अनूपपुर: जिले के बैगा जनजातीय क्षेत्रों में डायरिया की वजह से हो रही मौतें अब चिंता का सबब बनती जा रही हैं. ग्राम महोरा, कालाडाही, आमटोला, गढ़ीददार, चौरादादर, चारकुमार जैसे गांवों में पहले भी डायरिया से मौतें हुईं थी. वहीं इस वर्ष ग्राम सालार गोंडी में एक ही परिवार की गर्भवती महिला समेत 3 लोगों की मौत हो गई. वहीं बचे अन्य 4 लोग डायरिया से ग्रसित है. जिनको अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
सालार गोंदी गांव में डायरिया का प्रकोप
अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ के करपा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आने वाले ग्राम सालार गोंडी में डायरिया का प्रकोप तबाही मचा रहा है. बीते दिन दो दिनों में एक ही परिवार के 3 लोगों की मौत हो चुकी है. जिसमें मां, बेटा, बहु और पेट में पल रहा 8 माह का शिशु शामिल है, जो इस दुनिया में आने से पहले ही चल बसा.
प्रशासन पर लापरवाही के आरोप
बैगा जनजाति निवास वाले स्थानों में ना तो शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है और ना ही इन्हें सुगमता से इलाज मुहैया होता है. यही वजह है कि प्रति वर्ष 50 से अधिक जाने डायरिया, मलेरिया व हैजा जैसी बीमारियों से चली जाती हैं. स्वास्थ्य विभाग तो अपना पल्ला झाड़ा लेता है, लेकिन पीड़ित परिवार सदमे से कभी उभर नहीं पाता. यहां लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. जब इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने पीड़ित परिवार के लोगों से बात की तो उन्होंने कहा, '' मरने वालों को उल्टी दस्त की समस्या हो रही थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अपना पल्ला झाड़ा रहा है."
डायरिया से नहीं बल्कि अन्य कारणों से हुई मौतें
पुष्पराजगढ़ बीएमओ सुरेंद्र सिंह ने कहा, "जिन 3 लोगों की मौत हुई उनको उल्टी दस्त की शिकायत नहीं थी. माखन नाम का व्यक्ति पहले से बीमार था, उसकी मम्मी की पेट की समस्या के चलते मौत हो गई. वहीं सांस की अंतिम संस्कार में शामिल होने आई गर्भवती बहू को कुछ समस्या थी, जिससे उसकी भी मौत हो गई. मृतकों के परिवार में एक व्यक्ति डारिया से ग्रसित मिला, जिसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है.''