राजाखेड़ा (धौलपुर): उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज तीन दिनों से राजाखेड़ा प्रवास पर हैं. उन्होंने रविवार सुबह यहां एक धर्मसभा को संबोधित किया. इस दौरान शंकराचार्य ने वहां मौजूद लोगों के सवालों के जवाब दिए. उन्होंने गौवंश और धीरेंद्र शास्त्री द्वारा निकाली जा रही यात्रा को लेकर अपने विचार रखे.
एक पार्टी के विचार को दिया जा रहा स्वर: शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म की बात अलग है, यह जो यात्रा है, वह अलग है. हमारा मानना है कि यह यात्रा राजनीति से प्रेरित है. इसमें नारा लगाया जाता है कि जात-पात की करो विदाई, बंटेंगे तो कटेंगे, जातियों में समाज बंट रहा है. एक जाति, एक पार्टी को वोट दे रही है. दूसरी जाति दूसरी पार्टी को वोट दे रही है. इसे रोकना है तो एक पार्टी ने यह तय किया है कि ना रहे जात ना जात में बंटे और थोक वोट हमको मिलें. थोक वोट लेने का एक पार्टी का यह विचार है. इस विचार को स्वर दिया गया है.
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उन्होंने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री को राजनीति के लिए ऐसा करना है, तो हमें कोई बाधा नहीं है. हर राजनीतिक पार्टी अपने-अपने ढंग से काम करती है ताकि वह जीत सके. लेकिन इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. क्योंकि धर्म की एकता, जात-पात की विदाई करके नहीं बन सकती है. बल्कि जातियों में सामंजस्य बनाकर अपने-अपने धर्म पर रहते हुए की जा सकती है.
उन्होंने कहा कि यही बात तुलसीदास जी के रामचरितमानस में उत्तरकांड के दोहा 20 में कही गई है. जिसमें बताया है कि रामजी जब राजा बने थे, तो उन्होंने सब वर्णों को, सब आश्रमों को अपने-अपने धर्म के अनुसार चलने को कहा था. उससे समाज में एकता आ गई थी, तो जो सनातन की एकता है, वह इस तरह से बनती है. राजनीति में किसी पार्टी विशेष का लाभ है, वो तो तभी होगा जब जाति के आधार पर वोट देना बंद हो जाएगा. धर्मसभा में राजाखेड़ा विधायक रोहित बोहरा के साथ बड़ी संख्या में महिला-पुरुष मौजूद रहे.