पटना: बिहार के मंत्री और जेडीयू के दिग्गज नेता अशोक चौधरी की ओर से भूमिहारों पर की गई टिप्पणी से उपचुनाव के लिए बेलागंज सीट का इक्वेशन गड़बड़ा सकता है. बिहार की 4 सीटों पर होने वाले उपचुनाव होना है. अशोक चौधरी ने भूमिहार समाज पर विवादित टिप्पणी ने सियासी पारा बढ़ा दिया है. चुनाव आयोग कभी भी चुनाव की तिथि घोषित कर सकता है. एनडीए और इंडिया गठबंधन के घटक दलों की ओर से चुनाव को लेकर तैयारी भी शुरू है.
उप चुनाव के लिए आयोग की घोषणा का इंतजार: विधानसभा उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने अभी तिथि की घोषणा नहीं की है, लेकिन चर्चा है कि इस महीने कभी भी चुनाव की घोषणा आयोग कर सकता है. एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच ही सीधा मुकाबला होना है लेकिन प्रशांत किशोर की पार्टी के कारण रामगढ़ में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. जदयू को बेलागंज सीट मिलना तय है लेकिन जदयू के तरफ से अभी तक उम्मीदवार तय नहीं हुआ है सस्पेंस बना हुआ है अशोक चौधरी के बयान के बाद बेलागंज में किसे उतारा जाए यह नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती है.
जदयू के लिए बेलागंज सीट टफ: एनडीए में अशोक चौधरी के बयान के बाद उपचुनाव में जदयू के लिए बेलागंज सीट और कठिन हो गया है. बेलागंज से ऐसे भी सुरेंद्र यादव लगातार चुनाव जीतते रहे हैं. उनके सांसद बनने के कारण ही यह सीट खाली हुआ है. जदयू के तरफ से अभी तक उम्मीदवार पर फैसला नहीं हुआ है. राजद का कहना है कि बयानवीरों का असर उपचुनाव में एनडीए को दिख जाएगा. वहीं जदयू और बीजेपी के नेता अशोक चौधरी के बयान को अब पुरानी बात है वोट नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के नाम पर होगा इसलिए कोई असर पड़ने वाला नहीं है.
एनडीए और इंडिया गठबंधन में मुकाबला: अशोक चौधरी ने जिस प्रकार से जहानाबाद में जदयू कार्यालय के उद्घाटन के मौके पर लोकसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी की हार का ठिकरा भूमिहार समाज पर फोड़ा है. उससे भूमिहार समाज में काफी नाराजगी है. चार सीटों में से एक सीट बेलागंज पर जदयू के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. राजनीतिक विशेषज्ञ कर रहे हैं की चार में से तीन सीट पर बहुत ज्यादा असर न पड़े लेकिन जदयू की सीट पर असर पड़ना तय है. बेलागंज सीट पहले से ही काफी टफ सीट है.
"अशोक चौधरी की बात अब पुरानी हो गई जो बीत गई सो बात गई. उनके बयान का असर बिहार में चार सीट पर होने वाले चुनाव पर नहीं पड़ेगा." - लेसी सिंह, मंत्री
बेलागंज में मुस्लिम और यादव वोट करता है जीत का फैसला: अशोक चौधरी के बयान के बाद लड़ाई जदयू के लिए और कठिन हो गयी है. बेलागंज में पहले से ही मुस्लिम और यादव वोट जीत हार का फैसला करते रहे हैं जो राजद के साथ हैं. ऐसे में सवर्ण भी नाराज हो गए तो जदयू के लिए लड़ाई आसान नहीं रह जाएगी.
"भूमिहार समाज बुद्धिजीवी वर्ग है. क्या अच्छा है, क्या खराब है अच्छी तरह से समझता है. इसलिए उपचुनाव में यह समाज एनडीए के साथ ही रहेगा और अशोक चौधरी ने तो अपनी गलती मान ही ली है. पार्टी के तरफ से भी उनकी बात को खारिज कर दिया गया है. इसलिए उपचुनाव में वोटर नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के नाम पर ही वोट करेंगे. नाराजगी वाली बात अब नहीं रह गयी है." - विनोद शर्मा, भाजपा प्रवक्ता
चार सीटों पर होना है उपचुनाव: बिहार की चार विधानसभा सीटों तरारी, रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज में उपचुनाव होना है. इन चारों सीट के विधायक सुदामा प्रसाद, सुधाकर सिंह, सुरेंद्र यादव और जीतन राम मांझी ने लोस चुनाव में जीत हासिल की. जिसके कारण उपचुनाव होना है. चार सीटों में से बीजेपी तरारी एवं रामगढ़, जदयू बेलागंज और हम इमामगंज सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. चारों सीटों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा.
