लखनऊ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुस्लिम चेहरे आजम खान की नाराजगी से इंडिया गठबंधन को कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है. आजम की पसंद का उम्मीदवार उनके ही गृह जनपद रामपुर में नहीं आने से आजम की नाराजगी चरम पर है.
इसके अलावा मुरादाबाद सीट पर भी भले शुरुआती पसंद वर्तमान सांसद डॉ. एसटी हसन को लेकर रही हो लेकिन बाद में अखिलेश यादव द्वारा पत्र लिखकर नामांकन रद कर पार्टी सिंबल रुचि वीरा को दिए जाने के बाद अखिलेश यादव से आजम खान की नाराजगी खुलकर सामने आई है.
बता दें कि दोनों ही सीट, रामपुर और मुरादाबाद लोकसभा सीट पर पहले ही चरण यानी 19 अप्रैल को मतदान होना है. जबकि, रिजल्ट यानी मतगणना 4 जून को होगी. सपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि आजम खान ने रामपुर में बसपा उम्मीदवार को साथ दिए जाने का संकेत दिया है. आजम के कई करीबी नेताओं की तरफ से भी रामपुर में सपा प्रत्याशी का साथ नहीं दिया जा रहा है. कुल मिलाकर आजम खान की नाराजगी से सपा के सामने कई तरह की चुनौती नजर आ रही है.
अगर आजम नाराज रहे तो मुस्लिम वोट बैंक सपा प्रत्याशी या इंडिया गठबंधन को मिल पाना काफी मुश्किल नजर आ रहा है. दरअसल रामपुर और मुरादाबाद में कई खेमों में बंटी समाजवादी पार्टी के लिए चुनावी राह ठीक करना बड़ी चुनौती है. रामपुर से सपा प्रत्याशी गुटबाजी का शिकार हैं.
प्रत्याशी मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी के लिए गुटबाजी से पार पाना बड़ी चुनौती होगा. नामांकन केआख़िरी दिन ही प्रत्याशी तय कर सपा हाईकमान ने रामपुर वासियों को नया चेहरा तो दे दिया था लेकिन, रामपुर की सियासत और यहां सपा में गुटबाजी भी खुलकर सामने आ चुकी है.
स्थानीय स्तर पर आजम के करीबी सपा प्रत्याशी के साथ खड़े नहीं हुए और बसपा प्रत्याशी की मदद करते नजर आ रहे हैं. इसकी बात भी लगातार अखिलेश यादव तक पहुंचाई जा रही है. अखिलेश यादव भी सपा के स्थानीय नेताओं से बातचीत करते हुए प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
हालांकि आजम खान की नाराजगी अभी बरकरार है और उनके करीब लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन करने वाले असीम राजा लगातार बसपा प्रत्याशी जीशान के साथ दिख रहे हैं. आजम की ये नाराजगी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर सपा और इंडिया गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकती है.
हालांकि इस बार के चुनाव में मुस्लिम समाज के मतदाता इंडिया गठबंधन के साथ भी कई जगहों पर एकजुट होकर मतदान करने की बात भी कर रहे हैं. सपा प्रत्याशी मोहिबुल्लाह नदवी नामांकन के बाद से ही रामपुर के मुख्य लोगों से मिलने उनके घरों पर पहुंच रहे हैं.
लेकिन, आजम खान के करीबी आसिम रजा, सपा जिला अध्यक्ष अजय सागर पर भी सभी की निगाहें टिकी हैं. चुनाव बहिष्कार का ऐलान करने के बाद भी आसिम रजा ने नामांकन कर दिया था. भले ही नामांकन निरस्त हो गया हो लेकिन, वह सपा प्रत्याशी के साथ नजर नहीं आ रहे हैं.
इससे सपा उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है. वहीं सपा प्रत्याशी नदवी से सपा जिलाध्यक्ष अजय सागर ने अभी तक मुलाकात नहीं की है. ऐसे में सपा के स्थानीय नेताओं का चुनाव को लेकर क्या रुख रहेगा ये भी चर्चा का विषय बना हुआ है. देखना दिलचस्प होगा कि कैसे नाराज लोगों की मनाया जाता है.
इसी प्रकार मुरादाबाद सीट पर भी सपा प्रत्याशी रुचि वीरा को स्थानीय सपा नेताओं का साथ नहीं मिल रहा है. वहां समाजवादी पार्टी एसटी हसन को चुनाव लड़ाना चाहती थी. लेकिन, आखिर समय में उनका नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया और आजम की करीबी रुचि वीरा का नामांकन पत्र वैध पाया गया.
जिसके बाद सपा और आजम के बीच नाराजगी और बढ़ गई है. देखना दिलचस्प होगा कि रामपुर मुरादाबाद सहित अन्य सीटों पर आजम की नाराजगी से समाजवादी पार्टी को कितना नुकसान उठाना पड़ता है. हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इस बात के कम ही संकेत कर रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन कहते हैं कि इस लोकसभा चुनाव में आजम खान की नाराजगी क्या कुछ करेगी इसकी जानकारी तो बाद में मिल पाएगी. लेकिन, इतना जरूर है कि मुरादाबाद या रामपुर में उनकी नाराजगी से कुछ असर जरूर होगा.
हालांकि इस चुनाव में यह देखने को मिल रहा है कि भारतीय जनता पार्टी से नाराज लोग इंडिया गठबंधन की तरफ देख रहे हैं. ऐसे में आजम खान की नाराजगी का फैक्टर बहुत असर डालने वाला नहीं होगा.
यह जरूर है कि रामपुर में उनके गढ़ में समाजवादी पार्टी ने उनकी पसंद का प्रत्याशी नहीं दिया है. स्थानीय स्तर पर सपा प्रत्याशी के साथ आजम के करीबी लोग चुनाव प्रचार में नहीं दिख रहे हैं. इससे कई तरह के गलत संदेश जा रहे हैं.