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बाबा कल्याण दास ने बताया अयोध्या के विवादित स्थल का सच, ईटीवी भारत से की खास बात - अयोध्या

Truth Of Disputed Site Of Ayodhya अयोध्या में 500 वर्षों के बाद भगवान श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर हर जगह सनातन धर्मियों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. प्रभु राम के दर्शन के लिए हजारों लोग अयोध्या पहुंच रहे हैं. भगवान राम के अयोध्या में विराजमान होने से लेकर पूर्व में मुस्लिम साम्राज्य तक के तर्क को लेकर बाबा कल्याण दास जी महाराज ने ईटीवी भारत से खास बात की.

Truth Of Disputed Site Of Ayodhya
बाबा कल्याण दास ने बताया अयोध्या के विवादित स्थल का सच
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 31, 2024, 7:22 PM IST

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मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : बाबा कल्याण दास ने अयोध्या राम मंदिर से जुड़े अतीत के बारे में विस्तार से बताया. बाबा कल्याण दास ने कहा कि अयोध्या भगवान के अवतरण का स्थान है. जिस स्थान पर अभी प्रभु श्री राम जी के बाल स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा हुई है. वहां आज से लगभग 500 साल पहले इस्लाम धर्म के शासकों ने मंदिर को तोड़कर हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया था.

काशी विश्वनाथ में भी मंदिरों को पहुंचाया गया नुकसान: बाबा कल्याण दास के मुताबिक काशी में विश्वनाथ के मंदिर को भी तोड़ा गया.जिसे लेकर हिंदू धर्म के लोगों ने काफी विरोध किया. देश में हिंदुओं के ऊपर मुगल शासकों ने काफी अत्याचार करते हुए हत्याएं की . जो महिलाएं इसके खिलाफ सड़कों पर सो गई थी उन्हें भी मुस्लिम समुदाय के शासको ने नहीं बख्शा. रथ चला कर महिलाओं की भी हत्या की गई. लोग बरसों से इंतजार कर रहे थे कि कब ये दिन आए और हमारे प्रभु राम अपने स्थान पर विराजे. देश की स्वतंत्रता के बाद भी राम मंदिर को लेकर कुछ भी नहीं सोचा गया. हिंदू संगठनों ने मुगलों के शासन काल में उनके द्वारा किए कृत्य को लेकर पुनः मंदिरों के निर्माण को लेकर हिंदू संगठनों ने कई आंदोलन भी किया.

अयोध्या राम मंदिर पर कई बार हुई सरकार से बात : सरकार से कई बार इस विषय पर बात भी की गई. लेकिन सरकार की नीतियों के कारण हिंदुओं की बातें नहीं सुनी गई. इसके बाद आंदोलन ने जोर पकड़ लिया और उस ढांचे को गिरा दिया गया. जिसके कारण हमेशा लोगों की भावनाओं के अंदर एक अपमान की अनुभूति होती थी.

''जहां पर हमारे परमेश्वर ने जन्म लिया वहां पर ऐसा कृत्य किया गया जो बहुत अशोभनीय था. जिस पर तत्कालीन सरकार ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया था. काफी लंबे समय से हिंदू समाज इसकी प्रतीक्षा कर रहा था. हिंदुओं के इस 500 सालों के प्रतीक्षित सतत संघर्ष में वर्तमान के शासन ने सहयोग दिया. जिसके बाद अब जाकर अयोध्या में श्री राम भगवान के बाल स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा करते हुए स्थापना की गई.'' बाबा कल्याण दास

मथुरा और काशी में भी हिंदु मंदिरों की स्मृतियां : बाबा कल्याण दास महाराज ने ईटीवी भारत को आगे यह भी बताया कि इसी तरह भारत में जैसे मथुरा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान, काशी में भगवान श्री विश्वनाथ जी का मंदिर है. वहां आज भी यह साक्ष्य मौजूद है कि ये हिंदुओं के धार्मिक स्थल रहे हैं. अगर आप पास जाकर मंदिर के पश्चिमी भाग को देखें तो उस जगह का अंश आपको क्षतिग्रस्त स्थिति में मिलेगा. भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा होने से हिंदू संवर्ग अपने आपको बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा है. मुगल साम्राज्य काल में हिंदूत्व के प्रतीक रहे धार्मिक स्थलों को क्षतिग्रस्त करते हुए उन्हें गिराया गया. जिससे हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची.

