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यूपी में अवैध निर्माण रोकने प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड फेल, शासन की रिपोर्ट में खुलासा - UTTAR PRADESH HOUSING DEPARTMENT

उत्तर प्रदेश आवास विभाग ने जारी की समीक्षा रिपोर्ट, प्रयागराज विकास प्राधिकरण पहले तो लखनऊ विकास प्राधिकरण पांचवे स्थान पर

उत्तर प्रदेश आवास विभाग ने जारी की समीक्षा रिपोर्ट.
उत्तर प्रदेश आवास विभाग ने जारी की समीक्षा रिपोर्ट. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 10, 2024, 5:12 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश आवास विभाग की रिपोर्ट में प्रदेश के विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड अवैध निर्माण रोकने में फेल बताया है. आवास विभाग की जारी समीक्षा रिपोर्ट रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ समेत 14 शहरों में अवैध निर्माण और अनियोजित विकास को रोकने में विकास प्राधिकरण फेल साबित हो रहे हैं. उप्र आवास विकास एवं परिषद भी अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने में नाकाम है. अवैध निमाणों पर कार्रवाई में प्रयागराज विकास प्राधिकरण पहले स्थान पर और लखनऊ विकास प्राधिकरण पांचवे स्थान पर है.

एलडीए में बढ़ रहे लंबित प्रकरणः एलडीए में लंबित प्रकरण दिसंबर 2020 में 12074 थे. मार्च 2021 में इनकी संख्या 12395 हो गई और जून 2024 के अंत में यह आंकड़ा 17799 पर पहुंच गया. आवास विभाग ने रिपोर्ट में कहा है कि अवैध निमार्णों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. अवैध निर्माण चिह्नित करने के बाद कार्रवाई नहीं होती है. यही वजह है कि 99.02 प्रतिशत प्रकरण में कार्रवाई लंबित हैं. अवैध निर्माण की शिकायत या उच्च अधिकारियों की जानकारी में आने के बाद कार्रवाई होती है. ऑनलाइन व्यवस्था प्रवर्तन एप के लागू होने के बावजूद असर नहीं दिखाई दे रहा है.

लखनऊ 17799 अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई लंबितः एलडीए ने करीब 19079 अवैध निर्माण चिह्नित किए. इनमें से 17799 अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई लंबित है. वहीं, प्रयागराज में 34525 अवैध निर्माणों को चिहिन्त किया गया, जबकि 34504 के खिलाफ कार्यवाही लंबित है. नोटिस देने में तेजी आई है मगर सीलिंग व ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की जा रही है. कई ऐसे मामलों में सीलिंग के बाद सील खोल दी गई या फिर निर्माण पूरा कर लिया गया. रिहाइश या व्यावसायिक उपयोग शुरू हो गया. इसके बाद कार्रवाई को भी बंद मान लिया जाता है. इसके बाद अवैध निर्माण तोड़ने की कवायद नहीं होती.

रिपोर्ट न देने के कारण शिकायतों का नहीं हो रहा निराकरणः आवास एवं शहरी नियोजन की ओर से अवगत कराया गया कि उच्च स्तर पर विभिन्न प्राधिकरणों में अवैध निर्माण व अतिक्रमण सम्बन्धी शिकायतें प्राप्त होती हैं. जिन्हें शासन की तरफ से सम्बन्धित प्राधिकरणों से रिपोर्ट मांगी जाती है परन्तु इन शिकायतों पर रिपोर्ट नहीं दी जाती है. इसके चलते शिकायतों को निराकरण नहीं हो पा रहा है.

प्रमुख सचिव ने कार्रवाई के दिए निर्देशः उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने बताया कि अब आवास विभाग ने निर्देश दिए हैं कि लम्बित अवैध निर्माणों की गहन समीक्षा की जाए. बड़े अवैध निर्माणों, शासकीय भूमि पर किये गये अवैध निर्माण को चिन्हित कर प्राथमिकता के आधार पर नियमानुसार ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाए. जिससे अवैध निर्माणकताओं पर अकुंश लग सके. अनधिकृत निर्माण से सम्बन्धित साफ्टवेयर 'प्रवर्तन एप' का प्रयोग किए जाने के आदेश विशेष क्षेत्र व विकास प्राधिकरणों को दिए गए हैं.

13 प्राधिकरण नहीं कर रहे प्रवर्तन एक का प्रयोगः दीपक कुमार ने बताया कि समीक्षा में सामने आया है कि अनधिकृत निर्माण से सम्बन्धित साफ्टवेयर 'प्रवर्तन एप' का प्रयोग 11 अभिकरणों की ओर से नहीं किया जा रहा है. इनमें मथुरा वृन्दावन, बागपत, बस्ती, बांदा, रामपुर, चित्रकूट, मिजापुर, कपिलवस्तु, कुशीनगर एवं शक्तिनगर (सोनभद्र) इस साफ्टवेयर का उपयोग नहीं कर रहे हैं. 13 शहरों में अवैध निर्माण व अनियोजित विकास को रोकने में फेल साबित हो रहे विकास प्राधिकरण, आवास विकास की योजनाओं में भी तेजी से बढ़े अवैध निर्माणों की संख्या के सापेक्ष 243584 (99.02 प्रतिशत) प्रकरण निस्तारण के लिए लम्बित हैं. 5000 से अधिक निस्तारण के लिए लम्बित प्रकरण वाले विकास प्राधिकरणों की प्रगति समीक्षा में यह रिपोर्ट सामने आई है.

