देहरादून: उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत तमाम राजकीय महाविद्यालयों को नए असिस्टेंट प्रोफेसर्स मिलने जा रहे हैं. दरअसल हाल ही में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा की गई भर्ती में चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर को पहली तैनाती दी गई है. इस तरह चयनित अभ्यर्थियों का तैनाती को लेकर इंतजार खत्म हुआ है. वहीं रिक्त पदों पर भी स्थायी तैनाती की जा सकती है.
राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा हाल ही में 37 असिस्टेंट प्रोफेसर्स चयनित किए गए थे, जो अपनी पहली तैनाती पाने का इंतजार कर रहे थे. इसमें राजनीति शास्त्र और भूगोल के असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल हैं. इस तरह राजकीय महाविद्यालयों में रिक्त चल रहे 22 राजनीति शास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर और 15 भूगोल के असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों को भी भरा जा सका है.
खास बात यह भी है कि इन सभी असिस्टेंट प्रोफेसर को पहली नियुक्ति दूरस्थ के महाविद्यालय में दी गई है. इस तरह जिन महाविद्यालय में रिक्त पदों के सापेक्ष स्थायी नियुक्ति की सबसे ज्यादा जरूरत है, वहां पर छात्र-छात्राओं को अब इन दोनों ही विषयों के प्रोफेसर मिल सकेंगे. हालांकि काफी समय से ही महाविद्यालय में ढांचा का सुविधाओं को बेहतर करने के प्रयास किया जा रहे हैं. इस दौरान स्थायी शिक्षकों की कमी को भी दूर करने की कोशिश हो रही है. जिसके तहत विभिन्न विषयों के प्रोफेसर की स्थायी नियुक्तियां की जा रही हैं.
शिक्षकों की कमी को उच्च शिक्षा विभाग में पूरा करने के हो रहे इस प्रयास के जरिए महाविद्यालयों की नैक ग्रेडिंग में भी इससे सुधार आने की उम्मीद है. उधर स्थायी सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति से प्रभावित गेस्ट फैकल्टी का भी किसी दूसरे महाविद्यालय में समायोजन करने के प्रयास किये जा रहे हैं. उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि महाविद्यालयों में सौ प्रतिशत शिक्षकों की नियुक्ति के प्रयास किया जा रहे हैं, ताकि शैक्षणिक माहौल को बेहतर किया जा सके.
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