नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी द्वारा बुधवार को अस्मिता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कथाकार चंद्रकांता ने की. वहीं सुमति सक्सेना लाल, सुनीता एवं वंदना गुप्ता ने अपनी कहानियां प्रस्तुत की. सबसे पहले सुनीता ने ‘लेबर चौक’ कहानी का पाठ किया, जिसमें शिक्षित से लेकर किसानों की बेरोजगारी का जिक्र किया गया. कहानी का विशेष पक्ष लोकभाषा का रहा.
इसके बाद वंदना गुप्ता ने अपनी कहानी ‘राष्ट्रपति भवन के कंकड़’ प्रस्तुत की. कहानी भूमि अधिग्रहण से उपजी समस्याओं पर केंद्रित थी. फिर सुमति सक्सेना लाल ने अपनी कहानी ‘ऋणबद्ध’ प्रस्तुत की, जिसमें संतान के अपने माता-पिता के प्रति कर्त्तव्यों की पृष्ठभूमि थी, लेकिन पुत्र का सवाल था कि माता-पिता के भी तो कुछ कर्तव्य होते हैं?
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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही चंद्रकांता ने कश्मीर के आतंकवाद पर लिखी अपनी कहानी ‘आवाज’ प्रस्तुत की. अपने वक्तव्य में चंद्रकांता ने कहा कि कई आलोचक जब आधे अधूरे आंकलन के बाद किसी लेखक या लेखिका को किसी खास घेरे में बांधकर फतवे जारी करते हैं, तो ये मर्यादा के अनुकूल नहीं होता है. लेखन के कार्य को किसी खास सांचे में नहीं ढाला जा सकता. वह स्वयं ही अपने परिवेश और अनुभवों से उत्पन्न होता है. कार्यक्रम में भारी संख्या में लेखक एवं पत्रकार उपस्थित रहे, जिसका संचालन अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया.
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