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पुराने आपराधिक कानून से जुड़ी अग्रिम जमानत याचिका पर भी नए कानून के मुताबिक सुनवाई होगी- दिल्ली हाईकोर्ट - DELHI HIGH COURT NEW CRIMINAL LAWS

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 19, 2024, 9:13 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि पुराने आपराधिक कानून से जुड़ी अग्रिम जमानत याचिका पर भी नए कानून के मुताबिक सुनवाई होगी.

दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट (Etv Bharat)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पुराने आपराधिक कानूनों के तहत दर्ज एफआईआर के मामले में भी अगर कोई अग्रिम जमानत याचिका 1 जुलाई या उसके बाद दायर की जाती है तो वह नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत सुने जाएंगे. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 531(2)(ए) का हवाला देते हुए ये बातें कहीं. दरअसल हाईकोर्ट एक अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

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याचिकाकर्ता आरोपी के खिलाफ 18 मई को पुराने कानून भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 328 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज किए गए थे. हाईकोर्ट ने साफ किया कि अग्रिम जमानत याचिका 1 जुलाई के बाद दायर की गई है, इसलिए वह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत ही दायर किए जाने चाहिए थे. कोर्ट ने भारतीय अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत दायर अग्रिम जमानत याचिका को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 528 के प्रावधान के तहत सुनवाई करते हुए आदेश जारी किया.

कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी करते हुए जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वह शिकायतकर्ता को भी सुनवाई में उपस्थित होने का निर्देश दें क्योंकि उसका ये अधिकार है कि उसका पक्ष भी सुना जाए. हालांकि हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ कोई भी निरोधात्मक कार्रवाई करने पर अगले आदेश तक अंतरिम रोक लगा दी. कोर्ट ने आरोपी को निर्देश दिया कि वह जांच अधिकारी की ओर से जांच के लिए बुलाए जाने पर जांच में शामिल होगा.

ये भी पढ़ें: ईसाइयों और मुस्लिमों के विवाह के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए तुरंत जरूरी कदम उठाएं, दिल्ली सरकार को हाईकोर्ट का आदेश

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पुराने आपराधिक कानूनों के तहत दर्ज एफआईआर के मामले में भी अगर कोई अग्रिम जमानत याचिका 1 जुलाई या उसके बाद दायर की जाती है तो वह नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत सुने जाएंगे. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 531(2)(ए) का हवाला देते हुए ये बातें कहीं. दरअसल हाईकोर्ट एक अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

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याचिकाकर्ता आरोपी के खिलाफ 18 मई को पुराने कानून भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 328 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज किए गए थे. हाईकोर्ट ने साफ किया कि अग्रिम जमानत याचिका 1 जुलाई के बाद दायर की गई है, इसलिए वह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत ही दायर किए जाने चाहिए थे. कोर्ट ने भारतीय अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत दायर अग्रिम जमानत याचिका को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 528 के प्रावधान के तहत सुनवाई करते हुए आदेश जारी किया.

कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी करते हुए जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वह शिकायतकर्ता को भी सुनवाई में उपस्थित होने का निर्देश दें क्योंकि उसका ये अधिकार है कि उसका पक्ष भी सुना जाए. हालांकि हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ कोई भी निरोधात्मक कार्रवाई करने पर अगले आदेश तक अंतरिम रोक लगा दी. कोर्ट ने आरोपी को निर्देश दिया कि वह जांच अधिकारी की ओर से जांच के लिए बुलाए जाने पर जांच में शामिल होगा.

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