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हिमाचल में हाथियों का आतंक जारी, प्रभावित इलाकों में लगाए जा रहे एनाइडर सिस्टम, जानें कैसे करता है ये काम? - Anider System

Anider System to keep Elephant away: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में हाथियों का आतंक जारी है. जिले की पांवटा साहिब घाटी और नाहन वन मंडल में हाथियों द्वारा नुकसान के मामले सामने आए हैं. वहीं, विभाग द्वारा हाथियों को रिहायसी इलाकों से दूर रखने के लिए एनाइडर सिस्टम की मदद ली जा रही है, जिससे हाथियों को गांव से दूर रखा जा रहा है.

Anider System to keep Elephant away
सिरमौर जिले में लगाए जा रहे एनाइडर सिस्टम (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 1, 2024, 1:38 PM IST

सिरमौर: पिछले कुछ सालों में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की पांवटा साहिब घाटी में हाथियों का आवागमन काफी ज्यादा बढ़ गया है. यहीं नहीं अब हाथी अपना दायरा बढ़ाकर नाहन विकासखंड तक में दस्तक दे रहे हैं. पिछले साल भी हाथी एक महिला समेत 2 लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं. हाल ही में चंद रोज पहले हाथियों ने कोलर रेंज के ग्रामीण इलाके में फसलों को भी नुकसान पहुंचाया.

प्रभावित इलाकों में लगाए जा रहे एनाइडर सिस्टम

ऐसे में अब वन विभाग लगातार हाथी प्रभावित इलाकों में लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर पुख्ता इंतजाम करने में जुटा है. अब तक पांवटा साहिब में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 8 से 10 एनाइडर सिस्टम प्रभावित इलाकों में स्थापित किए जा चुके हैं. जिसके अभी तक परिणाम भी संतोषजनक देखने को मिल रहे हैं. साथ ही अन्य इंतजाम करने के साथ-साथ फील्ड में लोगों को भी लगातार जागरूक किया जा रहा है.

यहां से सिरमौर में एंट्री कर रहे हाथी

नाहन वन वृत के अरण्यपाल वसंत किरण बाबू ने बताया कि हाथी उत्तराखंड-यूपी बॉर्डर से सिरमौर में दाखिल हो रहे हैं. अभी ताजा फील्ड रिपोर्ट के मुताबिक 7 हाथी पांवटा साहिब घाटी में आ गए हैं, जिन्होंने क्षेत्र में फसलों को भी नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में राजाजी नेशनल पार्क के साथ बन रहे हाइवे के कारण भी जंगली जानवर डिस्टर्ब हो रहे हैं. यही एक बड़ी वजह है कि हाथी हिमाचल की तरफ रुख कर रहे हैं.

अरण्यपाल वसंत किरण बाबू ने बताया, "प्रोजेक्ट एलिफैंट के तहत हाथी प्रभावित इलाकों में एनाइडर सिस्टम लगाए जा रहे हैं. अब तक नाहन और पांवटा साहिब में इस तरह के करीब 8 से 10 सिस्टम गांवों के साथ लगाए जा चुके हैं, ताकि रिहायशी इलाकों में हाथियों की मूवमेंट को रोका जा सके."

हाथियों से बचाव के लिए सुरक्षा इंतजाम

अरण्यपाल ने बताया कि हाथियों से बचाव के लिए फील्ड स्टाफ को एयरगन, साउंड गन, एलईडी टॉर्च इत्यादि भी उपलब्ध करवाए गए हैं. साथ ही सायरन और वाहन भी उपलब्ध करवाए गए हैं. विशेष टीमें रात्रि गश्त भी कर रही हैं. इसके अलावा इस साल रिहायशी इलाकों में हाथियों की रोकथाम को लेकर सोलर फेंसिंग समेत सुरक्षा के अन्य काम को भी पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि स्थानीय लोगों को हाथियों के डर से निजात मिल सके. फील्ड में विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी लोगों को हाथी के आगमन पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इस बारे भी जागरूक कर रहे है.

क्या है एनाइडर सिस्टम?

नाहन वन वृत के अरण्यपाल वसंत किरण बाबू ने बताया कि एनाइडर सिस्टम यानी एनिमल इंट्रजन डिटेक्शन एंड रेपेलेंट सिस्टम है. यह एक ऐसा वार्निंग एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए बेहद कारगर माना जाता है. फिलहाल नाहन और पांवटा साहिब में जहां-जहां ये सिस्टम लगाए गए हैं, वहां हाथियों के आगमन की कोई भी सूचना नहीं मिली है.

कैसे करता है काम?

अरण्यपाल ने बताया कि ये उपकरण अपनी रेंज में आने वाले जंगली जानवरों की आहट को दूर से ही भांप लेता है. यह उपकरण सोलर लाइट पर आधारित है, जो दिन के साथ-साथ रात में भी काम करता है. 30 से 60 मीटर तक की दूरी तक सेंसर के जरिए से किसी भी जंगली जानवर को सेंस करके यह उपकरण एलईडी फ्लैश से उन्हें चौंकाकर अलग-अलग तरह की आवाजें निकालते हुए अलार्म बजाता है. इससे डरकर जंगली जानवर गांव की तरफ न जाकर जंगलों की तरफ भाग जाते हैं.

