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छत्तीसगढ़ में ज्योतिष सम्मेलन, श्री महाकाल धाम में लगा विख्यात पंडितों का मेला

श्री महाकाल धाम में हुआ ज्योतिष सम्मेलन. देश भर से जुटे वास्तु शास्त्र के जानकार.

Astrology conference held at Mahakal Dham
खारुन नदी पर लगा विख्यात पंडितों का मेला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 14, 2024, 3:41 PM IST

Updated : Oct 14, 2024, 3:51 PM IST

रायपुर: दुर्ग के अमलेश्वर में श्री महाकाल धाम में रविवार को एक दिवसीय विराट ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन किया गया. छत्तीसगढ़ में अपनी तरह का ऐसा आयोजन दूसरी बार हुआ. ज्योतिष और वास्तुशास्त्रियों के लिए ये आयोजन ऐतिहासिक और सार्थक साबित हुआ. इस विराट ज्योतिष सम्मेलन में देशभर के सभी विख्यात ज्योतिषी, वास्तु शास्त्री, आचार्य, महामंडलेश्वर और महंत शामिल हुए. कार्यक्रम की शुरुआत में सुबह सबसे पहले भगवान महाकाल का राजसी श्रृंगार हुआ. महाकाल की आरती पुण्य मुहूर्त में हुई. इसके बाद देश के सभी हिस्सों से पधारे विद्वानों ने अपने व्याख्यान और शोध पत्र पढ़े.

श्री महाकाल धाम में ज्योतिष सम्मेलन: सम्मेलन में भोजन के बाद का सत्र प्रश्नोत्तर का था जिसमें विद्वानों ने सभी अतिथियों के प्रश्नों का उत्तर दिया और सभी का शंका समाधान किया. महाकाल धाम अमलेश्वर के प्रमुख पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने बताया कि सम्मेलन में ये बात सामने आई कि वैदिक ज्योतिष में भगवान शिव की एक केंद्रीय लेकिन जटिल भूमिका है, जो कई ग्रहों की ऊर्जाओं से जुड़े हैं, हालांकि उनके पास विशिष्ट ग्रह संबंध हैं. हम वैदिक ग्रंथों और शैव योग में अपने वर्षों के शोध से इनका पता लगाने का प्रयास किए हैं.

''सूर्य के साथ शिव का सबंध'': पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने कहा कि सूर्य के साथ शिव का संबंध शक्तिशाली और गहरा है. वह प्रत्यधि-देवता हैं. सूर्य के तीसरे स्तर के अंतिम देवता हैं. देवता के रूप में सूर्य और अधिदेवता के रूप में अग्नि के बाद शिव ब्रह्मांड में प्रकट और अव्यक्त, प्रकाश के अन्य सभी रूपों के पीछे शुद्ध पारलौकिक प्रकाश या प्रकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं. जिसकी शैव दर्शनों के साहित्य में विस्तार से चर्चा की गई है. स्वयं आत्मान, पुरुष के रूप में सूर्य हमारी उत्कृष्ट शिव प्रकृति, सर्वोच्च प्रकाश को इंगित करता है.

''शिव का संबंध उगते सूर्य से'': पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने कहा कि तमिलनाडु में अरुणाचल के पवित्र पर्वत पर, जहां भगवान रमण महर्षि रुके थे, शिव का संबंध उगते सूर्य से है. उन्होंने बताया कि सूर्य और समय की गति को नियंत्रित करने वाले महान ब्रह्मांडीय देवताओं की त्रिमूर्ति में से शिव विशेष रूप से सौर ऊर्जा के परिवर्तनकारी और विनाशकारी पहलू का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि विष्णु संरक्षक और ब्रह्मा निर्माता है. फिर भी शिव को अक्सर रात, अज्ञात, जादुई और रहस्यमयी संबंध के कारण चंद्रमा देवता के रूप में देखा जाता है. मंदिरों में शिव की पूजा हम आमतौर पर सोमवार को करते है. वह विशेष रूप से ढलते चंद्रमा से संबंधित है. उसके अस्त होने से ठीक पहले शिव अपने मस्तक पर अर्धचन्द्र धारण करते हैं.

टैरो कार्ड रीडर की भविष्यवाणी: टैरो कार्ड रीडर आकांक्षा ने भविष्यवाणी कि और कहा "देश की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी. मोदी आगे भी अपने पद पर बने रहेंगे. डॉ. राजेश ताम्रकार ने कहा राहु अद्भुत ग्रह है जातक को जबरदस्त लाभ दे सकते हैं. जबलपुर के डॉ. सुनील दुलहानी ने कहा कि "सनातन वैदिक ज्योतिष को सामान्य जातकों के समाधान के पांच ही मार्ग हैं. मंत्र जप दान स्वाध्याय सत्संग और यज्ञ, ज्योतिष और ज्योतिषियों को इसका दृढ़ता से पालन करना चाहिए. डॉ. शिखा पांडे ने अंगारक दोष, पितृ दोष, चांडाल दोष पर गंभीर बातें बताई और कहा कि इन दोषों की विधिवत शांति करा लेनी चाहिए."

