लखनऊ: यूपी के मुजफ्फरनगर में कांवड़ियों के गुजरने वाले मार्ग पर स्थित ढाबों, रेस्टोरेंट समेत अन्य ठेले वालों को मालिक और कर्मचारियों का नाम बोर्ड पर लिखना होगा. जैसे ही यह निर्देश मुजफ्फरनगर के पुलिस कप्तान ने दिए, सियासत तेज हो गई. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यूपी में ऐसा फरमान इसलिए लागू किया जा रहा है ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान का कुछ खा न लें.
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह ने कावड़ यात्रा में पड़ने वाले सभी भोजनालयों और खाने-पीने का सामान बेचने वाली दुकानों और ठेलों पर मालिक का नाम लिखने के आदेश दिए गए है, जहां से कावंडिए समान खरीद सकते हैं. एसएसपी ने अपने आदेश में कहा है कि ऐसा करने से कांवड़ियों को भ्रम नहीं होगा. इसके अलावा ऐसी स्थिति न पैदा हो कि आरोप-प्रत्यारोप हो और बाद में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब न हो.
उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम 'Judenboycott' था। https://t.co/lgvCf2HoQE
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 17, 2024
मुजफ्फरनगर के एसएसपी के आदेश पर हैदराबाद से लोकसभा सांसद व एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर लिखा है कि 'उत्तर प्रदेश पुलिस के नए आदेश के अनुसार अब हर खाने-पीने की दुकान या ठेले वाले को अपना नाम बोर्ड पर लिखना होगा. जिससे कि कोई भी कांवड़िया गलती से भी किसी मुस्लिम दुकान से कुछ न खरीद ले. इसे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद कहा जाता था और हिटलर के जर्मनी में इसे 'जूडेनबॉयकॉट' कहा जाता था.'
ओवैसी को डीजीपी प्रशांत ने दिया जवाब, कहा-दुकानदारों से अनुरोध किया गया है
वहीं, ओवैसी द्वारा दिए गए बयान का जवाब देते हुए डीजीपी प्रशांत कुमार ने सावन में कांवड़ यात्रा के दौरान समीपवर्ती राज्यों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश होते हुए भारी संख्या में कांवड़िये हरिद्वार से जल उठाकर मुजफ्फरनगर से होकर गुजरते हैं. इस पवित्र माह में कांवड़िये अपने खानपान में कुछ खाद्य सामग्री से परहेज करते हैं. पूर्व में ऐसे कई मामले हैं, जहां कांवड़ मार्ग पर खाद्य सामग्री बेचने वाले कुछ दुकानदारों द्वारा अपनी दुकानों के नाम इस प्रकार से रखे गए, जिससे कांवड़ियो में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होकर कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हुई. इस प्रकार की पुनरावृत्ति रोकने एवं श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले होटल, ढाबे एवं खानपान की सामग्री बेचने वाले दुकानदारों से अनुरोध किया गया है कि वे स्वेच्छा से अपने मालिक और काम करने वालों का नाम प्रदर्शित करें. इस आदेश का मतलब है कि शय किसी प्रकार का धार्मिक विभेद ना होकर सिर्फ मुजफ्फरनगर से गुजरने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा, आरोप प्रत्यारोप एवं कानून व्यवस्था की स्थिति को बचाना है. यह व्यवस्था पूर्व में भी प्रचलित रही है.