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रेल हादसों पर लगेगा ब्रेक! 202 करोड़ की लागत से इस रूट पर लगा ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम - Railway Safety

Automatic Block Signaling System: बीते दिनों में कई रेल हादसे देखने को मिले हैं, जिस वजह से न केवल रेल यात्री चिंतित हैं, बल्कि रेलवे की भी चुनौती बढ़ गई है. ऐसे में रेल सुरक्षा को देखते हुए पूर्व मध्य रेलवे ने बड़ा कदम उठाया है. ट्रेन की रफ्तार बढ़ाने और रेल हादसों को कम करने के लिए ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम की शुरुआत की है.

Railway Safety
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 7, 2024, 12:10 PM IST

देखें रिपोर्ट (ETV Bharat)

पटना: पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चंद्र ने बताया कि धनबाद मंडल के 25 किलोमीटर लंबे टनकुपा पहाड़पुर गुरपा रेल खंड पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम लगाया गया है. उन्होंने बताया कि इसके तहत दो स्टेशनों के मध्य लगभग प्रत्येक एक किलोमीटर की दूरी पर सिग्नल लगाए जाते हैं. इस सिग्नल के सहारे ट्रेन एक दूसरे के पीछे चलती रहेगी. अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी कुछ खराबी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाती है. इससे जो ट्रेन जहां है, वहीं पर रुक जाएगी और इससे दुर्घटना नहीं होगी.

"ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू हो जाने से एक ही रूट पर लगभग एक किलोमीटर के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेन चल सकेगी. इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ संख्या भी बढ़ सकेगी. कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकालने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा."- सरस्वती चंद्र, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पूर्व मध्य रेलवे

ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम के लाभ?: ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के कई फायदे हैं. स्टेशन यार्ड से ट्रेन को आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा. यानी एक ब्लॉक क्षेत्र में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चल सकेगी. इससे ट्रेनों का लोकेशन की जानकारी भी मिल सकेगी. रेल यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने में समय नहीं लगेगा. ट्रेन अपने निर्धारित समय से चलेगी.

क्या बोले पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ?: सीपीआरओ सरस्वती चंद्र ने बताया कि अभी एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम परंपरागत चल रहा है. जिसमें एक ब्लाक क्षेत्र में ट्रेन के अगले स्टेशन पर पहुंच जाने के बाद पीछे वाली ट्रेन को आगे बढ़ाने के लिए ग्रीन सिग्नल मिलता है. जिससे खाली रेल लाइनों की क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पता है. इसको ध्यान में रखते हुए धनबाद मंडल में ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम लगाया गया है. 204 किलोमीटर प्रोजेक्ट का एक भाग में इस प्रोजेक्ट पर लगभग 202 करोड रुपये लागत आने का अनुमान है.

सुरक्षा के साथ ही स्पीड भी बढ़ेगी: पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ ने बताया कि आने वाले समय में पूर्व मध्य रेल के पांचों मंडलों में ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम लगाया जाएगा, जिससे ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी. इससे रेल हादसा पर अंकुश लगेगा. उन्होंने कहा कि पूर्व मध्य रेलवे प्रशासन की तरफ से यात्रियों की सुविधाओं के लिए अधिक से अधिक ट्रैफिक के लिए आधुनिक उन्नत तकनीक के तहत ट्रेनों की बेहतर परिचालन के लिए ऑटोमेटिक ब्लॉक सिंगल सिस्टम में परिवर्तित किया जा रहा है.

कैसे करेगा काम?: अभी वर्तमान में एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच की दूरी 10 से 12 किलोमीटर तक होती है. ट्रेन को यह दूरी तय करने में 10 से 15 मिनट का समय लगता है. पहले गई ट्रेन के पीछे 15 मिनट के बाद दूसरी ट्रेन को चलाई जाती है. एक ट्रेन जब दूसरे रेलवे स्टेशन पर पहुंच जाती है, तब तक दूसरी ट्रेन को रेलवे स्टेशन पर खड़ा रहना पड़ता है. रेलवे ऑटोमेटिक ब्लॉक सिस्टम के माध्यम से ट्रेन के समय को कम कर चलाने का प्रयास कर रहा है और आने वाले समय में एक ब्लाक पर आसानी से कई ट्रेन को चलाई जा सकेगा.

