अनूपपुर। कोल इंडिया की सहायक एसईसीएल जिसे मिनी रत्न व महारत्न का दर्जा प्राप्त है. लेकिन यहां के मजदूरों के आरोप हैं कि उन्हें पीने के लिए शुद्ध पानी तक नहीं मिल रहा. कोयला उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एसईसीएल मजदूर खदानों में बिना शुद्ध पानी पिए अपना खून पसीना बहाकर एसईसीएल का नाम कोल इंडिया में रोशन कर रहे हैं. लेकिन उस कोयले को विषम परिस्थितियों में जाकर लाने वाले श्रमवीर 8 घंटे पेयजल के बिना मोहताज होकर लगातार कार्य करने को मजबूर हैं.
नाराज श्रमिक नेताओं ने की नारेबाजी
जमुना कोतमा क्षेत्र की एसईसीएल जीएम ऑफिस में मजदूरों के पेयजल समस्या को लेकर एसईसीएल प्रबंधक हरजीत सिंह मदान और मजदूर यूनियन की बैठक आयोजित हुई. जिसमें मजदूर नेताओं ने खदानों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था तत्काल प्रभाव से उपलब्ध कराने की मांग की. प्रबंधक के द्वारा पेयजल की व्यवस्था को लेकर टाल मटोल किया जा रहा था. जिससे नाराज श्रमिक नेताओं ने जीएम ऑफिस के बाहर नारेबाजी के साथ की और बड़े आंदोलन की चेतावनी दी.
खदानों में नहीं है शुद्ध पेयजल की व्यवस्था
जमुना कोतमा क्षेत्र में एसईसीएल कंपनी संचालित है. जिसमें अंडरग्राउंड व ओपन कास्ट खदानों में लगभग 2400 मजदूर व 1 हजार ठेकेदार कार्यरत हैं. इन लोगों के ऊपर प्रतिदिन 7 से 8 हजार टन कोयला उत्पादन की भूमिका रहती है. इसके बावजूद एसईसीएल खदानों में मजदूरों को गर्मियों में भी शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है. ज्यादातर मजदूर अपने घर से पीने का पानी लेकर आते हैं और दिन भर कोयले के उत्पादन में भूमिका निभाते हैं.
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जमुना कोतमा क्षेत्र के जीएम ऑफिस में बैठे अधिकारी क्षेत्र में संचालित खदानों में मजदूरों के लिए शुद्ध पानी की व्यवस्था भी नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि, यह मामला गर्मी शुरू होने से पहले कई दिनों से क्षेत्रीय नेताओं के द्वारा प्रबंधन को अवगत कराया गया था लेकिन आज तक वहां पेयजल की व्यवस्था नहीं कराई गई है. क्षेत्रीय नेता संजय सिंह ने बताया कि ''पानी की समस्या को लेकर अधिकारियों को जनवरी में बता दिया गया था लेकिन चार महीने से ज्यादा हो गए और अभी तक पानी की व्यवस्था नहीं की गई है. मजदूर अपने घर से पानी लेकर जाते हैं और कई बार नाले का और गर्म पानी पीने को मजबूर हो जाते हैं इसके बाद भी पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई.''