पन्ना: अजयगढ़ तहसील में स्थित अजयपाल फोर्ट के मुख्य दरवाजे को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षण करते हुए नया रूप दिया गया है. बता दें कि यह दरवाजा लगभग 200 वर्षों पुराना बताया जा रहा है. इस दरवाजे के संरक्षण करने में विशेषता यह रही कि इसमें उसी लकड़ी का उपयोग किया गया है, जो उसमें पहले से लगी हुई है.
अजयपाल फोर्ट का इतिहास
अजयपाल फोर्ट एक ऐतिहासिक इमारत है, जो पन्ना जिले के अजयगढ़ में स्थित है. जहां पर जाने के लिए लगभग 2 किलोमीटर पैदल और लगभग 500 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है. इसका इतिहास 1200 वर्षों पुराना बताया जाता है. इस किले में चंदेल राजवंश ने शासन किया है और कुछ समय प्रतिहार राजवंश का भी इस पर कब्जा था. प्रति वर्ष मकर संक्रांति के पर्व पर यहां पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जहां पर क्षेत्र के हजारों लोग पहुंचते हैं.
एएसआई ने किया सही किया किले का दरवाजा
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पुरातत्वविद शिवाकांत वाजपेयी ने जानकारी देते हुए बताया कि ''अजयपाल फोर्ट के मुख्य दरवाजा का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षण किया गया है और इसमें इतिहास को संजोते हुए उसी लकड़ी का उपयोग किया गया है, जो 200 वर्ष पुराने दरवाजे के बनाने के समय की गई थी और उसी शैली के अनुरूप इस दरवाजे का संरक्षण किया गया है. कुछ लकड़ी जो बहुत खराब हो गई थी, उसमें नई लकड़ी का उपयोग भी किया गया है. अजयपाल फोर्ट में लगे हुए दरवाजे की उम्र लगभग 200 वर्ष पुरानी प्रतीत होती है, जिसमें संरक्षण के बाद मुख्य दरवाजा फिर से नया प्रतीत हो रहा है.
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किले के कई हिस्सों में कराया जाएगा कार्य
शिवाकांत वाजपेयी ने आगे बताया कि ''अजयपाल फोर्ट के विषय में पन्ना कलेक्टर सुरेश कुमार से कई विषयों में बातचीत होती रहती है. अभी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा सिर्फ दरवाजे का संरक्षण करवाया गया है और आगे फोर्ट में स्थित कई मूर्तियों एवं कई हिस्सों में कार्य किया जाएगा. अजय पाल फोर्ट के सिर्फ दरवाजे के कंजर्वेशन का कार्य किया जा रहा है. दरवाजा बहुत पुराना नहीं है. पहले भी दरवाजा वहां पर लगा हुआ था.''