नई दिल्ली: 2017 से सिख संगठन तिहाड़ और देश की अन्य जेल में बंद सिख कैदियों की रिहाई के लिए दीपावली के दिन बंदी छोड़ दिवस मनाते हैं. इस दौरान तिहाड़ जेल के बाहर पहुंचकर अरदास और कीर्तन कर सरकार से इन बंदी की रिहाई की मांग करते हैं, जो पिछले तीन दशक से सजा पूरी होने के बाद भी जेल में बंद है. दिल्ली के तिहाड़ जेल के अलावा देश के अलग-अलग राज्य की जेल में पिछले लगभग तीन दशक से बंद वैसे सिख बंदी जिनकी सजा तो पूरी हो चुकी है. लेकिन उनकी जेल से रिहाई नहीं हुई है. वैसे सिख कैदियों की रिहाई की मांगों को लेकर हर साल दीपावली के दिन सिख संगठन के लोग तिहाड़ जेल के बाहर पहुंचकर उन बंदी की रिहाई के लिए अरदास करते हैं.
इसी सिलसिले में शुक्रवार एक नवंबर को तिहाड़ जेल के बाहर अलग-अलग सिख संगठनों ने पहुंचकर उन सिख बंदियों की रिहाई के लिए अरदास और कीर्तन किया. इसमें प्रमुख रूप से सिख नेता मनजीत सिंह जीके, शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के परमजीत सिंह सरना, परमजीत सिंह राणा, इकबाल सिंह शामिल हुए. इन लोगों ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इस देश में दो तरह के कानून है.
उन्होंने कहा कि एक तरफ राजीव गांधी के हत्यारे बिलकिस बनो मामले में दोषियों को बेल भी मिलती है, सजा भी माफ होती है, लेकिन सिख कौम ने देश की आजादी के लिए बड़ी कुर्बानी दी थी. उन सिख कौम के बंदियों को सजा पूरी होने के बाद भी जेल में बंद कर रखा गया है. इन सिख संगठनों ने अलग-अलग जेल में बंद सिख बंदियों के जल्द रिहाई के लिए मांग की. दिल्ली के तिहाड़ जेल सहित अन्य राज्यों की जेल में कुल नौ सिख बंदी है. जिनमें से तीन को जमानत मिल गई है, लेकिन बाकी 6 अभी भी जेल में है जिनकी रिहाई को लेकर तिहाड़ जेल के बाहर अरदास किया गया. इस दौरान काफी संख्या में महिला संगत और बच्चे भी मौजूद थे.
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