नई दिल्ली: आज की तेजी से बदलती दुनिया में डॉक्टर्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वे हमारी आशाओं का प्रतीक हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हुआ. अब हमारे पास उस समय से सीखे गए सबक को पीएम मोदी के महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत मिशन के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मजबूत करने के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए लागू करने का अवसर है. ये बातें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), डॉ. जितेन्द्र सिंह ने डॉक्टर्स डे कॉन्क्लेव में मुख्य अतिथि के तौर पर कही.
उन्होंने कहा कि डॉक्टर हमारे सफेद पोशाक वाले नायक हैं. उन्होंने विकसित भारत के सिद्धांतों के आधार पर राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता बताई. इस सम्मेलन में 2018 से डॉक्टरों और फ्रंटलाइन हेल्थकेयर से जुड़े लोगों को सम्मानित किया गया. इस अवसर पर बोलते हुए भारतीय सेना के महानिदेशक चिकित्सा सेवाएं (सेना) लेफ्टिनेंट जनरल अरिंदम चटर्जी ने कहा कि सैन्य चिकित्सा में युद्ध और गैर-युद्ध दोनों स्थितियों में चिकित्सा और चिकित्सा सहायता का अभ्यास शामिल है. जैसे-जैसे युद्ध की प्रकृति विकसित होती है, वैसे-वैसे इस बदलते स्पेक्ट्रम में चिकित्सा सहायता प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता भी बढ़ती है. चिकित्सा पद्धतियों में तकनीकी प्रगति, इस क्षेत्र में क्रांति ला रही है.
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इस कॉनक्लेव में विभिन्न विशेषज्ञ डॉक्टरों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया. इनमें ऑन्कोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, यूरोलॉजी, डायबिटीज़ और डर्मेटोलॉजी शामिल थे. वहीं एयर मार्शल राजेश विद्या वीएसएम, महानिदेशक चिकित्सा सेवाएँ (वायु), भारतीय वायुसेना, डॉ. बी.एन. गंगाधर, अध्यक्ष (कार्यवाहक), राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग एवं अन्य प्रसिद्ध हस्तियों ने विचारोत्तेजक पैनल चर्चा में भाग लिया.
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