रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंची. शनिवार 23 नवंबर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी. रविवार से भगवान मदमहेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी.
मदमहेश्वर भगवान की उत्सव डोली का भव्य स्वागत: शुक्रवार ब्रह्म बेला में मदमहेश्वर धाम के प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग ने राकेश्वरी मन्दिर रांसी में पंचाग पूजन के तहत भगवान मदमहेश्वर व मां राकेश्वरी सहित 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान कर आरती उतारी. निर्धारित समय पर भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी से गिरिया गांव के लिए रवाना हुई. भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के उनियाणा, राऊलैंक, बिरोली, मनसूना, गिरिया गांव सहित विभिन्न यात्रा पड़ाव आगमन पर ग्रामीणों ने पुष्प अक्षत्रों से भव्य स्वागत किया. लाल-पीले वस्त्र अर्पित कर व विभिन्न पूजा सामग्रियों से अर्घ्य अर्पित कर क्षेत्र की समृद्धि की कामना की.
भगवान से विश्व शांति समृद्धि की प्रार्थना: भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के मनसूना आगमन पर व्यापारियों, जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया तथा लाल-पीले वस्त्र अर्पित कर मनौती मांगी. शनिवार को ब्रह्म बेला पर सैकड़ों श्रद्धालु गिरीया गांव में भगवान मदमहेश्वर के निर्वाण दर्शन कर विश्व समृद्धि की कामना करेंगे. मंगोलचारी से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर तक हजारों श्रद्धालु भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली की अगुवाई करेंगे.
8 क्विंटल फूलों से हुई ओंकारेश्वर मंदिर की सजावट: वहीं दूसरी ओर भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर मन्दिर समिति की ओर से ओंकारेश्वर मन्दिर को भव्य रूप से सजाया गया है. मन्दिर समिति अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ आगमन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. ओंकारेश्वर मन्दिर को आठ कुन्तल फूलों से सजाया गया है. इस मौके पर प्रधान बीर सिंह पंवार, महावीर पंवार, कमलेन्द्र सिंह नेगी, राकेश नेगी, मदन भट्ट, दिवारा यात्रा प्रभारी रमेश नेगी, डोली प्रभारी दीपक पंवार, देवानन्द गैरोला, शिव सिंह रावत, जगत सिंह पंवार, रवीन्द्र भटट्, मदन सिंह पंवार सहित गौण्डार, रांसी व उनियाणा के हक-हकूकधारी, जनप्रतिनिधि, मन्दिर समिति के अधिकारी, कर्मचारी व ग्रामीण मौजूद थे.
राइंका ऊखीमठ में मदमहेश्वर मेला शुरू: भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ आगमन पर राइंका ऊखीमठ के खेल मैदान में त्रिदिवसीय मदमहेश्वर मेले का आगाज रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुआ. त्रिदिवसीय मदमहेश्वर मेले के शुभारंभ अवसर पर विभिन्न विद्यालयों व महिला मंगल दलों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही. मेले में वॉलीबॉल व बैडमिंटन प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जा रहा है.
मेले को बताया सौहार्द का प्रतीक: मदमहेश्वर मेले में बतौर देव अतिथि शिरकत करते हुए रावल भीमाशंकर लिंग ने कहा कि मदमहेश्वर मेले के आयोजन की परम्परा युगों पूर्व की है. मदमहेश्वर मेला धार्मिक, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक परम्पराओं को अपने आंचल समेटे हुए है. उन्होंने कहा कि केदारखंड को स्वर्ग के द्वार के नाम से जाना जाता है. युगों पूर्व चारधाम की यात्रा बड़ी कठिन थी. वर्तमान समय में चारधाम यात्रा सुगम व सरल हो गयी है. राज्यमंत्री चंडी प्रसाद भटट् ने कहा कि भगवान मदमहेश्वर की डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर लगने वाले मदमहेश्वर मेले के आयोजन से नौनिहालों को उचित मंच मिलने के साथ ही मेला आपसी सौहार्द का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि मदमहेश्वर मेले में शिरकत करने से मन को अपार शान्ति की अनुभूति हुई है.
मदमहेश्वर मेले को दिया जाएगा भव्य स्वरूप: केदारनाथ के प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग ने कहा कि जो मनुष्य धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है. इसलिए धर्म की रक्षा करने वाले समाज में पूजित होते हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रभारी प्रधानाचार्य एके फेगवाल ने कहा कि भविष्य में मदमहेश्वर मेले को और भव्य रूप देने की सामूहिक पहल की जायेगी. मेला समिति अध्यक्ष/व्यापार संघ अध्यक्ष राजीव भटट् ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया. मेले का संचालन कैलाश पुष्वाण व जगदीश लाल ने संयुक्त रूप से किया. मेले के शुभारंभ अवसर पर महिला मंगल दल डंगवाड़ी, राइंका, सरस्वती शिशु/विद्या मन्दिर, प्राथमिक विद्यालय पैंज, राजकीय कन्या हाईस्कूल, एवरग्रीन, भारत सेवा डानमान्टेश्वरी, जूनियर हाईस्कूल पठाली, प्राथमिक विद्यालय ऊखीमठ, अंजलि देवी सहित विभिन्न विद्यालयों व स्थानीय महिला मंगल दलों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही.
ग्राम सभा क्वीली से नन्दा भक्तों का जत्था अयोध्या रवाना: इधर उत्तराखंड के पवित्र नन्दा देवी प्रांगण से ग्राम सभा क्वीली के नन्दा भक्तों का 22 सदस्यीय जत्था शुक्रवार सुबह भक्ति और उत्साह के साथ अयोध्या के लिए रवाना हुआ. यह यात्रा चार दिन तक चलेगी. इसका उद्देश्य भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में दर्शन कर आस्था को प्रगाढ़ करना है. इस यात्रा की पहल ग्राम सभा क्वीली के युवा और विश्व हिंदू परिषद के संगठन मंत्री सुबोध चंद्र पुरोहित ने की है. सुबोध ने न केवल इस यात्रा का आयोजन किया, बल्कि इसके लिए आवश्यक व्यवस्थाओं का भी ध्यान रखा. उन्होंने कहा, "हमारा उद्देश्य न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देना है, बल्कि ग्रामीण समुदाय को एक साथ जोड़कर हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखना भी है.
यात्रा की शुरुआत नन्दा देवी मंदिर में पूजा-अर्चना और भक्ति गीतों के साथ हुई. मां नन्दा और भगवान श्री राम के जयकारों के बीच भक्तों ने अयोध्या के लिए प्रस्थान किया. यात्रा में शामिल भक्तों ने विशेष रूप से पारंपरिक परिधान धारण कर अपने उत्साह को प्रकट किया. चार दिवसीय इस यात्रा में भक्त अयोध्या में भगवान श्री रामलला के दर्शन करेंगे. सरयू नदी में स्नान करेंगे. अयोध्या के अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों का भ्रमण करेंगे. दल के सदस्यों ने बताया कि वे अयोध्या में सामूहिक भजन-कीर्तन और हवन का आयोजन भी करेंगे. यात्रा में भाग ले रहे भक्तों का कहना है कि यह उनके लिए एक अनूठा अवसर है. चार दिन की इस यात्रा से लौटने के बाद भक्त अपने अनुभव और भक्ति के संदेश को ग्राम सभा क्वीली के अन्य सदस्यों के साथ साझा करेंगे. इस पहल से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि क्षेत्र में आपसी भाईचारे और सामुदायिक एकता का संदेश भी फैलेगा.
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