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आयुष इलाज में मिलेगा एलोपैथी के समान इंश्योरेंस क्लेम पैकेज का लाभ, आयुष मंत्रालय की नई पहल - medical insurance claim

भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय ने एक बड़ी पहल शुरू की है. अब आयुष इलाज करवाने वाले ज्यादा से ज्यादा लोगों को इंश्योरेंस क्लेम मिल सके, इसके लिए एक जनरल इंश्योरेंस कंपनियों और आयुष अस्पतालों के मालिकों को एक मंच पर लाया गया. जहां सभी ने अपनी बातें रखी.

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आयुष इलाज में इंश्योरेंस क्लेम पर चर्चा (ETV Bharat Reporter)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 28, 2024, 12:08 PM IST

आयुष इलाज में इंश्योरेंस क्लेम (ETV Bharat Reporter)

नई दिल्ली: आयुष मंत्रालय ने आयुष उपचार पद्धतियों के प्रति लोगों के विश्वास को बढ़ाने के लिए एक नई पहल की है. आयुर्वेद के साथ-साथ हर प्रकार के आयुष के इलाज के लिए मेडिकल इंश्योरेंस की सुविधाओं को एक कदम और आगे बढ़ाने के लिये सोमवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में एक महासम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर के आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी नेचुरोपैथी समेत आयुष से संबंधित हर प्रकार के प्रैक्टिशनर्स बड़ी संख्या में भाग लिए. साथ ही मेडिकल इंश्योरेंस करने वाली सभी कंपनियां एवं उनके प्रतिनिधि शामिल हुए.

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि निम्न पायदान पर खड़े रोगी को आयुष उपचार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित संवेदीकरण कार्यक्रम में स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में आयुष उपचारों को मुख्यधारा में लाने के लिए आवश्यक नियामक ढांचे और नीति समर्थन पर चर्चा करने के लिए हितधारक एकत्र हुए. हाल ही में बीमा नियामक विकास प्राधिकरण के निर्देशों के कारण 01 अप्रैल, 2024 से प्रभावी स्वास्थ्य बीमा कवर के तहत आयुष उपचार लाने और आयुष अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और बीमा क्षेत्र के हितधारकों के बीच एक गहरी समझ बनाने और लोगों को सस्ती आयुष स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देने के लिए बैठक का आयोजन किया गया.

उन्होंने बताया कि इस पहल का उद्देश्य सभी के लिए आयुष उपचारों तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना है. भारत में अपनी तरह के पहले एकीकरण को चिह्नित करते हुए, डीजीएचएस और आयुष (एसटीजी) द्वारा मानक उपचार दिशानिर्देशों के संयुक्त प्रकाशन के साथ एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया गया था. इसका उद्देश्य सभी के लिए आयुष उपचार तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना है. पिछले दशक में आयुष उत्पादों के निर्माण में आठ गुना वृद्धि हुई है.

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के निदेशक प्रो. तनुजा नेसारी ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने सभी इंश्योरेंस कंपनी जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के मेंबर आईआरडीए और आयुष क्षेत्र के देश भर के बड़े एवं छोटे अस्पताल के प्रतिनिधि आयुष एवं मेडिकल इंश्योरेंस को लेकर आयोजित एक दिन कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया. यह एक बहुत बड़ा बेंचमार्क इवेंट है. पिछले दिनों आयुष के क्षेत्र में मेडिकल इंश्योरेंस की मांग काफी बढ़ी है. आयुष मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2016 के मुकाबले अब तक छह गुना इंश्योरेंस की मांग बढ़ी है. इसे देखते हुए इस सुविधा को और भी बड़े स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है.

ये भी पढ़ें : मोबाइल छीन रहा आपके बच्चों की आवाज, आखिर क्यों छोटी सी उम्र में गुमसुम हो रहे बच्चे?

कटोचा ने बताया कि एलोपैथ की तरह ही आयुष के इलाज की पद्धति में भी स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्लान तैयार किया गया है. इसकी रिव्यू भी एलोपैथिक विशेषज्ञ से कराई जाती है. मेडिकल की पढ़ाई के पाठ्यक्रमों में भी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के तहत आयुर्वेद यूनानी और सिद्धा को शामिल किया गया है, जो नए सत्र से शुरू किए जाएंगे. आयुष के क्षेत्र में इंश्योरेंस को हम बड़े स्केल पर लाना चाहते हैं. अच्छी बात यह है कि इंश्योरेंस कंपनी भी बड़े उत्साह के साथ हमारे साथ कदम से कम मिलने को तैयार है. इस कार्यक्रम में सभी इंश्योरेंस कंपनी की प्रतिनिधि आए हैं और अपनेी दिलचस्पी को उत्साह के साथ व्यक्त किए हैं.

उन्होंने बताया कि आयुष सेक्टर में काम करने वाले प्रैक्टिशनर्स की कैपेसिटी बिल्डिंग बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं. इसमें पैकेज को भी स्टैंडलाइज किया जा रहा है. जहां पर इंश्योरेंस सेक्टर काम करता है वहां पर ग्रोथ होता है. अगले कुछ वर्षों में आयुष के क्षेत्र में इंश्योरेंस एक अगले स्तर तक पहुंच जाएगा. आयुष सचिव ने बताया कि ऐसा नहीं है कि वह पहली बार आयुष के क्षेत्र में इंश्योरेंस को लेकर आ रहे हैं, बल्कि यह पहले से ही मौजूद है. इसे अगले स्तर तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. अच्छी बात यह है कि इंश्योरेंस कंपनी पर नजर रखने वाली संस्थान आईआरडीए ने इंश्योरेंस कंपनियों को निर्देश दिया है कि इंश्योरेंस के मामले में एलोपैथ और आयुष में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होनी चाहिए. एलोपैथिक और आयुर्वेद के पैकेज में अंतर नहीं होना चाहिए. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में भी आयुष के पैकेज को शामिल किए जाने पर विचार चल रहा है. आने वाले कुछ दिनों में यह भी हो जाएगा.

