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रेल लाइन के लिए उजड़ी कई बस्तियां, विस्थापन का दंश झेल रहे सैकड़ों परिवार - Dhamtari Railway Line

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 23, 2024, 2:00 PM IST

Bad condition of displaced families धमतरी में बड़ी रेल लाइन के लिए कई परिवारों को विस्थापित किया गया था.लेकिन इन परिवारों के लिए आज भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है.इन परिवारों को काम चलाऊ जगह पर बसाया गया है.जहां दिन काटना किसी चुनौती से कम नहीं. Neither house nor accommodation facility

Neither house nor accommodation
विस्थापन का दंश झेल रहे सैकड़ों परिवार (ETV Bharat Chhattisgarh)

धमतरी : धमतरी में बड़ी रेल लाइन बनाने के काम जब शुरु हुआ तो रेलवे के जमीन में सालों से रह रहे लोगों को हटाया गया था.इस दौरान लोगों से ये कहा गया था कि सभी का पुनर्वास किया जाएगा.लेकिन ऐसा नहीं हुआ.आज सैकड़ों परिवार के पास सिर छिपाने की जगह नहीं हैं. परिवारों का पुनर्वास करना शासन प्रशासन की जिम्मेदारी है. लेकिन सरकारी विभागों के आपसी समन्वय की कमी और जन प्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण ऐसे परिवार नरकीय जीवन जीने को मजबूर है. यहां की स्थिति देखकर हर कोई सोच रहा है कि आखिर किसकी वजह से यह परिवार इन परिस्थितियों में जीवनयापन करने को मजबूर हैं.

2018 से लटका का काम : धमतरी जिले में रेलवे की खाली पड़ी जमीन पर सैकड़ों परिवार दशकों से अवैध कब्जा कर रह रहे थे. 2018 में जब से धमतरी से रायपुर बड़ी रेल लाइन का काम शुरु हुआ है. तब से एक-एक कर ऐसे अतिक्रमण तोड़े जा रहे हैं. ऐसे लोगों के पुनर्वास के लिए 2018 से ही आवास बनाने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया था. लेकिन बीच में कोविड आ गया और मामला लटक गया. जो आज तक लटका हुआ है.

Condition of families is bad
अधूरे अटल आवास में रह रहे विस्थापित परिवार (ETV Bharat Chhattisgarh)

अधूरे आवासों में विस्थापन : इधर रेलवे बीच-बीच में अतिक्रमण तोड़ता रहता है. कुछ परिवारों ने अपनी व्यवस्था कर ली है. लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में लोगों के पास आशियाना नही है. इन्हें शहर के महिमासागर वार्ड में अधूरे बने अटल आवास में शरण दी गई है. जहां सभी मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं. अधूरे बने अटल आवास में हाल ही में नल कनेक्शन दिया गया है. लेकिन शौचालय और पानी की समस्या अब भी अटल आवास में बनी हुई है.

विस्थापन का दंश झेल रहे सैकड़ों परिवार (ETV Bharat Chhattisgarh)

''रात को 7 बजे के बाद सार्वजनिक शौचालय बंद हो जाता है.पानी का दिक्कत है,हम लोगों को 15 दिन हो गया यहां पर आए.लेकिन कोई भी यहां देखने के लिए नहीं आया. ना विधायक ना ही महापौर आया.सब अपने घर में रहते हैं.हमको कौन देखेगा.'' - बिसन साहू, प्रभावित परिवार

बिजली नहीं होने से मंडरा रहा खतरा : अधूरे पड़े अटल आवासों में बिजली का कनेक्शन नहीं है.जिसके कारण बारिश के मौसम में कीड़े मकोड़े काटने का डर बना रहता है.परिवारों का आरोप है कि विस्थापन से पहले ही प्रशासन को परिवारों को बसाने का प्लान तैयार करना था.लेकिन बसाने से ज्यादा उजाड़ने में ताकत झोंकी गई.

