नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देशभर में अभी अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों और नेता अपनी पूरी ताकत से चुनावी तैयारी और चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. सभी पार्टियों के बड़े नेताओं का ध्यान अपने प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार करना और उन्हें भारी मतों से विजय बनाने की तरफ है. तो वहीं देश की राजधानी दिल्ली की राजनीति में शराब घोटाले छाया हुआ है. इस घोटाले की शोर में चुनावी बिगुल बजाने के बाद भी सुर्खियों में कोर्ट और जेल की गतिविधियां ही केंद्र में है.
केजरीवाल की गिरफ्तारी ने चुनाव प्रचार पर लगाया ब्रेक: दिल्ली की सात लोकसभा सीटों के लिए 26 मई को मतदान होगा. चुनाव नतीजे आज से ठीक दो महीने बाद यानी 4 जून को आएंगे. चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने अपने प्रत्याशी भी मैदान में उतार दिए. कांग्रेस दिल्ली की सात सीटों में से तीन सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशियों का नाम तय करने में जुटी हुई है. लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी के होने के बाद ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले में गिरफ्तारी ने दिल्ली की राजनीतिक हालात को बदल कर रख दिया.
आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए सबसे पहले प्रत्याशियों के नाम तय कर दिए थे. सभी प्रत्याशी चुनाव तैयारी में भी जुट गए थे. लेकिन शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार पर ब्रेक लगा दिया. इसी घटनाक्रम के बीच दिल्ली की सातों लोकसभा सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी भी चुनाव प्रचार पर कम और आम आदमी पार्टी सरकार को घेरने में अधिक समय बिताने लगे हैं. प्रदेश बीजेपी ऑफिस में प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर अन्य जो भी गतिविधियां अभी चल रही है वह अरविंद केजरीवाल सरकार और पार्टी को घेरने के लिए ही हो रही है.
अदालत में भी टाइमिंग को लेकर सवाल: अदालत में भी अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल उठाए गए. केजरीवाल की तरफ से जब वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल को अपनी पार्टी का चुनाव प्रचार करने से रोकने के लिए किया गया तो ईडी के वकील ने इस तर्क को खारिज करते हुए अपनी दलीलें दी. लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा तो वहीं दूसरी तरफ दिल्ली की सियासत में चुनावी शोर से अधिक प्रतिदिन कोर्ट की कार्रवाई और आम आदमी पार्टी और दिल्ली बीजेपी के नेताओं के आरोप-प्रत्यारोपों तक सिमटा हुआ है.
दिल्ली सरकार का कामकाज भी लगभग ठप: दिल्ली में कथित शराब घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी के सामने अभी भी चुनौती बनी हुई है कि वह बिना बाधा दिल्ली में सरकार कैसे चलाए. अरविंद केजरीवाल के जेल जाने की वजह से कैबिनेट और विभागों की बैठक, कई मामलों में तुरंत फैसला, सरकार के प्रोजेक्ट, स्कीम में रुकावटें ना आए यह सुनिश्चित करना सरकार के लिए एक अलग चुनौती है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से लेकर अब तक आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देंगे और सरकार जेल से चलेगी. मगर जेल से सरकार चलाना बड़ी चुनौती है. यह भी सभी मानते हैं.
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अभी तक अरविंद केजरीवाल को जेल में वह खास सुविधाएं नहीं मिली है जिससे उन तक सरकारी फाइलें, मंत्री का आना-जाना हो सके. मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के 15 दिन से अधिक बीत चुके हैं. कई मामलों में मुख्यमंत्री के साइन करने वाली फाइलें उपराज्यपाल और फिर केंद्र सरकार तक जाती है. सरकार का काम ना रुके खास तौर पर तुरंत होने वाले काम, इसके लिए इन फाइलों को जेल में बंद अरविंद केजरीवाल से साइन करवाना बड़ी चुनौती बनी हुई है.
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