ये भी पढ़ें: रेलवे सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण 'कवच' पर कितना हो चुका है काम, जानें अपडेट - Kavach system

देखें रिपोर्ट (ETV Bharat)

पटना: पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चंद्र ने बताया कि धनबाद मंडल के 25 किलोमीटर लंबे टनकुपा पहाड़पुर गुरपा रेल खंड पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम लगाया गया है. उन्होंने बताया कि इसके तहत दो स्टेशनों के मध्य लगभग प्रत्येक एक किलोमीटर की दूरी पर सिग्नल लगाए जाते हैं. इस सिग्नल के सहारे ट्रेन एक दूसरे के पीछे चलती रहेगी. अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी कुछ खराबी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाती है. इससे जो ट्रेन जहां है, वहीं पर रुक जाएगी और इससे दुर्घटना नहीं होगी.

"ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू हो जाने से एक ही रूट पर लगभग एक किलोमीटर के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेन चल सकेगी. इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ संख्या भी बढ़ सकेगी. कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकालने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा."- सरस्वती चंद्र, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पूर्व मध्य रेलवे

ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम के लाभ?: ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के कई फायदे हैं. स्टेशन यार्ड से ट्रेन को आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा. यानी एक ब्लॉक क्षेत्र में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चल सकेगी. इससे ट्रेनों का लोकेशन की जानकारी भी मिल सकेगी. रेल यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने में समय नहीं लगेगा. ट्रेन अपने निर्धारित समय से चलेगी.

क्या बोले पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ?: सीपीआरओ सरस्वती चंद्र ने बताया कि अभी एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम परंपरागत चल रहा है. जिसमें एक ब्लाक क्षेत्र में ट्रेन के अगले स्टेशन पर पहुंच जाने के बाद पीछे वाली ट्रेन को आगे बढ़ाने के लिए ग्रीन सिग्नल मिलता है. जिससे खाली रेल लाइनों की क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पता है. इसको ध्यान में रखते हुए धनबाद मंडल में ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम लगाया गया है. 204 किलोमीटर प्रोजेक्ट का एक भाग में इस प्रोजेक्ट पर लगभग 202 करोड रुपये लागत आने का अनुमान है.

सुरक्षा के साथ ही स्पीड भी बढ़ेगी: पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ ने बताया कि आने वाले समय में पूर्व मध्य रेल के पांचों मंडलों में ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम लगाया जाएगा, जिससे ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी. इससे रेल हादसा पर अंकुश लगेगा. उन्होंने कहा कि पूर्व मध्य रेलवे प्रशासन की तरफ से यात्रियों की सुविधाओं के लिए अधिक से अधिक ट्रैफिक के लिए आधुनिक उन्नत तकनीक के तहत ट्रेनों की बेहतर परिचालन के लिए ऑटोमेटिक ब्लॉक सिंगल सिस्टम में परिवर्तित किया जा रहा है.

कैसे करेगा काम?: अभी वर्तमान में एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच की दूरी 10 से 12 किलोमीटर तक होती है. ट्रेन को यह दूरी तय करने में 10 से 15 मिनट का समय लगता है. पहले गई ट्रेन के पीछे 15 मिनट के बाद दूसरी ट्रेन को चलाई जाती है. एक ट्रेन जब दूसरे रेलवे स्टेशन पर पहुंच जाती है, तब तक दूसरी ट्रेन को रेलवे स्टेशन पर खड़ा रहना पड़ता है. रेलवे ऑटोमेटिक ब्लॉक सिस्टम के माध्यम से ट्रेन के समय को कम कर चलाने का प्रयास कर रहा है और आने वाले समय में एक ब्लाक पर आसानी से कई ट्रेन को चलाई जा सकेगा.

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