लखनऊ: भीषण गर्मी में लोग एंजायटी अटैक के शिकार हो रहे हैं. यह चिड़चिड़ापन, उत्तेजना, गुस्सा, घबराहट, सांस लेने में तकलीफ, बेचैनी, अनियंत्रित धड़कन के साथ अस्पतालों की ओपीडी में पहुंच रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या करीब 50 फीसदी तक पहुंच गई है.
बलरामपुर अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सौरभ अहलावत का कहना है, कि गर्मी के चलते लोगों में एड्रिनल और कार्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ रहा है. इससे लोग उत्तेजित, गुस्सैल, घबराहट और बेचैनी आदि लक्षण के साथ ओपीडी में आ रहे हैं. ओपीडी में मानसिक रोगियों की संख्या 50 फीसदी तक बढ़ गई है. हर रोज करीब 150 मरीज आ रहे हैं. इनमें आधे रोगी 25-40 वर्ष की उम्र वाले होते हैं.
डॉ. सौरभ का कहना है, कि एंजायटी अटैक में दिल की धड़कन बढ़ना, पसीना आना, बैचनी आदि के लक्षण होते हैं. लोग इसे दिल की बीमारी समझ कर पहले कार्डियोलॉजिस्ट के पास जा रहे हैं. ईसीजी जांच सामान्य होने के बाद डॉक्टर इन्हें मनो चिकित्सक के पास भेज रहे हैं. उपचार के बाद लोगों को आराम मिल रहा है.
सिविल अस्पताल में मनो चिकित्सक डॉ. दीप्ती सिंह ने बताया, कि दिन और रात में गर्मी से लोगों में एंग्जायटी की समस्या बढ़ रही है. ओपीडी में एंग्जायटी अटैक के औसतन 15 से 20 मरीज आ रहे हैं. इनमें महिलाएं अधिक हैं. इनमें अधिकांश मरीज कार्डियोलॉजी से रेफर होकर आ रहे हैं. तेज धूप में बाहर जरूरी होने पर ही निकलें. लोकबंधु अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजीव दीक्षित ने बताया, कि ऐसे लक्षणों वाले रोजाना करीब 20-25 मरीज आ रहे हैं. बुजुर्गों के साथ युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं.
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लक्षण
- घबराहट होना
- दिल की धड़कन का बढ़ना
- पसीना आना
-चिड़चिड़ाहट
-कमजोरी
-शरीर में पानी की कमी होना
बचाव
-धूप से बचें
-गर्मी में लगातार काम न करें
-पानी पीते रहे
- हल्का भोजन करें
- बीपी नियंत्रित रखें
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