बिना किसी पैसे की बनाई गई कुंडली: विराट ज्योतिष सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के अन्य जगहों से 100 से अधिक ख्यातिप्राप्त ज्योतिष वास्तुशास्त्री और आचार्यों ने हिस्सा लिया. 120 लोगो की जन्म कुंडली निःशुल्क बनाई गई. इस एक दिवसीय ज्योतिष सम्मेलन में विद्वान, ज्योतिषियों, वास्तु शास्त्रियों, आचार्यों महामंडलेश्वरों महंतों की उपस्थिति में यहां आने वाले लोगों की निजी समस्या और सवालों का समाधान बताने के साथ ही ज्योतिष और कर्मकांड को लेकर उनके हर प्रश्न का समाधान बताया गया.

ज्योतिष के जानकारों का लगा मेला: इस आयोजन में देश के विख्यात ज्योतिषगण ज्योतिष भास्कर, ज्योतिष शिरोमणि, ज्योतिष सम्राट और ज्योतिष भूषण की उपाधि से सम्मानित किए गए. इसके साथ ही कर्मकांड के विद्वानों को संत, राजर्षि, देवर्षि तथा ब्रम्हर्षि की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया. देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले कई विधाओं की विभूतियों को लाइफ टाइम एचीवमेंट सम्मान से अलंकृत किया गया.

खारुन नदी के तट पर है श्री महाकाल धाम: छत्तीसगढ़ के पवित्र पावन खारुन नदी के तट पर अमलेश्वर में स्थित श्री महाकाल धाम में भगवान स्वयंभू शिवलिंग के दिव्य दर्शन करने के साथ ही भक्त श्रीगणेश भगवान, मां दुर्गा प्रतिमा का दर्शन करते हैं. साथ ही शनिदेव की पूजा भी होती है. श्री महाकालधाम में पिछले 20 वर्षों से पलाश विधि के द्वारा नारायण नागबली, कालसर्प की पूजा, विवाह में आने वाली बाधाओं के निवारण के लिए कुंवारे युवाओं के अर्क विवाह और कन्याओं के कुंभ विवाह जैसे अनुष्ठान भी कराए जा रहे हैं.

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रायपुर: दुर्ग के अमलेश्वर में श्री महाकाल धाम में रविवार को एक दिवसीय विराट ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन किया गया. छत्तीसगढ़ में अपनी तरह का ऐसा आयोजन दूसरी बार हुआ. ज्योतिष और वास्तुशास्त्रियों के लिए ये आयोजन ऐतिहासिक और सार्थक साबित हुआ. इस विराट ज्योतिष सम्मेलन में देशभर के सभी विख्यात ज्योतिषी, वास्तु शास्त्री, आचार्य, महामंडलेश्वर और महंत शामिल हुए. कार्यक्रम की शुरुआत में सुबह सबसे पहले भगवान महाकाल का राजसी श्रृंगार हुआ. महाकाल की आरती पुण्य मुहूर्त में हुई. इसके बाद देश के सभी हिस्सों से पधारे विद्वानों ने अपने व्याख्यान और शोध पत्र पढ़े.

श्री महाकाल धाम में ज्योतिष सम्मेलन: सम्मेलन में भोजन के बाद का सत्र प्रश्नोत्तर का था जिसमें विद्वानों ने सभी अतिथियों के प्रश्नों का उत्तर दिया और सभी का शंका समाधान किया. महाकाल धाम अमलेश्वर के प्रमुख पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने बताया कि सम्मेलन में ये बात सामने आई कि वैदिक ज्योतिष में भगवान शिव की एक केंद्रीय लेकिन जटिल भूमिका है, जो कई ग्रहों की ऊर्जाओं से जुड़े हैं, हालांकि उनके पास विशिष्ट ग्रह संबंध हैं. हम वैदिक ग्रंथों और शैव योग में अपने वर्षों के शोध से इनका पता लगाने का प्रयास किए हैं.