इसे भी पढ़ें-अवैध निर्माण पर LDA का एक्शन; एक व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स और 12 रो-हाउस भवन सील

लखनऊ: उत्तर प्रदेश आवास विभाग की रिपोर्ट में प्रदेश के विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड अवैध निर्माण रोकने में फेल बताया है. आवास विभाग की जारी समीक्षा रिपोर्ट रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ समेत 14 शहरों में अवैध निर्माण और अनियोजित विकास को रोकने में विकास प्राधिकरण फेल साबित हो रहे हैं. उप्र आवास विकास एवं परिषद भी अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने में नाकाम है. अवैध निमाणों पर कार्रवाई में प्रयागराज विकास प्राधिकरण पहले स्थान पर और लखनऊ विकास प्राधिकरण पांचवे स्थान पर है.

एलडीए में बढ़ रहे लंबित प्रकरणः एलडीए में लंबित प्रकरण दिसंबर 2020 में 12074 थे. मार्च 2021 में इनकी संख्या 12395 हो गई और जून 2024 के अंत में यह आंकड़ा 17799 पर पहुंच गया. आवास विभाग ने रिपोर्ट में कहा है कि अवैध निमार्णों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. अवैध निर्माण चिह्नित करने के बाद कार्रवाई नहीं होती है. यही वजह है कि 99.02 प्रतिशत प्रकरण में कार्रवाई लंबित हैं. अवैध निर्माण की शिकायत या उच्च अधिकारियों की जानकारी में आने के बाद कार्रवाई होती है. ऑनलाइन व्यवस्था प्रवर्तन एप के लागू होने के बावजूद असर नहीं दिखाई दे रहा है.

लखनऊ 17799 अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई लंबितः एलडीए ने करीब 19079 अवैध निर्माण चिह्नित किए. इनमें से 17799 अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई लंबित है. वहीं, प्रयागराज में 34525 अवैध निर्माणों को चिहिन्त किया गया, जबकि 34504 के खिलाफ कार्यवाही लंबित है. नोटिस देने में तेजी आई है मगर सीलिंग व ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की जा रही है. कई ऐसे मामलों में सीलिंग के बाद सील खोल दी गई या फिर निर्माण पूरा कर लिया गया. रिहाइश या व्यावसायिक उपयोग शुरू हो गया. इसके बाद कार्रवाई को भी बंद मान लिया जाता है. इसके बाद अवैध निर्माण तोड़ने की कवायद नहीं होती.

रिपोर्ट न देने के कारण शिकायतों का नहीं हो रहा निराकरणः आवास एवं शहरी नियोजन की ओर से अवगत कराया गया कि उच्च स्तर पर विभिन्न प्राधिकरणों में अवैध निर्माण व अतिक्रमण सम्बन्धी शिकायतें प्राप्त होती हैं. जिन्हें शासन की तरफ से सम्बन्धित प्राधिकरणों से रिपोर्ट मांगी जाती है परन्तु इन शिकायतों पर रिपोर्ट नहीं दी जाती है. इसके चलते शिकायतों को निराकरण नहीं हो पा रहा है.

प्रमुख सचिव ने कार्रवाई के दिए निर्देशः उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने बताया कि अब आवास विभाग ने निर्देश दिए हैं कि लम्बित अवैध निर्माणों की गहन समीक्षा की जाए. बड़े अवैध निर्माणों, शासकीय भूमि पर किये गये अवैध निर्माण को चिन्हित कर प्राथमिकता के आधार पर नियमानुसार ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाए. जिससे अवैध निर्माणकताओं पर अकुंश लग सके. अनधिकृत निर्माण से सम्बन्धित साफ्टवेयर 'प्रवर्तन एप' का प्रयोग किए जाने के आदेश विशेष क्षेत्र व विकास प्राधिकरणों को दिए गए हैं.

13 प्राधिकरण नहीं कर रहे प्रवर्तन एक का प्रयोगः दीपक कुमार ने बताया कि समीक्षा में सामने आया है कि अनधिकृत निर्माण से सम्बन्धित साफ्टवेयर 'प्रवर्तन एप' का प्रयोग 11 अभिकरणों की ओर से नहीं किया जा रहा है. इनमें मथुरा वृन्दावन, बागपत, बस्ती, बांदा, रामपुर, चित्रकूट, मिजापुर, कपिलवस्तु, कुशीनगर एवं शक्तिनगर (सोनभद्र) इस साफ्टवेयर का उपयोग नहीं कर रहे हैं. 13 शहरों में अवैध निर्माण व अनियोजित विकास को रोकने में फेल साबित हो रहे विकास प्राधिकरण, आवास विकास की योजनाओं में भी तेजी से बढ़े अवैध निर्माणों की संख्या के सापेक्ष 243584 (99.02 प्रतिशत) प्रकरण निस्तारण के लिए लम्बित हैं. 5000 से अधिक निस्तारण के लिए लम्बित प्रकरण वाले विकास प्राधिकरणों की प्रगति समीक्षा में यह रिपोर्ट सामने आई है.

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