गया: बिहार में मगध की धरती गया ने प्राचीन इतिहास के अनगिनत पन्नों को समेट रखा है. गया मगध के मुख्य केंद्र बिंदु में आता था. हम बात कर रहे हैं मगध सम्राट जरासंध की. महाभारत कालीन इतिहास के झरोखे में मगध सम्राट जरासंध के ऐतिहासिक पन्ने गया से जुड़े हुए हैं. इसमें से एक है जरासंध का कारागार.
कई किलोमीटर में है पहाड़ी: गया का अतरी पहाड़ चारों ओर से घिरा है. जहां एक जमाने में यह जरासंध का कारागार हुआ करता था. अतरी पहाड़ी कई किलोमीटर में है, जहां सात घाटियां है. यह चारों ओर से घिरा हुआ है. आज भले ही वहां छोटे-छोटे रास्ते बन गए हो, लेकिन जरासंध के जमाने में यह पहाड़ी पूरी तरह से चारों ओर से घिरी हुई थी.
गया में जरासंध का कारागार: मगध सम्राट जरासंध का कारागार गया में था. गया के अतरी प्रखंड अंतर्गत चिरियावां गांव में जरासंध का कारागार की पहाड़ी वाली गुफा आज भी मौजूद है. चिरियावा गांव अतरी पहाड़ की गोद में बसा है. यहां पहाड़ में रही गुफा का मुंह आज भी खुला हुआ है. इसमें लोग प्रवेश भी करते हैं. अंदर कितनी गहराई है, यह किसी को पता नहीं पाता, लेकिन लोग बताते है कि कई बार वे टॉर्च लेकर अंदर गए. अंदर काफी स्पेश है, जिसमें हजारों-हजार लोगों को रखा जा सकता है.
धम्म धम्म की आती है आवाज: लोग बताते है कि अतरी पहाड़ी पर एक गुफा मौजूद है. पहाड़ की इस गुफा के ऊपर की चोटी से अगर जाएं तो हम लोग सीधे राजगृह पहुंच जाते हैं, जहां पास में ही मगध सम्राट जरासंध का किला है. यानी कि गया का अतरी पहाड़ जो चारों ओर से घिरा हुआ है, वह इस क्षेत्र से सटी हुई है. अतरी पहाड़ की भौगोलिक स्थिति भी कहीं ना कहीं यह इंगित करती है कि एक जमाने में जरासंध का यहां कारागार हुआ करता था.
ऐसा है जरासंध का कारागर: इस संबंध में स्थानीय सुरेंद्र सिंह बताते है कि जरासंध का पूरा क्षेत्र था. मगध पर उसका शासन था. वह जितने राजाओं को हराता था, पराजित करता था, इसी अतरी पहाड़ी के चारों ओर उन्हें बंदी बनाकर रखता था. कारागार की बनावट के बारे में सुरेंद्र सिंह बताते है कि तकरीबन 18 किलोमीटर के क्षेत्र में अतरी पहाड़ी है, जो चारों ओर से घिरी हुई है. अतरी पहाड़ी के एक ओर में गुफा आज भी मौजूद है. यह गुफा लंबी दूरी तक ले जाती है. यह गुफा इसका प्रमाण है कि यहां जरासंध का कारागर हुआ करता था.
अत्याचारी राजा को बनाते थे बंधक: सुरेंद्र सिंह बताते है कि गुफा के अंदर जाने पर यह पता चलता है कि यहां हजारों -हजार लोग रखे जा सकते हैं, यानी कि जो बंदी लाए जाते थे, उन्हें यहां रखा जाता था खासकर जो अत्याचारी राजा सम्राट जरासंध से पराजित होते थे, उन्हें पहाड़ पर ही इसी गुफा में रखा जाता था और जो उनके सैनिक हुआ करते थे, उन्हें पहाड़ के नीचे की ओर रखा जाता था. सामान्य राजा जो ज्यादा विरोध नहीं जताते थे, उन्हें भी सैनिकों के साथ पहाड़ के नीचे वाले क्षेत्र में ही रखा जाता था.
आवासन जैसी बनावट भी होती: कहा जाता है कि जरासंध ने जितने भी राजाओं को पराजित किया, उन्हें अतरी पहाड़ के चारों ओर बने कारागार में रखा. जरासंध के कारागार में पहाड़ की गुफा वाला स्थान और पहाड़ के नीचे खुला क्षेत्र वाला स्थान हुआ करता था, जिसमें आवासन जैसी बनावट भी हुआ करती थी. वह बताते है कि आज भी पहाड़ के पास यदि पैर पटकते हैं, तो धम्म धम्म की आवाज आती है. वहीं, अंदर जाने पर हन हन की आवाज आती है, जो डराने वाली होती है, तो यह जरासंध का कारोबार कलाकार हुआ करता था.
सातों घाटियों पर पहरेदार रहते थे: सुरेंद्र सिंह बताते है कि अतरी पहाड़ी के चारों ओर देखे तो 7 घाटी हैं. सातों घाटी पर राजा जरासंध के पहरेदार रहा करते थे. पहाड़ पर रहे इस गुफा के रास्ते ही सभी राजाओं- सैनिकों को लाया या ले जाया जाता था. इसलिए भी यह कारागर था क्योंकि यहां से किसी का निकलना संभव नहीं था. इसी पहाड़ से राजगीर शुरू हुआ है, उधर किला और इधर जरासंध का जेल खाना था.
पुरातत्व विभाग खंगाले तो रहस्य मिल सकते: सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि अतरी पहाड़ नालंदा राजगीर से सटा स्थान है. पुरातत्व विभाग खंगाले तो काफी कुछ रहस्य यहां से से मिल सकते हैं. वह बताते है कि पहले इस इलाके में कोई रहा नहीं करता था. उनके पूर्वजों ने रहना शुरू किया. जरासंध की कहानी हमें सुनाई. जरासंध के कारागार के बारे में भी बताया. यदि इस ऐतिहासिक क्षेत्र को पुरातत्व विभाग खंंगाले तो कई रहस्य से संबंधित तथ्य सामने आ सकते हैं. जरासंध के कारागार को लेकर भी यह ऐतिहासिक स्थान है और पुरातत्व विभाग को इस स्थान को खंंगालना चाहिए.
"मैं भी इस स्थान पर गया हूं. यहां काफी कुछ है. यहां लोगों से जो जानकारियां मिलती है, उसके अनुसार राजा जरासंध के जो अनिर्णायक बंदी थे, उन्हें यहां रखा जाता था. यहां के ऐर चिरियावां के इलाके का दौरा हमने भी किया है, यहां ऐतिहासिक चीज़ें हैं, जिसमें एक बात यह भी है कि यहां राजा जरासंध के अनिर्णायक बंदी इस अतरी पहाड़ वाले क्षेत्र में रखे जाते थे." - राकेश कुमार सिन्हा 'रवि', वरीय शिक्षक
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