'इस जगह पर पानी और बिजली की ज्यादा समस्या है.शिकायत के बाद भी कोई नहीं देखने वाला है.कई बार आवेदन कर चुके हैं.''- सोहद्रा साहू, प्रभावित परिवार

अटल आवास में सुविधाओं का टोटा : ऊपर की मंजिलों में रहने वालों के लिए पानी ऊपर चढ़ाना एक चुनौती है. अभी यहां 78 परिवार बसे हुए हैं. इनके लिए न बिजली है, न नाली है और सबसे अहम शौचालय तक नही है. यहां की महिलाओं ने बताया कि इस समस्या को लेकर वो बार बार नगर निगम, कलेक्टोरेट, महापौर, विधायक सभी से गुहार लगा चुके है लेकिन हालात नहीं बदले.

'''मानवीय दृष्टिकोण से हम लोग उसमें हस्ताक्षेप नहीं कर रहे हैं.क्योंकि उनका भी आवास हटाया गया है रेलवे द्वारा.जब तक वो उसमें रह सकते हैं हम लोग भी इन डायरेक्टली उनकी मदद कर सकते हैं.सभी विस्थापित परिवारों को बसाने के लिए आवास बनाने का प्रस्ताव काफी पहले ही शासन को भेजा जा चुका है. लेकिन मंजूरी मिलने के बाद ही काम शुरू हो पाएगा.''- विनय पोयाम, आयुक्त नगर निगम धमतरी

अब यहां सवाल शासन प्रशासन के वादे को पूरा करने का है. रेलवे ने अपने काम के लिए जमीन वापस ले ली.लेकिन उन परिवारों के लिए व्यवस्था नहीं की गई जिन्हें जमीन से हटाया गया था.आज परिवार अपने घरेलू सामानों के साथ ऐसी जगह पर रह रहे हैं जहां पर बुनियादी सुविधाओं के नाम पर एक नल कनेक्शन है.वो भी ग्राउंड फ्लोर में रहने वालों के लिए ही सुविधाजनक है.इससे ऊपर जितने मंजिल में परिवार रह रहे हैं उन्हें पानी के लिए भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.वहीं प्रशासन का दावा है कि प्रस्ताव पास होने के बाद परिवारों के लिए मकान बनाकर हैंडओव्हर कर दिए जाएंगे.


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धमतरी : धमतरी में बड़ी रेल लाइन बनाने के काम जब शुरु हुआ तो रेलवे के जमीन में सालों से रह रहे लोगों को हटाया गया था.इस दौरान लोगों से ये कहा गया था कि सभी का पुनर्वास किया जाएगा.लेकिन ऐसा नहीं हुआ.आज सैकड़ों परिवार के पास सिर छिपाने की जगह नहीं हैं. परिवारों का पुनर्वास करना शासन प्रशासन की जिम्मेदारी है. लेकिन सरकारी विभागों के आपसी समन्वय की कमी और जन प्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण ऐसे परिवार नरकीय जीवन जीने को मजबूर है. यहां की स्थिति देखकर हर कोई सोच रहा है कि आखिर किसकी वजह से यह परिवार इन परिस्थितियों में जीवनयापन करने को मजबूर हैं.

2018 से लटका का काम : धमतरी जिले में रेलवे की खाली पड़ी जमीन पर सैकड़ों परिवार दशकों से अवैध कब्जा कर रह रहे थे. 2018 में जब से धमतरी से रायपुर बड़ी रेल लाइन का काम शुरु हुआ है. तब से एक-एक कर ऐसे अतिक्रमण तोड़े जा रहे हैं. ऐसे लोगों के पुनर्वास के लिए 2018 से ही आवास बनाने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया था. लेकिन बीच में कोविड आ गया और मामला लटक गया. जो आज तक लटका हुआ है.

