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DU हॉस्टल में तय समय से अधिक रहने पर सहायक प्रोफेसर पर साढ़े छह लाख की पेनल्टी - DU Hostel Penalty Case

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने तय समय से अधिक समय तक हॉस्टल में रहने पर अपने सहायक प्रोफेसर पर भारी जुर्माना लगाया है. इसके बाद से शिक्षकों में भारी रोष है. जानें पूरा मामला...

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 25, 2024, 10:28 PM IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी
दिल्ली यूनिवर्सिटी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की दृष्टिबाधित सहायक प्रो. शर्मिष्ठा अत्रेजा को गर्ल्स हॉस्टल में तय समय से अधिक समय तक रहने के लिए 6.74 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा गया है. वे गर्ल्स हॉस्टल में दो साल से अधिक समय से रह रही थीं. अत्रेजा वर्ष 2015 से डीयू में दर्शनशास्त्र पढ़ा रही हैं. उन्हें 2021 में हॉस्टल के ग्राउंड फ्लोर पर दो साल के लिए एक कमरा आवंटित किया गया था, जब वह रेजिडेंट ट्यूटर बन गईं.

हालांकि, अगस्त 2022 में दो साल पूरे होने के बाद उन्हें कमरा खाली करने के लिए कहा गया. उन्हें मॉल रोड पर एक और आवास आवंटित किया गया था, लेकिन अत्रेजा ने कहा कि यह ग्राउंड फ्लोर पर नहीं था और उनकी स्थिति खुद दिव्यांग और बूढ़े मां-बाप के कारण वहां पहुंचना संभव नहीं था. दिल्ली हाईकोर्ट में जाने के बाद उन्हें एक अलग आवास आवंटित किया गया. यह आवास ग्राउंड फ्लोर पर था.

अत्रेजा ने कहा कि घर की हालत बहुत खराब है और बाथरूम में वॉशबेसिन नहीं है. इस बीच विश्वविद्यालय ने तय समय से अधिक समय तक रहने के लिए हर महीने उनके वेतन से 30 प्रतिशत राशि काटनी शुरू कर दी. इस मामले को लेकर डीयू प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने कहा कि वे अत्रेजा पर नरम रुख अपना रहे हैं. उन्हें 13 लाख रुपए से अधिक चुकाने थे, जिसे आधा कर दिया गया है और तनख्वाह में से थोड़ा-थोड़ा काटा जा रहा है. दूसरी ओर, डीयू के निर्णय के बाद शिक्षकों में आक्रोश है और उन्होंने इसे वापस लेने की मांग की है.

अकादमिक परिषद सदस्यों ने कुलपति को लिखा पत्रः इस मामले को लेकर डीयू की अकादमिक परिषद की सदस्य डॉ. नीलम और डॉ. मेघराज ने मामले को लेकर डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखकर अत्रेजा पर लगाई गई पेनल्टी को वापस लेने की मांग की है. पत्र में लिखा है कि न्यायालय के हस्तक्षेप से उन्हें मार्च 2024 में मौरिस नगर में आवास आवंटित किया गया. आवास आवंटित होने के बाद उन्होंने राजीव गांधी हॉस्टल तुरंत खाली कर दिया, जब तक वो राजीव गांधी हॉस्टल में रहीं तब तक नियमित रूप से उनके वेतन से एचआरए और लाइसेंस शुल्क काटा जाता रहा है, जब वेतन से एचआरए और लाइसेंस शुल्क कट रहा था तो फिर उन पर विश्वविद्यालय परिसर पर अवैध क़ब्ज़े का मामला कैसे बन सकता है.

