पटना: बिहार विधानसभा में 43 साल बाद अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन हुआ. सम्मेलन की शुरुआत 20 जनवरी को लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने की तो आज समापन बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने की.
पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का समापन: सबसे खास राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का संबोधन रहा. उन्होंने भारत की संस्कृति ज्ञान की संस्कृति बताते हुए राजनीति क्या है उसके बारे में भी चर्चा की .पीठासीन अधिकारियों को लोकतंत्र की रक्षा के लिए क्या करना है यह भी बताया. रविंद्र नाथ टैगोर, राम, कृष्ण, विवेकानंद से लेकर कई महापुरुषों की चर्चा की तो वहीं वाल्मीकि रामायण, ऋग्वेद और उपनिषद के श्लोक से भी अपनी बात तार्किक ढंग से रखने की कोशिश की.
राज्यपाल ने कहीं ये बातें: विधानसभा में पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के अंतिम दिन 2 घंटे तक विशेष रूप से चर्चा हुई. विशेष चर्चा के बाद समापन कार्यक्रम विधानसभा के विस्तारित भवन में बनाए गए सेंट्रल हॉल में किया गया, जिसमें बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान शामिल हुए. राज्यपाल ने तार्किक ढंग से कई मुद्दों पर चर्चा की, सेंट्रल हॉल में बैठे सभी पीठासीन अधिकारी उन्हें एक टक सुनते रहे.
"जो लोग यहां उपस्थिति हैं, आप हमारी लोकतांत्रिक प्रतिष्ठा के संरक्षक हैं. आप के ऊपर महती जिम्मेदारी है. ऐसा कोई प्रयास जो आप पर हमले की तरह हो वह आप पर हमला नहीं होता है, बल्कि वह देश के लोकतंत्र के ऊपर हमला होता है. आपके ऊपर उससे डील करने की और नियंत्रित करने की जिम्मेदारी है."- आरिफ मोहम्मद खान,राज्यपाल, बिहार
राज्यपाल ने सार्वजनिक जीवन में आने वाले लोगों के लिए वाल्मीकि रामायण में भगवान राम ने क्या कहा है उसे बताया. उपनिषद ऋग्वेद के भी श्लोक के माध्यम से राज्यपाल ने भारत की संस्कृति और ज्ञान की व्याख्या की. राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पीठासीन अधिकारी को सलाह दी कि आप 10वीं 11वीं शताब्दी के बाहर के लेखकों को पढ़िए सबने एक ही बात कही है, दुनिया में 5 बड़ी संस्कृतियां हैं.
"ईरान अपने वैभव के लिए, चीन अपने कौशल के लिए, तुर्की अपनी बहादुरी के लिए , रोम अपनी सुंदरता के लिए और भारत इकलौता देश है जो अपनी ज्ञान के लिए जाना जाता है."-आरिफ मोहम्मद खान,राज्यपाल, बिहार
23 राज्यों के 41 पीठासीन अधिकारी शामिल हुए: संविधान की 75वीं में वर्षगांठ संवैधानिक मूल्यों को सशक्त करने में सांसद और राज्य विधाई निकायों का योगदान विषय पर दो दिनों तक सम्मेलन में चर्चा हुई. राज्यों के पीठासीन अधिकारी ने अपनी अपनी बात रखी. 23 राज्यों के 41 पीठासीन अधिकारी इस सम्मेलन में भाग लिए. कुछ राज्यों के पीठासीन अधिकारी नहीं आए थे. कुल मिलाकर दो दिनों का सम्मेलन काफी सफल रहा . लोकतंत्र में बिहार की भूमिका की काफी सराहना हुई. नीतीश कुमार के अनुपस्थिति में भी उन्हें आयोजन को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया गया.
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अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का समापन, लोकसभा स्पीकर और राज्यपाल भी हुए शामिल