Condition of families is bad
अधूरे अटल आवास में रह रहे विस्थापित परिवार (ETV Bharat Chhattisgarh)

अधूरे आवासों में विस्थापन : इधर रेलवे बीच-बीच में अतिक्रमण तोड़ता रहता है. कुछ परिवारों ने अपनी व्यवस्था कर ली है. लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में लोगों के पास आशियाना नही है. इन्हें शहर के महिमासागर वार्ड में अधूरे बने अटल आवास में शरण दी गई है. जहां सभी मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं. अधूरे बने अटल आवास में हाल ही में नल कनेक्शन दिया गया है. लेकिन शौचालय और पानी की समस्या अब भी अटल आवास में बनी हुई है.

विस्थापन का दंश झेल रहे सैकड़ों परिवार (ETV Bharat Chhattisgarh)

''रात को 7 बजे के बाद सार्वजनिक शौचालय बंद हो जाता है.पानी का दिक्कत है,हम लोगों को 15 दिन हो गया यहां पर आए.लेकिन कोई भी यहां देखने के लिए नहीं आया. ना विधायक ना ही महापौर आया.सब अपने घर में रहते हैं.हमको कौन देखेगा.'' - बिसन साहू, प्रभावित परिवार

बिजली नहीं होने से मंडरा रहा खतरा : अधूरे पड़े अटल आवासों में बिजली का कनेक्शन नहीं है.जिसके कारण बारिश के मौसम में कीड़े मकोड़े काटने का डर बना रहता है.परिवारों का आरोप है कि विस्थापन से पहले ही प्रशासन को परिवारों को बसाने का प्लान तैयार करना था.लेकिन बसाने से ज्यादा उजाड़ने में ताकत झोंकी गई.

'इस जगह पर पानी और बिजली की ज्यादा समस्या है.शिकायत के बाद भी कोई नहीं देखने वाला है.कई बार आवेदन कर चुके हैं.''- सोहद्रा साहू, प्रभावित परिवार

अटल आवास में सुविधाओं का टोटा : ऊपर की मंजिलों में रहने वालों के लिए पानी ऊपर चढ़ाना एक चुनौती है. अभी यहां 78 परिवार बसे हुए हैं. इनके लिए न बिजली है, न नाली है और सबसे अहम शौचालय तक नही है. यहां की महिलाओं ने बताया कि इस समस्या को लेकर वो बार बार नगर निगम, कलेक्टोरेट, महापौर, विधायक सभी से गुहार लगा चुके है लेकिन हालात नहीं बदले.

'''मानवीय दृष्टिकोण से हम लोग उसमें हस्ताक्षेप नहीं कर रहे हैं.क्योंकि उनका भी आवास हटाया गया है रेलवे द्वारा.जब तक वो उसमें रह सकते हैं हम लोग भी इन डायरेक्टली उनकी मदद कर सकते हैं.सभी विस्थापित परिवारों को बसाने के लिए आवास बनाने का प्रस्ताव काफी पहले ही शासन को भेजा जा चुका है. लेकिन मंजूरी मिलने के बाद ही काम शुरू हो पाएगा.''- विनय पोयाम, आयुक्त नगर निगम धमतरी

अब यहां सवाल शासन प्रशासन के वादे को पूरा करने का है. रेलवे ने अपने काम के लिए जमीन वापस ले ली.लेकिन उन परिवारों के लिए व्यवस्था नहीं की गई जिन्हें जमीन से हटाया गया था.आज परिवार अपने घरेलू सामानों के साथ ऐसी जगह पर रह रहे हैं जहां पर बुनियादी सुविधाओं के नाम पर एक नल कनेक्शन है.वो भी ग्राउंड फ्लोर में रहने वालों के लिए ही सुविधाजनक है.इससे ऊपर जितने मंजिल में परिवार रह रहे हैं उन्हें पानी के लिए भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.वहीं प्रशासन का दावा है कि प्रस्ताव पास होने के बाद परिवारों के लिए मकान बनाकर हैंडओव्हर कर दिए जाएंगे.


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