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19 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला, अपहरण के मामले में 4 लोगों को उम्र कैद की सजा - AURANGABAD CIVIL COURT

औरंगाबाद सिविल कोर्ट ने किडनैपिंग केस में 4 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. 19 साल बाद फैसला आया है.

Aurangabad Civil Court
औरंगाबाद सिविल कोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 11, 2024, 10:05 AM IST

औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद में अपहरण के मामले में 19 साल बाद कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. जिले के जमर थाना क्षेत्र में 19 साल पुराने अपहरण केस में व्यवहार न्यायालय ने चार आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है. मामला जम्होर थाना क्षेत्र के महथू ग्राम का है. जहां ईंट-भट्ठा से संचालक के बेटे को अपराधियों ने उठा लिया था.

19 साल पुराने मामले में आया फैसला: औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में एडीजे-5 उमेश प्रसाद ने जम्होर थाना क्षेत्र के एक मामले (कांड संख्या -101/95, एसटीआर -288/96) में सजा के बिन्दु पर सुनवाई करते हुए 3 दिसंबर को 4 आरोपियों को दोषी ठहराया है. दोषी ठहराए गए सभी अभियुक्तों को मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.

4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा: इस संबंध में एपीपी शिवपूजन प्रजापति ने बताया कि अभियुक्त रामवचन पाल, अनील सिंह, राजेश पासवान और मुनारिक राम को भारतीय दंड विधान की धारा 364/ए में हत्या के इरादे से अपहरण में उम्रकैद की सजा और दस हजार रुपये जुर्माना. जुर्माना नहीं देने की स्थिति में एक साल अतिरिक्त कारावास की सजा होगी.

1995 का है मामला: अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि प्राथमिकी सूचक गुप्तेश्वर सिंह ने 24 जुलाई 1995 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी. अपनी शिकायत में कहा था कि महथु में उनका ईंट-भट्ठा था, जिसकी देखभाल उनका बेटा उमेश कुमार करता था. घटना के दिन एक आदमी भट्ठा पर आकर बोला था कि ओबरा थाना के छोटा बाबू बुला रहे हैं. वे अपने लड़के के साथ सरसोली ग्राम पहुंचे तो एक जीप पीछे से आई और अभियुक्तों ने दौड़कर हमलोग को पकड़ा. फिर हाथ पीछे से बांध कर कहा कि आपसे पैसे मांगे थे, क्यों नहीं दिए?

पैसे के लिए किया था अगवा: अपहरण के बाद मारपीट करते हुए एक कागज पर लिखकर लिया कि 24 घंटे के अंदर 50 हजार रुपये अभियुक्तों को नहीं दिया तो उमेश कुमार की मौत के जिम्मेदार गुप्तेश्वर सिंह होंगे. गुप्तेश्वर सिंह काफी डरे सहमे हुए इसकी लिखित जानकारी थाने को दी थी. वर्षों तक सुनवाई के बाद 3 दिसम्बर 2024 को सभी अभियुक्तों को बंधपत्र विखंडित कर जेल भेज दिया गया था.

एक आरोपी की हो चुकी है माैत: अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि अभियुक्तों पर आरोप गठन 20 जुलाई 1997 को हुआ था. 19 साल बाद अब कोर्ट का फैसला आया है. इस वाद के एक अन्य अभियुक्त कपूर धोबी की मौत हो गई, जबकि एक अभियुक्त रामवचन सिंह का वाद पृथक चल रहा है.

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औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद में अपहरण के मामले में 19 साल बाद कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. जिले के जमर थाना क्षेत्र में 19 साल पुराने अपहरण केस में व्यवहार न्यायालय ने चार आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है. मामला जम्होर थाना क्षेत्र के महथू ग्राम का है. जहां ईंट-भट्ठा से संचालक के बेटे को अपराधियों ने उठा लिया था.

19 साल पुराने मामले में आया फैसला: औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में एडीजे-5 उमेश प्रसाद ने जम्होर थाना क्षेत्र के एक मामले (कांड संख्या -101/95, एसटीआर -288/96) में सजा के बिन्दु पर सुनवाई करते हुए 3 दिसंबर को 4 आरोपियों को दोषी ठहराया है. दोषी ठहराए गए सभी अभियुक्तों को मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.

4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा: इस संबंध में एपीपी शिवपूजन प्रजापति ने बताया कि अभियुक्त रामवचन पाल, अनील सिंह, राजेश पासवान और मुनारिक राम को भारतीय दंड विधान की धारा 364/ए में हत्या के इरादे से अपहरण में उम्रकैद की सजा और दस हजार रुपये जुर्माना. जुर्माना नहीं देने की स्थिति में एक साल अतिरिक्त कारावास की सजा होगी.

1995 का है मामला: अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि प्राथमिकी सूचक गुप्तेश्वर सिंह ने 24 जुलाई 1995 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी. अपनी शिकायत में कहा था कि महथु में उनका ईंट-भट्ठा था, जिसकी देखभाल उनका बेटा उमेश कुमार करता था. घटना के दिन एक आदमी भट्ठा पर आकर बोला था कि ओबरा थाना के छोटा बाबू बुला रहे हैं. वे अपने लड़के के साथ सरसोली ग्राम पहुंचे तो एक जीप पीछे से आई और अभियुक्तों ने दौड़कर हमलोग को पकड़ा. फिर हाथ पीछे से बांध कर कहा कि आपसे पैसे मांगे थे, क्यों नहीं दिए?

पैसे के लिए किया था अगवा: अपहरण के बाद मारपीट करते हुए एक कागज पर लिखकर लिया कि 24 घंटे के अंदर 50 हजार रुपये अभियुक्तों को नहीं दिया तो उमेश कुमार की मौत के जिम्मेदार गुप्तेश्वर सिंह होंगे. गुप्तेश्वर सिंह काफी डरे सहमे हुए इसकी लिखित जानकारी थाने को दी थी. वर्षों तक सुनवाई के बाद 3 दिसम्बर 2024 को सभी अभियुक्तों को बंधपत्र विखंडित कर जेल भेज दिया गया था.

एक आरोपी की हो चुकी है माैत: अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि अभियुक्तों पर आरोप गठन 20 जुलाई 1997 को हुआ था. 19 साल बाद अब कोर्ट का फैसला आया है. इस वाद के एक अन्य अभियुक्त कपूर धोबी की मौत हो गई, जबकि एक अभियुक्त रामवचन सिंह का वाद पृथक चल रहा है.

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