रांची: राज्य के उग्रवाद प्रभावित 12 जिलों की सहायक पुलिस अपनी मांगों को लेकर रांची के मोरहाबादी मैदान में अनिश्चितकालीन आंदोलन पर है. आज विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सैकड़ों की संख्या में सहायक पुलिस के महिला और पुरुष जवान अलग अलग रास्तों से विधानसभा के मुख्य भवन के पास तक पहुंच गए. उन्हें रोकने में पुलिस अधिकारियों के हाथ पांव फुल गए. ये सभी आंदोलित सहायक पुलिस के जवान विधानसभा के गेट नंबर 01 के करीब सड़क किनारे बैनर तख्ती के साथ वर्दी में बैठकर अपनी मांग कर रहे हैं.
लोहरदगा से आई महिला सहायक पुलिस जवान स्मिता ने कहा कि 2017 में उनकी बहाली हुई थी. पिछले 7 वर्षों में एक पैसा भी मानदेय में नहीं बढ़ा है. सरकार आश्वासन देती है लेकिन उसे पूरा नहीं करती. निषेधाज्ञा वाले क्षेत्र में कानून तोड़कर पहुंच जाने के सवाल पर सहायक पुलिस स्मिता कहती हैं कि आखिर उनके पास रास्ता क्या बचा हुआ है, वह पिछले कई दिनों से मोरहाबादी मैदान में आंदोलन पर हैं लेकिन कोई उनका हाल समाचार लेने भी नहीं पहुंचा है.
2017 में रघुवर दास के राज में हुई थी सहायक पुलिस की अनुबंध पर नियुक्ति
रघुवर दास की सरकार के दौरान 2017 में राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों में विधि व्यवस्था दुरुस्त रखने में सहायता के लिए इन सहायक पुलिस की नियुक्ति हुई थी. तब उन्हें 10 हजार रुपये मासिक दिया जाता था. सहायक पुलिसकर्मियों की मानें तो आज भी उन्हें 10 हजार रुपया ही मिलता है और हर साल सेवा विस्तार के लिए साहबों की ओर टकटकी निगाह से देखना पड़ता है.
सोमवार 1 जुलाई को पदस्थापन वाले जिलों में सामूहिक अवकाश पर रहने के बाद इन्होंने अनिश्चितकालीन आंदोलन रांची के मोरहाबादी मैदान में शुरू किया था. आज अपनी मांग सरकार तक पहुंचाने के लिए वर्दी में ही सहायक पुलिसकर्मियों का जत्था विधानसभा के दहलीज तक पहुंच गया.
ये भी पढ़ेंः