लखनऊ : लोहिया संस्थान की इमरजेंसी फार्मेसी में महंगी जीवनरक्षक दवाओं को बाहर बेचने और स्टॉक में घपला करने का आरोप है. जीवनरक्षक एल्ब्यूमिन दवा के स्टॉक में गड़बड़ी का एक और मामला सामने आया है. इस बार भी आउटसोर्स कर्मचारियों पर आरोप लगा है. इमरजेंसी फार्मेसी की आउटसोर्स प्रभारी ने कार्यालय ज्ञापन जारी कर आरोपी कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा. आउटसोर्स प्रभारी का कार्यालय ज्ञापन भी चर्चा का विषय बना हुआ है. संस्थान के जानकारों की मानें तो आउटसोर्स प्रभारी को इस तरह का आदेश करने का अधिकार नहीं होता है.
दो कर्मचारी पर लगे आरोप: इमरजेंसी फार्मेसी की आउटसोर्स प्रभारी ने बुधवार को दो आउटसोर्स कर्मचारियों पर 1 अक्टूबर को दवा में घपला करने का आरोप लगाया और शुक्रवार को स्पष्टीकरण मांगा.
मुख्य आरोपियों पर कुछ आला अफसर मेहरबान: डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने महंगी दवाएं बाहर दुकानों पर बेचने के मामले में 5 नवंबर को जांच के आदेश भी दिए थे. लेकिन, इस खेल में शामिल मुख्य आरोपियों पर संस्थान के कुछ आला अफसर मेहरबान हैं. यही वजह है कि सिर्फ आउटसोर्स कर्मचारियों को झूठे मामले में फंसाकर नौकरी से हटाने का काम हो रहा है. 30 आउटसोर्स कर्मचारी एचआरएफ की फार्मेसी में हेरा-फेरी के आरोप में हटाए जा चुके हैं.
आउटसोर्स के जिम्मे विभाग: हॉस्पिटल ब्लॉक का फिजियोथेरेपी विभाग आउटसोर्स फिजियोथेरेपिस्ट के सहारे है. ज्यादातर कैश काउंटरों की जिम्मेदारी आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे है. पंजीकरण काउंटरों पर भी आउटसोर्स कर्मी हैं. पैथालॉजी कलेक्शन सेंटर व ब्लड बैंक में स्थायी एलटी की ड्यूटी नहीं है.
मातृ एवं शिशु रेफरल अस्पताल में सैंपल कलेक्शन, पैथालॉजी का भी यही हाल है. लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ. भुवन चंद्र तिवारी ने कहा कि मामले की जांच चल रही है, जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर सख्त कार्रवाई होगी. लोहिया संस्थान प्रशासन किसी पर मेहरबान नहीं है.
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