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आस्था, उमंग और श्रद्धा का प्रतीक बाबा श्याम का सतरंगी फाल्गुनी लक्खी मेला आज

राजस्थान में बाबा श्याम की नगरी खाटू में चल रहे मेले में चारों ओर आस्था और श्रद्धा का सैलाब उमड़ा हुआ है. लखदातार की महज एक झलक पाने के लिए बेताब भक्तों का रींगस से खाटू तक रेला लगा हुआ है. श्रद्धा और भक्ति इतनी कि लंबी कतार में पैदल चलने के बाद भी सब शांत और धैर्य बनाए रखते हैं. मंदिर में जाने के बाद खाटू श्याम की झलक देखते ही भक्तों के पैरों के छाले और थकान चंद मिनट में दूर हो जाती है.

Baba Shyam's colorful Phalguni Lakhi fair will held today
बाबा श्याम का सतरंगी फाल्गुनी लक्खी मेला आज
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 20, 2024, 2:13 PM IST

सीकर. धार्मिक नगरी खाटू श्याम जी में बुधवार को एकादशी के दिन लक्खी मेला भरेगा. इस कारण यहां दर्शनार्थियों का आगमन तेजी से बढ़ता जा रहा है. एकादशी के कारण बुधवार को देश-विदेश से आए लाखों भक्तों ने बाबा के दरबार में शीश नवाया. भक्त अपने कुलदेव, आराध्यदेव कलयुग अवतारी, शीश के दानी बाबा श्याम के दर्शनों के लिए भारत के अलग-अलग प्रांतों से अलग-अलग पहनावे के साथ आने लगे हैं‌. फाल्गुन माह की एकादशी पर मेले में भीड़ इतनी होती है कि इस दौरान गांव व धर्मशालाओं में ठहरे बुजुर्ग, बीमार, बच्चे और महिलाएं मंदिर नहीं जा पाते.

वर्षों पुरानी है नगर भ्रमण परम्परा: खाटूश्याम में बाबा श्याम के दर्शन की वर्षों पुरानी परम्परा है. फाल्गुन शुक्ला एकादशी को नीले घोड़े वाले श्याम सरकार नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. घोड़े के रथ पर सवार होकर बाबा श्याम की सवारी मंदिर परिसर से रवाना होती है, यह सवारी मुख्य बाजार, लामियां रोड, मुख्य मार्ग से होते हुए कबूतरियां चौक पर पहुंचती है. यहां से बाबा श्याम वापस मुख्य मंदिर पर जाकर विरोजते हैं.

पढ़ें: खाटूश्याम मेले में तीसरे दिन उमड़ी भीड़, फूलों से हुआ श्याम बाबा का श्रृंगार

लगता है छप्पन भोग: एकादशी के दिन बाबा श्याम के विशेष श्रृंगार के साथ छप्पन भोग लगता है. छप्पन भोग तैयार करने के लिए कारीगर राजस्थान से बाहर से बुलाए जाते हैं. कारीगर बाबा के छप्पन भोग के लिए पिछले तीन दिन से तैयारी में जुटे हैं.

सीकर. धार्मिक नगरी खाटू श्याम जी में बुधवार को एकादशी के दिन लक्खी मेला भरेगा. इस कारण यहां दर्शनार्थियों का आगमन तेजी से बढ़ता जा रहा है. एकादशी के कारण बुधवार को देश-विदेश से आए लाखों भक्तों ने बाबा के दरबार में शीश नवाया. भक्त अपने कुलदेव, आराध्यदेव कलयुग अवतारी, शीश के दानी बाबा श्याम के दर्शनों के लिए भारत के अलग-अलग प्रांतों से अलग-अलग पहनावे के साथ आने लगे हैं‌. फाल्गुन माह की एकादशी पर मेले में भीड़ इतनी होती है कि इस दौरान गांव व धर्मशालाओं में ठहरे बुजुर्ग, बीमार, बच्चे और महिलाएं मंदिर नहीं जा पाते.

वर्षों पुरानी है नगर भ्रमण परम्परा: खाटूश्याम में बाबा श्याम के दर्शन की वर्षों पुरानी परम्परा है. फाल्गुन शुक्ला एकादशी को नीले घोड़े वाले श्याम सरकार नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. घोड़े के रथ पर सवार होकर बाबा श्याम की सवारी मंदिर परिसर से रवाना होती है, यह सवारी मुख्य बाजार, लामियां रोड, मुख्य मार्ग से होते हुए कबूतरियां चौक पर पहुंचती है. यहां से बाबा श्याम वापस मुख्य मंदिर पर जाकर विरोजते हैं.

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लगता है छप्पन भोग: एकादशी के दिन बाबा श्याम के विशेष श्रृंगार के साथ छप्पन भोग लगता है. छप्पन भोग तैयार करने के लिए कारीगर राजस्थान से बाहर से बुलाए जाते हैं. कारीगर बाबा के छप्पन भोग के लिए पिछले तीन दिन से तैयारी में जुटे हैं.

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