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आदर्श क्रेडिट सोसायटी मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी - ADARSH ​​CREDIT SOCIETY CASE

ईडी मामलों की विशेष अदालत ने आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किए.

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ईडी मामलों की विशेष अदालत (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

जयपुर : ईडी मामलों की विशेष अदालत ने आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी मामले में मीनाक्षी मोदी, नेहा मोदी, ललिता राजपुरोहित और विनय के गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं. वहीं, अदालत ने प्रियंका मोदी के खिलाफ समन जारी कर मुंबई पुलिस कमिश्नर को तामील कराने के लिए कहा है. ईडी ने अपने शिकायत अभियोजन में इन्हें आरोपी बनाया था.

गौरतलब है कि ईडी ने अपनी जांच में 38 सौ करोड़ रुपए से अधिक का अनियमित लेनदेन का पता लगाया था. जांच में सामने आया था कि मुख्य आरोपी मुकेश मोदी ने अपने रिश्तेदारों और सहयोगियों से मिलीभगत कर निवेशकों के खातों से पैसा निकाला और बाद में इंटर लिंक फर्जी लेनदेन के जरिए फर्जी लोन बांट दिए. मामले में ईडी करोड़ों रुपए की संपत्ति को भी अटैच कर चुकी है. ईडी मामले में एसओजी की ओर से दर्ज धोखाधड़ी से संबंधित दर्ज रिपोर्ट के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है.

इसे भी पढ़ें - आदर्श क्रेडिट घोटाला : ईडी ने 135 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की, राज्य के कई जिलों में की कार्रवाई

दो भाइयों ने रखी थी सोसायटी की नींव : दरअसल, राजस्थान के सिरोही जिले में टैक्सी ड्राइवर और ऑडियो कैसेट रिकॉर्डिंग का काम करने वाले दो भाई मुकेश मोदी और राहुल मोदी ने साल 1999 में आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की नींव रखी और अहमदाबाद में इसका कार्यालय खोला. इसके बाद लोगों से उनकी पसीने की कमाई इस सोसायटी में निवेश करवाने का सिलसिला शुरू हुआ जो 31 अगस्त 2016 तक जारी रहा.

इस बीच सोसायटी की 806 शाखाएं खोली गई और ठगी के कारोबार को गुजरात और राजस्थान से 28 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुंचाया गया. इनमें सबसे ज्यादा 309 शाखाएं राजस्थान में थी.

जयपुर : ईडी मामलों की विशेष अदालत ने आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी मामले में मीनाक्षी मोदी, नेहा मोदी, ललिता राजपुरोहित और विनय के गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं. वहीं, अदालत ने प्रियंका मोदी के खिलाफ समन जारी कर मुंबई पुलिस कमिश्नर को तामील कराने के लिए कहा है. ईडी ने अपने शिकायत अभियोजन में इन्हें आरोपी बनाया था.

गौरतलब है कि ईडी ने अपनी जांच में 38 सौ करोड़ रुपए से अधिक का अनियमित लेनदेन का पता लगाया था. जांच में सामने आया था कि मुख्य आरोपी मुकेश मोदी ने अपने रिश्तेदारों और सहयोगियों से मिलीभगत कर निवेशकों के खातों से पैसा निकाला और बाद में इंटर लिंक फर्जी लेनदेन के जरिए फर्जी लोन बांट दिए. मामले में ईडी करोड़ों रुपए की संपत्ति को भी अटैच कर चुकी है. ईडी मामले में एसओजी की ओर से दर्ज धोखाधड़ी से संबंधित दर्ज रिपोर्ट के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है.

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दो भाइयों ने रखी थी सोसायटी की नींव : दरअसल, राजस्थान के सिरोही जिले में टैक्सी ड्राइवर और ऑडियो कैसेट रिकॉर्डिंग का काम करने वाले दो भाई मुकेश मोदी और राहुल मोदी ने साल 1999 में आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की नींव रखी और अहमदाबाद में इसका कार्यालय खोला. इसके बाद लोगों से उनकी पसीने की कमाई इस सोसायटी में निवेश करवाने का सिलसिला शुरू हुआ जो 31 अगस्त 2016 तक जारी रहा.

इस बीच सोसायटी की 806 शाखाएं खोली गई और ठगी के कारोबार को गुजरात और राजस्थान से 28 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुंचाया गया. इनमें सबसे ज्यादा 309 शाखाएं राजस्थान में थी.

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