जयपुर : आज अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है. राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता को लेकर लंबे समय से चली आ रही मांग आज एक बार फिर चर्चा में है. एक तरफ जहां राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मुहिम चलाई जा रही है, वहीं इस मुद्दे पर सियासी बयानबाजी भी जोर पकड़ रही है. राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश की भजनलाल सरकार से मांग की है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर राजस्थानी भाषा को संविधान के अनुच्छेद 345 के तहत आधिकारिक भाषा की मान्यता देने पर विचार करे.
अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बयान जारी कर कहा, "राजस्थान सरकार भी उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर संविधान के अनुच्छेद 345 के तहत स्थानीय भाषा को आधिकारिक भाषा की मान्यता देने पर विचार करे. हमारी सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेजा था." उन्होंने आगे कहा, "आज अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर राजस्थान के विभिन्न जिलों में बोली-बोलियों सहित राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को दोहराते हैं. अगस्त, 2003 में हमारी सरकार ने राजस्थान विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था."
राजस्थान सरकार भी उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज़ पर संविधान के अनुच्छेद 345 के तहत स्थानीय भाषा को अधिकारिक भाषा की मान्यता देने पर विचार करे।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) February 21, 2025
आज अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर राजस्थान के विभिन्न जिलों में बोली बोलियों सहित राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की…
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लंबे समय से जारी है मान्यता की मांग : दरअसल, राजस्थानी भाषा की मान्यता और इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग बहुत लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन राजस्थान में भी भाषायी विविधता के कारण अब तक राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिली है. अब बुद्धिजीवियों का कहना है कि राज्य सरकार राजस्थानी भाषा को द्वितीय भाषा के तौर पर मान्यता दे सकती है. इसके लिए इसका संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होना जरूरी नहीं है.