अनूपपुर। मध्यप्रदेश का अनूपपुर जिला पुरातात्विक महत्त्व के लिए भी काफी मशहूर है. जहां एक ओर जीवन दायिनी मां नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है, तो वहीं दूसरी ओर पहली शताब्दी की बहुचर्चित शिवलहरा की गुफाएं हैं. यही नहीं जिले के हर कोने और नदी के तटीय स्थलों में पुरातात्विक महत्त्व की मूर्तियां, अवशेष स्थल और परम्पराएं व्याप्त हैं. ऐसे ही पुरातात्विक महत्त्व और अपना गौरवशाली इतिहास लिए गाज मंदिर की दीवारें आज भी जीवंत हैं.
लाडली लक्ष्मी पार्क में किया गया पुर्नस्थापित
इतिहासकार बताते हैं कि, ''यह पुष्पराजगढ़ में बेनीबारी से 30 किलोमीटर दूर स्थित था. इस गांव से दो किलोमीटर की दूरी पर कई मूर्तियां और अवशेष पड़े हुए हैं. वर्तमान में पीछे की ओर केवल दो दीवारें हैं. यह ऐतिहासिक मंदिर नर्मदा नदी के तट पर स्थित था. हालांकि, वर्तमान में उपलब्ध मंदिर की दीवारों की नक्काशी देखकर इसकी भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है.'' जानकार बताते हैं कि जहां पर यह मंदिर स्थापित था, आसमान से इस मंदिर में हमेशा बिजली गिरती थी. बिजली को यह मंदिर अपनी तरफ खींच लेता था. वर्तमान में यह जिला मुख्यालय में स्थित लाडली लक्ष्मी पार्क में पुर्नस्थापित किया गया है.
पूर्व मुखी है ये सप्तरथी मंदिर
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हीरा सिंह गोंड के अनुसार, यह पूर्व दिशा की ओर मुख वाला सप्तरथी मंदिर है. तिरछा होने के कारण इसका क्षैतिज भाग ज्ञात नहीं हो पाता. लेकिन ऐसा लगता है कि मुख-मंडल की प्लानिंग रही होगी. इस मंदिर के अधिकांश भाग ऊंची जमीन पर बने हैं. मंदिर की शेष दो दीवारें मूर्ति की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं. मंदिर के दाहिनी ओर रथ पर नरसिंह की मूर्ति दिखाई गई है. दाहिने हाथ में चक्र और बाएं हाथ में शंख है. देव-कोष्ठ में हरिहर की खड़ी मूर्ति है. वहां बायीं ओर गरुड़ और दाहिनी ओर बैल भगवान शिव को धारण किए हुए हैं. सिर पर मुकुट है, दाहिने हाथ पर त्रिशूल व ऊपरी बायां हाथ शंख को पकड़े हुए थोड़ा टूटा हुआ है.
बिजली को आकर्षित करता है मंदिर
मुख्य रथ के दोनों ओर द्विभुजी देवी में दोनों कतारों में शार्दुल व नायिका की प्रतिमाएं है. मुख्य रथ पर ऊपरी देवकोष्ठ में विष्णु की खड़ी मूर्ति है. पुराने लोगोंं के अनुसार यह मंदिर आसमानी बिजली को आकर्षित करता था, जिससे इस मंदिर पर हमेशा बिजली गिरती थी. इसी वजह से इसे गाज मंदिर के नाम से जाना जाता है. मंदिर और इसके भव्य इतिहास को बचाने के प्रयास में कुछ साल पहले जिला प्रशासन अनूपपुर के द्वारा मंदिर अवशेषों को जिला मुख्यालय में स्थित लाडली लक्ष्मी पार्क में पुर्नस्थापित किया गया और तब से इस ऐतिहासिक भव्य मंदिर की दीवारें पार्क में आने जाने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं.