्णय को माना है, वैसे आगे भी जो निर्णय पार्टी करेगी, वह मानेंगी.
मंच से रोने के बाद पिता के बयान पर कहा कि बदायूं हमारा परिवार है. कोरोना काल मे जब घरों से लोग निकल नहीं रहे थे तो बदायूं की सांसद बेटी और बहन ने लोगों की मदद की. इस सेवा को देखते हुए कोई ऐसा पल आता है, उसको इतना ज्यादा हाइलाइट नहीं करना चाहिए. महिलाएं तो वैसे भी भावुक होती हैं. महिलाओं में कभी भी ऐसी भावनात्मक चीज आ जाती हैं, यह स्वाभाविक बात है.
पिता के बचाव में संघमित्रा मौर्य ने कहा कि उस समय पिताजी का जो बयान था, क्या सोचकर उस समय अपना बयान दिया मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती हूं. राजनीति अपनी जगह है और परिवार अपनी जगह है. मैं दोनों को लेकर चलती हूं और जब तक जीवित हूं तब तक लेकर चलूंगी. रिश्तों को कोई कभी खत्म नहीं कर सकता.