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ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रकरण में चिकित्सक को अग्रिम जमानत से इनकार, विशेष अनुमति याचिका खारिज - SC ON ORGAN TRANSPLANT CASE

ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सक ज्योति बंसल की अग्रिम जमानत के लिए पेश विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 20, 2024, 8:38 PM IST

जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी एनओसी से ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने से जुड़े मामले में फोर्टिस अस्पताल के चिकित्सक ज्योति बंसल को राहत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने अग्रिम जमानत के लिए पेश विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस टीसी रवि कुमार और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने यह आदेश दिए. अदालत ने कहा कि यह अपराध चिकित्सीय नैतिकता, टोहो अधिनियम और अंतरराष्ट्रीय कानून की गंभीर अवहेलना है.

एसएलपी में कहा गया कि एसओजी को मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं. वहीं हाईकोर्ट ने भी सह आरोपियों को जमानत देते हुए फर्जी एनओसी जारी करने में उनकी कोई भूमिका नहीं मानी है. याचिकाकर्ता ने अस्पताल प्रशासन को एनओसी मिलने के बाद ही ऑपरेशन किए थे.

पढ़ें: ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर लगाई रोक - Organ Transplant Case

दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता ने संगठित रैकेट में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है. उसे अग्रिम जमानत का लाभ दिया गया, तो वह जांच को बाधित कर सकता है. ऐसे में उसकी एसएलपी को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने एसएलपी को खारिज कर दिया है. गौरतलब है कि अदालत ने गत 2 अक्टूबर को डॉ ज्योति बंसल को अंतरिम राहत देते हुए उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी.

जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी एनओसी से ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने से जुड़े मामले में फोर्टिस अस्पताल के चिकित्सक ज्योति बंसल को राहत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने अग्रिम जमानत के लिए पेश विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस टीसी रवि कुमार और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने यह आदेश दिए. अदालत ने कहा कि यह अपराध चिकित्सीय नैतिकता, टोहो अधिनियम और अंतरराष्ट्रीय कानून की गंभीर अवहेलना है.

एसएलपी में कहा गया कि एसओजी को मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं. वहीं हाईकोर्ट ने भी सह आरोपियों को जमानत देते हुए फर्जी एनओसी जारी करने में उनकी कोई भूमिका नहीं मानी है. याचिकाकर्ता ने अस्पताल प्रशासन को एनओसी मिलने के बाद ही ऑपरेशन किए थे.

पढ़ें: ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर लगाई रोक - Organ Transplant Case

दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता ने संगठित रैकेट में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है. उसे अग्रिम जमानत का लाभ दिया गया, तो वह जांच को बाधित कर सकता है. ऐसे में उसकी एसएलपी को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने एसएलपी को खारिज कर दिया है. गौरतलब है कि अदालत ने गत 2 अक्टूबर को डॉ ज्योति बंसल को अंतरिम राहत देते हुए उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी.

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