ये भी पढ़ें : आयुष को आधुनिक चिकित्सा के साथ एकीकृत करने के महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए हैं: आयुष सचिव

आयुष इलाज में इंश्योरेंस क्लेम (ETV Bharat Reporter)

नई दिल्ली: आयुष मंत्रालय ने आयुष उपचार पद्धतियों के प्रति लोगों के विश्वास को बढ़ाने के लिए एक नई पहल की है. आयुर्वेद के साथ-साथ हर प्रकार के आयुष के इलाज के लिए मेडिकल इंश्योरेंस की सुविधाओं को एक कदम और आगे बढ़ाने के लिये सोमवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में एक महासम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर के आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी नेचुरोपैथी समेत आयुष से संबंधित हर प्रकार के प्रैक्टिशनर्स बड़ी संख्या में भाग लिए. साथ ही मेडिकल इंश्योरेंस करने वाली सभी कंपनियां एवं उनके प्रतिनिधि शामिल हुए.

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि निम्न पायदान पर खड़े रोगी को आयुष उपचार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित संवेदीकरण कार्यक्रम में स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में आयुष उपचारों को मुख्यधारा में लाने के लिए आवश्यक नियामक ढांचे और नीति समर्थन पर चर्चा करने के लिए हितधारक एकत्र हुए. हाल ही में बीमा नियामक विकास प्राधिकरण के निर्देशों के कारण 01 अप्रैल, 2024 से प्रभावी स्वास्थ्य बीमा कवर के तहत आयुष उपचार लाने और आयुष अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और बीमा क्षेत्र के हितधारकों के बीच एक गहरी समझ बनाने और लोगों को सस्ती आयुष स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देने के लिए बैठक का आयोजन किया गया.

उन्होंने बताया कि इस पहल का उद्देश्य सभी के लिए आयुष उपचारों तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना है. भारत में अपनी तरह के पहले एकीकरण को चिह्नित करते हुए, डीजीएचएस और आयुष (एसटीजी) द्वारा मानक उपचार दिशानिर्देशों के संयुक्त प्रकाशन के साथ एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया गया था. इसका उद्देश्य सभी के लिए आयुष उपचार तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना है. पिछले दशक में आयुष उत्पादों के निर्माण में आठ गुना वृद्धि हुई है.

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के निदेशक प्रो. तनुजा नेसारी ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने सभी इंश्योरेंस कंपनी जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के मेंबर आईआरडीए और आयुष क्षेत्र के देश भर के बड़े एवं छोटे अस्पताल के प्रतिनिधि आयुष एवं मेडिकल इंश्योरेंस को लेकर आयोजित एक दिन कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया. यह एक बहुत बड़ा बेंचमार्क इवेंट है. पिछले दिनों आयुष के क्षेत्र में मेडिकल इंश्योरेंस की मांग काफी बढ़ी है. आयुष मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2016 के मुकाबले अब तक छह गुना इंश्योरेंस की मांग बढ़ी है. इसे देखते हुए इस सुविधा को और भी बड़े स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है.

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कटोचा ने बताया कि एलोपैथ की तरह ही आयुष के इलाज की पद्धति में भी स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्लान तैयार किया गया है. इसकी रिव्यू भी एलोपैथिक विशेषज्ञ से कराई जाती है. मेडिकल की पढ़ाई के पाठ्यक्रमों में भी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के तहत आयुर्वेद यूनानी और सिद्धा को शामिल किया गया है, जो नए सत्र से शुरू किए जाएंगे. आयुष के क्षेत्र में इंश्योरेंस को हम बड़े स्केल पर लाना चाहते हैं. अच्छी बात यह है कि इंश्योरेंस कंपनी भी बड़े उत्साह के साथ हमारे साथ कदम से कम मिलने को तैयार है. इस कार्यक्रम में सभी इंश्योरेंस कंपनी की प्रतिनिधि आए हैं और अपनेी दिलचस्पी को उत्साह के साथ व्यक्त किए हैं.

उन्होंने बताया कि आयुष सेक्टर में काम करने वाले प्रैक्टिशनर्स की कैपेसिटी बिल्डिंग बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं. इसमें पैकेज को भी स्टैंडलाइज किया जा रहा है. जहां पर इंश्योरेंस सेक्टर काम करता है वहां पर ग्रोथ होता है. अगले कुछ वर्षों में आयुष के क्षेत्र में इंश्योरेंस एक अगले स्तर तक पहुंच जाएगा. आयुष सचिव ने बताया कि ऐसा नहीं है कि वह पहली बार आयुष के क्षेत्र में इंश्योरेंस को लेकर आ रहे हैं, बल्कि यह पहले से ही मौजूद है. इसे अगले स्तर तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. अच्छी बात यह है कि इंश्योरेंस कंपनी पर नजर रखने वाली संस्थान आईआरडीए ने इंश्योरेंस कंपनियों को निर्देश दिया है कि इंश्योरेंस के मामले में एलोपैथ और आयुष में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होनी चाहिए. एलोपैथिक और आयुर्वेद के पैकेज में अंतर नहीं होना चाहिए. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में भी आयुष के पैकेज को शामिल किए जाने पर विचार चल रहा है. आने वाले कुछ दिनों में यह भी हो जाएगा.

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