जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गलता पीठ के महंत पद पर नियुक्ति से जुड़े मामले में कहा कि अपील के लंबित रहने के दौरान ठिकाना गलता जी और उससे जुड़ी हुई संपत्तियों का प्रबंधन व देखभाल देवस्थान विभाग ही करेगा.
अदालत ने स्पष्ट किया कि ठिकाना गलता जी की पूरी संपत्तियां अपीलार्थी के हाथों में ना रखकर देवस्थान विभाग के हाथों में ही सुरक्षित रखी जाएं और सार्वजनिक ट्रस्ट का प्रबंधन भी देवस्थान विभाग के जरिए ही हो. इसके अलावा अवधेशाचार्य यहां के महंत पद पर दावा नहीं करेंगे. हालांकि अदालत ने अवधेशाचार्य को राहत दी है कि वे जिस घर में रहते हैं, उसमें उन्हें परिवार सहित रहने की मंजूरी दी जाए. सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश अवधेशाचार्य की अपील में दायर स्टे एप्लीकेशन का निस्तारण करते हुए दिए.
खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश के उस बिंदु पर रोक लगा दी है, जिसमें एकलपीठ ने अवधेशाचार्य की ओर से संपत्तियों के हस्तांतरण के कारण राज्य सरकार को हुए नुकसान की भरपाई करने को कहा था. इसके अलावा खंडपीठ ने अपील पर सुनवाई अक्टूबर महीने में रखते हुए कहा कि इस दौरान राज्य सरकार की ओर से नियुक्त अधिकारी ही गलता ट्रस्ट प्रबंधन, जीर्णोद्धार और चढ़ावे का रिकॉर्ड रखेगा और सहायक देवस्थान आयुक्त इसकी जांच करते रहेंगे.
वकीलों ने यह दी दलील: अपीलार्थी की ओर से सीनियर एडवोकेट आरएन माथुर व एमएम रंजन ने दलील दी कि ठिकाना गलता जी के महंत का पद वंशानुगत रहा है और जिन संपत्तियों के बेचान का दावा किया है वे अपीलार्थी की खुद की संपत्तियां थीं और ठिकाना गलता की नहीं थीं. एकलपीठ ने सभी दस्तावेजों पर ध्यान नहीं दिया है और यह आदेश गलत है. इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से एएजी भरत व्यास व एएजी बीएस छाबा और जयपुर शहर हिन्दू विकास समिति की ओर से सीनियर एडवोकेट आरबी माथुर व अधिवक्ता यश शर्मा ने कहा कि एकलपीठ का आदेश सही है. ठिकाना गलता जी की गद्दी सार्वजनिक ट्रस्ट है और महंत के पद पर नियुक्ति वंशानुगत नहीं है. इसकी नियुक्ति चयन प्रक्रिया के जरिए होती है. गौरतलब है कि एकलपीठ ने गत 22 जुलाई को अवधेशाचार्य की महंत पद पर नियुक्ति को अवैध मानकर रद्द कर सरकार को इसका विकास करने को कहा था. इस आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील दायर की गई है.