"बिहार विधानसभा के उपचुनाव में चारों सीट एनडीए जीतेगा. नीतीश कुमार के करिश्माई व्यक्तित्व के कारण लोग उनके साथ हैं और रिजल्ट भी एनडीए के पक्ष में आएगा." - राजीव रंजन, राष्ट्रीय प्रवक्ता, जदयू
तरारी विधानसभाउपचुनाव: तरारी विधानसभा सीट पिछले दो विधानसभा चुनाव से सीपीआईएमएल के कब्जे में है. 2015 और 2020 विधानसभा चुनाव में सुदामा प्रसाद ने यहां से जीत दर्ज की थी. 2015 में सुदामा प्रसाद ने LJP उम्मीदवार गीता पांडे को मात्र 272 वोटों के अंतर से हराया था. वहीं 2020 विधानसभा चुनाव में सुदामा प्रसाद में निर्दलीय प्रत्याशी सुनील पांडे को 11015 मतों से पराजित किया था.बिहार विधानसभा के उपचुनाव में इस सीट पर फिर से बीजेपी के उम्मीदवार होंगे. वहीं इंडिया गठबंधन से सीपीआईएमएल के कैंडिडेट चुनाव लड़ेंगे, लेकिन यहां का चुनाव इसलिए दिलचस्प होने की संभावना है क्योंकि बाहुबली सुनील पांडे और उनजे बेटे बीजेपी में शामिल हो चुके.
"एनडीए के अंदर घमासान मचा है और बयानवीरों के बयान का असर उन्हें उपचुनाव में पता चल जाएगा." - एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता
पीके के कारण रामगढ़ उपचुनाव बना दिलचस्प: कैमूर जिला का रामगढ़ सीट जगदानंद सिंह की परंपरागत सीट रही है. 2020 विधानसभा चुनाव में राजद ने जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह को यहां से आरजेडी का प्रत्याशी बनाया. 2020 विधानसभा चुनाव में रामगढ़ सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में आरजेडी प्रत्याशी सुधाकर सिंह को जीत मिली थी. राजद उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी और बसपा नेता अंबिका यादव को कुल 189 वोटों से हराया था. वहीं तीसरे नंबर पर भाजपा प्रत्याशी रहे थे. इस बार के चुनाव में फिर से अशोक कुमार सिंह बीजेपी के तरफ से दावेदारी पेश कर रहे हैं. इस उपचुनाव में एक बार फिर से रामगढ़ सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. रामगढ़ सीट से प्रशांत किशोर की पार्टी भी चुनाव लड़ेगी.
बेलागंज विधानसभा उपचुनाव: बेलागंज विधानसभा क्षेत्र आरजेडी का सेफ सीट है. बेलागंज सीट पर लालू प्रसाद यादव के करीबी सुरेंद्र प्रसाद यादव ने 2020 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. सुरेंद्र यादव की बेलागंज से लगातार 7वीं जीत थी. 2020 विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र प्रसाद यादव ने जेडीयू के अभय कुमार सिन्हा को 23963 वोट से हराया था. इस उप चुनाव में आरजेडी के टिकट पर सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव ने अपने दावेदारी पेश की है. राजद सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव को टिकट देगी यह चर्चा है.
इमामगंज विधानसभा उपचुनाव: गया के इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी 2020 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. जीतनराम मांझी ने राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी को 16000 से ज्यादा मतों से पराजित किया था. इस बार हम (से) से जीतनराम मांझी के दूसरे पुत्र प्रवीण मांझी को उतराने की तैयारी है. उनका मुकाबला फिर से राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी से होने की संभावना है.
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