लखनऊ: यूपी की राजधानी लखनऊ में चार प्रमुख जिला अस्पताल हैं. इसमें सिविल, बलरामपुर, लोकबंधु और बीआरडी अस्पताल शामिल हैं. इन जिला अस्पतालों में प्रदेश के दूसरे जिलों से हजारों की संख्या में मरीज इलाज करने के लिए पहुंचते हैं. इन अस्पतालों में बहुत सारी व्यवस्थाएं धराशाई हो गई हैं.
ऐसे में इलाज करने के लिए पहुंच रहे हैं. मरीज हताश होकर वापस लौट रहे हैं. बात अगर सीटी स्कैन की करें तो बलरामपुर अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन बंद पड़ी है जबकि सिविल अस्पताल में काफी लंबी वेटिंग दी जा रही है.
बलरामपुर अस्पताल में इलाज करने के लिए पहुंचे निशातगंज के रहने वाले पीयूष कुमार ने बताया कि पिछले तीन महीने से उनके कमर में अत्यधिक दर्द हो रहा है. बिना जांच विशेषज्ञ इस पर कोई कंफर्म दिक्कत नहीं बता पा रहे हैं. विशेषज्ञ ने बताया कि सीटी स्कैन की जांच या एमआरआई जांच कर लें.
उन्होंने कहा कि एमआई की जांच किसी भी जिला अस्पताल में नहीं हो रही है. बाहर यह जांच बहुत महंगी है. वही सीटी स्कैन करने के लिए पहुंचे तो वहां पर डॉक्टरों ने मशीन खराब होने की बात बताई. ऐसे में बिना जांच कराए ही वापस लौटना पड़ रहा है.
इन दोनों ही जांच की कीमत निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में काफी अधिक है. वही एक और मरीज जानकी देवी अपने इलाज के लिए बलरामपुर अस्पताल पहुंची जहां पर विशेषज्ञों ने उन्हें मशीन खराब होने की सूचना दी.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इससे पहले वह सिविल अस्पताल में भी सीटी स्कैन की जांच करने के लिए पहुंची थी. लेकिन, वहां पर 20 दिन बाद की तारीख दी गई है. इसके बाद ही वह बलरामपुर अस्पताल में जांच के लिए आई थी. ताकि, जल्दी जांच हो सके और इलाज शुरू हो सकें.
लेकिन, यहां पर मशीन खराब होने के चलते जांच नहीं हो सकें. उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि लखनऊ के जिले अस्पताल का यह हाल है. तो जरा सोचिए प्रदेश के दूसरे जिलों में मौजूद अस्पतालों का क्या हाल होगा. वहां के लोगों को कैसा इलाज मिलता होगा.
बलरामपुर अस्पताल की बीते एक सप्ताह से सीटी स्कैन मशीन खराब है. इससे कई मरीजों को बिना जांच के ही लौटना पड़ा. अस्पताल प्रशासन ने मशीन खराब होने की सूचना सम्बंधित एजेंसी को दी. लेकिन अब तक भी मशीन को दुरुस्त नहीं किया जा सका.
दरअसल, बलरामपुर अस्पताल में रोजाना चार हजार के करीब ओपीडी होती है. जिसमें से रोजाना 100 के करीब सीटी स्कैन लिखे जाते हैं. जिसमें चेस्ट रोग विभाग से अधिक मरीजों को सीटी स्कैन की आवश्यकता होती है.
बता दें कि अस्पताल में एक मात्र मशीन होने के कारण मरीजों को जांच कराने के लिए दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं. कर्मचारियों ने बताया कि साइरस कंपनी को मशीन में दिक्कत होने की जानकारी दे दी गई है. वहीं, कई बार फोन करने रिमाइंडर भी दिया गया.
बावजूद इसके कंपनी से कोई इंजीनियर अब तक मशीन बनाने नहीं पहुंचे हैं. बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. पवन कुमार अरुण ने कहा कि साइरस कंपनी को जानकारी दे दी गई है, मशीन के किसी पार्ट के खराब होने की बात सामने आई है, जल्द से जल्द उसे ठीक कराने के प्रयास किये जा रहे हैं.
सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सीटी स्कैन करने के लिए काफी संख्या में मरीज आ रहे हैं. सीटी स्कैन हर मरीज को नहीं लिखी जाती है डॉक्टर के द्वारा दिए सुझावों के अनुसार ही मरीज की सीटी स्कैन जांच होती है पहले जहां 30 से 40 मरीजों की सीटी स्कैन की जांच होती थी.
वहां, अब इनकी संख्या 90 मरीज पार हो चुकी है. सीटी स्कैन करने के लिए इस समय काफी संख्या में मरीज आ रहे हैं क्योंकि हमारे पास विशेषज्ञ की कमी है. इसलिए उन्हें 15 दिन या 20 दिन बाद की तारीख दी जा रही है.
वही लोकबंधु अस्पताल के एमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि पिछले एक साल से सिटी स्कैन की मशीन लगी हुई है रोज 50 से अधिक मरीजों की सिटी स्कैन की जांच हो रही है. उन्होंने कहा कि क्योंकि हमारा अस्पताल कानपुर रोड पर स्थित है. इसलिए, आसपास के जितने भी क्षेत्र हैं वहां से काफी संख्या में मरीज इलाज करने के लिए आते हैं. उन्होंने कहा की सीटी स्कैन की जांच इस समय विशेषज्ञ लिखते हैं जब उन्हें वाकई में इस जांच की आवश्यकता होती है.