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मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : बाबा कल्याण दास ने अयोध्या राम मंदिर से जुड़े अतीत के बारे में विस्तार से बताया. बाबा कल्याण दास ने कहा कि अयोध्या भगवान के अवतरण का स्थान है. जिस स्थान पर अभी प्रभु श्री राम जी के बाल स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा हुई है. वहां आज से लगभग 500 साल पहले इस्लाम धर्म के शासकों ने मंदिर को तोड़कर हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया था.

काशी विश्वनाथ में भी मंदिरों को पहुंचाया गया नुकसान: बाबा कल्याण दास के मुताबिक काशी में विश्वनाथ के मंदिर को भी तोड़ा गया.जिसे लेकर हिंदू धर्म के लोगों ने काफी विरोध किया. देश में हिंदुओं के ऊपर मुगल शासकों ने काफी अत्याचार करते हुए हत्याएं की . जो महिलाएं इसके खिलाफ सड़कों पर सो गई थी उन्हें भी मुस्लिम समुदाय के शासको ने नहीं बख्शा. रथ चला कर महिलाओं की भी हत्या की गई. लोग बरसों से इंतजार कर रहे थे कि कब ये दिन आए और हमारे प्रभु राम अपने स्थान पर विराजे. देश की स्वतंत्रता के बाद भी राम मंदिर को लेकर कुछ भी नहीं सोचा गया. हिंदू संगठनों ने मुगलों के शासन काल में उनके द्वारा किए कृत्य को लेकर पुनः मंदिरों के निर्माण को लेकर हिंदू संगठनों ने कई आंदोलन भी किया.

अयोध्या राम मंदिर पर कई बार हुई सरकार से बात : सरकार से कई बार इस विषय पर बात भी की गई. लेकिन सरकार की नीतियों के कारण हिंदुओं की बातें नहीं सुनी गई. इसके बाद आंदोलन ने जोर पकड़ लिया और उस ढांचे को गिरा दिया गया. जिसके कारण हमेशा लोगों की भावनाओं के अंदर एक अपमान की अनुभूति होती थी.

''जहां पर हमारे परमेश्वर ने जन्म लिया वहां पर ऐसा कृत्य किया गया जो बहुत अशोभनीय था. जिस पर तत्कालीन सरकार ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया था. काफी लंबे समय से हिंदू समाज इसकी प्रतीक्षा कर रहा था. हिंदुओं के इस 500 सालों के प्रतीक्षित सतत संघर्ष में वर्तमान के शासन ने सहयोग दिया. जिसके बाद अब जाकर अयोध्या में श्री राम भगवान के बाल स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा करते हुए स्थापना की गई.'' बाबा कल्याण दास

मथुरा और काशी में भी हिंदु मंदिरों की स्मृतियां : बाबा कल्याण दास महाराज ने ईटीवी भारत को आगे यह भी बताया कि इसी तरह भारत में जैसे मथुरा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान, काशी में भगवान श्री विश्वनाथ जी का मंदिर है. वहां आज भी यह साक्ष्य मौजूद है कि ये हिंदुओं के धार्मिक स्थल रहे हैं. अगर आप पास जाकर मंदिर के पश्चिमी भाग को देखें तो उस जगह का अंश आपको क्षतिग्रस्त स्थिति में मिलेगा. भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा होने से हिंदू संवर्ग अपने आपको बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा है. मुगल साम्राज्य काल में हिंदूत्व के प्रतीक रहे धार्मिक स्थलों को क्षतिग्रस्त करते हुए उन्हें गिराया गया. जिससे हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची.

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