आगे लिखा गया है कि किस आधार पर उन पर पेनल्टी लगाई जा सकती है. सुश्री शर्मिष्ठा जी की परिस्थितियों को समझते हुए उन पर लगाई पेनल्टी को रद्द करें. साथ ही जो घर उन्हें आवंटित किया गया है उसमें कई तरह की अभी भी कमियां है. विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विभाग को तुरंत निर्देश दिए जाएं कि उन कमियों को दूर किया जाए. बता दें, डॉक्टर अत्रेजा सिंगल हैं और वे अपने बूढ़े माता पिता के साथ रहती हैं.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के सेकेंड ट्रांच के पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू - DU RECRUITMENT PROCESS

यह भी पढ़ेंः दिल्ली विश्वविद्यालय के PG, B.TECH और लॉ कोर्स में दाखिले की पहली सूची 22 जून को, जानें कब तक है सीट लॉक करने का मौका

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की दृष्टिबाधित सहायक प्रो. शर्मिष्ठा अत्रेजा को गर्ल्स हॉस्टल में तय समय से अधिक समय तक रहने के लिए 6.74 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा गया है. वे गर्ल्स हॉस्टल में दो साल से अधिक समय से रह रही थीं. अत्रेजा वर्ष 2015 से डीयू में दर्शनशास्त्र पढ़ा रही हैं. उन्हें 2021 में हॉस्टल के ग्राउंड फ्लोर पर दो साल के लिए एक कमरा आवंटित किया गया था, जब वह रेजिडेंट ट्यूटर बन गईं.

हालांकि, अगस्त 2022 में दो साल पूरे होने के बाद उन्हें कमरा खाली करने के लिए कहा गया. उन्हें मॉल रोड पर एक और आवास आवंटित किया गया था, लेकिन अत्रेजा ने कहा कि यह ग्राउंड फ्लोर पर नहीं था और उनकी स्थिति खुद दिव्यांग और बूढ़े मां-बाप के कारण वहां पहुंचना संभव नहीं था. दिल्ली हाईकोर्ट में जाने के बाद उन्हें एक अलग आवास आवंटित किया गया. यह आवास ग्राउंड फ्लोर पर था.

अत्रेजा ने कहा कि घर की हालत बहुत खराब है और बाथरूम में वॉशबेसिन नहीं है. इस बीच विश्वविद्यालय ने तय समय से अधिक समय तक रहने के लिए हर महीने उनके वेतन से 30 प्रतिशत राशि काटनी शुरू कर दी. इस मामले को लेकर डीयू प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने कहा कि वे अत्रेजा पर नरम रुख अपना रहे हैं. उन्हें 13 लाख रुपए से अधिक चुकाने थे, जिसे आधा कर दिया गया है और तनख्वाह में से थोड़ा-थोड़ा काटा जा रहा है. दूसरी ओर, डीयू के निर्णय के बाद शिक्षकों में आक्रोश है और उन्होंने इसे वापस लेने की मांग की है.

अकादमिक परिषद सदस्यों ने कुलपति को लिखा पत्रः इस मामले को लेकर डीयू की अकादमिक परिषद की सदस्य डॉ. नीलम और डॉ. मेघराज ने मामले को लेकर डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखकर अत्रेजा पर लगाई गई पेनल्टी को वापस लेने की मांग की है. पत्र में लिखा है कि न्यायालय के हस्तक्षेप से उन्हें मार्च 2024 में मौरिस नगर में आवास आवंटित किया गया. आवास आवंटित होने के बाद उन्होंने राजीव गांधी हॉस्टल तुरंत खाली कर दिया, जब तक वो राजीव गांधी हॉस्टल में रहीं तब तक नियमित रूप से उनके वेतन से एचआरए और लाइसेंस शुल्क काटा जाता रहा है, जब वेतन से एचआरए और लाइसेंस शुल्क कट रहा था तो फिर उन पर विश्वविद्यालय परिसर पर अवैध क़ब्ज़े का मामला कैसे बन सकता है.

आगे लिखा गया है कि किस आधार पर उन पर पेनल्टी लगाई जा सकती है. सुश्री शर्मिष्ठा जी की परिस्थितियों को समझते हुए उन पर लगाई पेनल्टी को रद्द करें. साथ ही जो घर उन्हें आवंटित किया गया है उसमें कई तरह की अभी भी कमियां है. विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विभाग को तुरंत निर्देश दिए जाएं कि उन कमियों को दूर किया जाए. बता दें, डॉक्टर अत्रेजा सिंगल हैं और वे अपने बूढ़े माता पिता के साथ रहती हैं.

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