''सूर्य के साथ शिव का सबंध'': पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने कहा कि सूर्य के साथ शिव का संबंध शक्तिशाली और गहरा है. वह प्रत्यधि-देवता हैं. सूर्य के तीसरे स्तर के अंतिम देवता हैं. देवता के रूप में सूर्य और अधिदेवता के रूप में अग्नि के बाद शिव ब्रह्मांड में प्रकट और अव्यक्त, प्रकाश के अन्य सभी रूपों के पीछे शुद्ध पारलौकिक प्रकाश या प्रकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं. जिसकी शैव दर्शनों के साहित्य में विस्तार से चर्चा की गई है. स्वयं आत्मान, पुरुष के रूप में सूर्य हमारी उत्कृष्ट शिव प्रकृति, सर्वोच्च प्रकाश को इंगित करता है.

''शिव का संबंध उगते सूर्य से'': पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने कहा कि तमिलनाडु में अरुणाचल के पवित्र पर्वत पर, जहां भगवान रमण महर्षि रुके थे, शिव का संबंध उगते सूर्य से है. उन्होंने बताया कि सूर्य और समय की गति को नियंत्रित करने वाले महान ब्रह्मांडीय देवताओं की त्रिमूर्ति में से शिव विशेष रूप से सौर ऊर्जा के परिवर्तनकारी और विनाशकारी पहलू का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि विष्णु संरक्षक और ब्रह्मा निर्माता है. फिर भी शिव को अक्सर रात, अज्ञात, जादुई और रहस्यमयी संबंध के कारण चंद्रमा देवता के रूप में देखा जाता है. मंदिरों में शिव की पूजा हम आमतौर पर सोमवार को करते है. वह विशेष रूप से ढलते चंद्रमा से संबंधित है. उसके अस्त होने से ठीक पहले शिव अपने मस्तक पर अर्धचन्द्र धारण करते हैं.

टैरो कार्ड रीडर की भविष्यवाणी: टैरो कार्ड रीडर आकांक्षा ने भविष्यवाणी कि और कहा "देश की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी. मोदी आगे भी अपने पद पर बने रहेंगे. डॉ. राजेश ताम्रकार ने कहा राहु अद्भुत ग्रह है जातक को जबरदस्त लाभ दे सकते हैं. जबलपुर के डॉ. सुनील दुलहानी ने कहा कि "सनातन वैदिक ज्योतिष को सामान्य जातकों के समाधान के पांच ही मार्ग हैं. मंत्र जप दान स्वाध्याय सत्संग और यज्ञ, ज्योतिष और ज्योतिषियों को इसका दृढ़ता से पालन करना चाहिए. डॉ. शिखा पांडे ने अंगारक दोष, पितृ दोष, चांडाल दोष पर गंभीर बातें बताई और कहा कि इन दोषों की विधिवत शांति करा लेनी चाहिए."

बिना किसी पैसे की बनाई गई कुंडली: विराट ज्योतिष सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के अन्य जगहों से 100 से अधिक ख्यातिप्राप्त ज्योतिष वास्तुशास्त्री और आचार्यों ने हिस्सा लिया. 120 लोगो की जन्म कुंडली निःशुल्क बनाई गई. इस एक दिवसीय ज्योतिष सम्मेलन में विद्वान, ज्योतिषियों, वास्तु शास्त्रियों, आचार्यों महामंडलेश्वरों महंतों की उपस्थिति में यहां आने वाले लोगों की निजी समस्या और सवालों का समाधान बताने के साथ ही ज्योतिष और कर्मकांड को लेकर उनके हर प्रश्न का समाधान बताया गया.

ज्योतिष के जानकारों का लगा मेला: इस आयोजन में देश के विख्यात ज्योतिषगण ज्योतिष भास्कर, ज्योतिष शिरोमणि, ज्योतिष सम्राट और ज्योतिष भूषण की उपाधि से सम्मानित किए गए. इसके साथ ही कर्मकांड के विद्वानों को संत, राजर्षि, देवर्षि तथा ब्रम्हर्षि की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया. देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले कई विधाओं की विभूतियों को लाइफ टाइम एचीवमेंट सम्मान से अलंकृत किया गया.

खारुन नदी के तट पर है श्री महाकाल धाम: छत्तीसगढ़ के पवित्र पावन खारुन नदी के तट पर अमलेश्वर में स्थित श्री महाकाल धाम में भगवान स्वयंभू शिवलिंग के दिव्य दर्शन करने के साथ ही भक्त श्रीगणेश भगवान, मां दुर्गा प्रतिमा का दर्शन करते हैं. साथ ही शनिदेव की पूजा भी होती है. श्री महाकालधाम में पिछले 20 वर्षों से पलाश विधि के द्वारा नारायण नागबली, कालसर्प की पूजा, विवाह में आने वाली बाधाओं के निवारण के लिए कुंवारे युवाओं के अर्क विवाह और कन्याओं के कुंभ विवाह जैसे अनुष्ठान भी कराए जा रहे हैं.

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Last Updated : Oct 14, 2024, 3:51 PM IST
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