लंबे समय से जारी है हाथियों का आतंक

गौरतलब है कि एक लंबे अरसे से यमुना नदी पार कर बहराल से होते हुए हाथियों का सिरमौर जिले में आवागमन हो रहा है. अब यह हाथी पांवटा साहिब घाटी तक सीमित न रहकर नाहन वन मंडल के अधीन आने वाले इलाकों में भी पहुंच रहे हैं, जो खेतों में फसलों इत्यादि को भारी नुकसान पहुंचाते है. पिछले साल नाहन वन मंडल के तहत कोलर में एक बुजुर्ग महिला और माजरा रेंज के तहत एक भेड़ पालक को भी हाथी मौत के घाट उतार चुके हैं. यही वजह है कि हाथियों की लगातार मूवमेंट को बढ़ते देख लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर विभाग प्रभावित इलाकों में पुख्ता प्रबंध कर रहा है.

ये भी पढ़ें: अब एनाइडर सिस्टम करेगा हाथियों के हमले से लोगों की सुरक्षा, जानें इससे कैसे दूर भागेंगे जंगली जानवर

सिरमौर: पिछले कुछ सालों में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की पांवटा साहिब घाटी में हाथियों का आवागमन काफी ज्यादा बढ़ गया है. यहीं नहीं अब हाथी अपना दायरा बढ़ाकर नाहन विकासखंड तक में दस्तक दे रहे हैं. पिछले साल भी हाथी एक महिला समेत 2 लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं. हाल ही में चंद रोज पहले हाथियों ने कोलर रेंज के ग्रामीण इलाके में फसलों को भी नुकसान पहुंचाया.

प्रभावित इलाकों में लगाए जा रहे एनाइडर सिस्टम

ऐसे में अब वन विभाग लगातार हाथी प्रभावित इलाकों में लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर पुख्ता इंतजाम करने में जुटा है. अब तक पांवटा साहिब में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 8 से 10 एनाइडर सिस्टम प्रभावित इलाकों में स्थापित किए जा चुके हैं. जिसके अभी तक परिणाम भी संतोषजनक देखने को मिल रहे हैं. साथ ही अन्य इंतजाम करने के साथ-साथ फील्ड में लोगों को भी लगातार जागरूक किया जा रहा है.

यहां से सिरमौर में एंट्री कर रहे हाथी

नाहन वन वृत के अरण्यपाल वसंत किरण बाबू ने बताया कि हाथी उत्तराखंड-यूपी बॉर्डर से सिरमौर में दाखिल हो रहे हैं. अभी ताजा फील्ड रिपोर्ट के मुताबिक 7 हाथी पांवटा साहिब घाटी में आ गए हैं, जिन्होंने क्षेत्र में फसलों को भी नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में राजाजी नेशनल पार्क के साथ बन रहे हाइवे के कारण भी जंगली जानवर डिस्टर्ब हो रहे हैं. यही एक बड़ी वजह है कि हाथी हिमाचल की तरफ रुख कर रहे हैं.

अरण्यपाल वसंत किरण बाबू ने बताया, "प्रोजेक्ट एलिफैंट के तहत हाथी प्रभावित इलाकों में एनाइडर सिस्टम लगाए जा रहे हैं. अब तक नाहन और पांवटा साहिब में इस तरह के करीब 8 से 10 सिस्टम गांवों के साथ लगाए जा चुके हैं, ताकि रिहायशी इलाकों में हाथियों की मूवमेंट को रोका जा सके."

हाथियों से बचाव के लिए सुरक्षा इंतजाम

अरण्यपाल ने बताया कि हाथियों से बचाव के लिए फील्ड स्टाफ को एयरगन, साउंड गन, एलईडी टॉर्च इत्यादि भी उपलब्ध करवाए गए हैं. साथ ही सायरन और वाहन भी उपलब्ध करवाए गए हैं. विशेष टीमें रात्रि गश्त भी कर रही हैं. इसके अलावा इस साल रिहायशी इलाकों में हाथियों की रोकथाम को लेकर सोलर फेंसिंग समेत सुरक्षा के अन्य काम को भी पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि स्थानीय लोगों को हाथियों के डर से निजात मिल सके. फील्ड में विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी लोगों को हाथी के आगमन पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इस बारे भी जागरूक कर रहे है.

क्या है एनाइडर सिस्टम?

नाहन वन वृत के अरण्यपाल वसंत किरण बाबू ने बताया कि एनाइडर सिस्टम यानी एनिमल इंट्रजन डिटेक्शन एंड रेपेलेंट सिस्टम है. यह एक ऐसा वार्निंग एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए बेहद कारगर माना जाता है. फिलहाल नाहन और पांवटा साहिब में जहां-जहां ये सिस्टम लगाए गए हैं, वहां हाथियों के आगमन की कोई भी सूचना नहीं मिली है.

कैसे करता है काम?

अरण्यपाल ने बताया कि ये उपकरण अपनी रेंज में आने वाले जंगली जानवरों की आहट को दूर से ही भांप लेता है. यह उपकरण सोलर लाइट पर आधारित है, जो दिन के साथ-साथ रात में भी काम करता है. 30 से 60 मीटर तक की दूरी तक सेंसर के जरिए से किसी भी जंगली जानवर को सेंस करके यह उपकरण एलईडी फ्लैश से उन्हें चौंकाकर अलग-अलग तरह की आवाजें निकालते हुए अलार्म बजाता है. इससे डरकर जंगली जानवर गांव की तरफ न जाकर जंगलों की तरफ भाग जाते हैं.

लंबे समय से जारी है हाथियों का आतंक

गौरतलब है कि एक लंबे अरसे से यमुना नदी पार कर बहराल से होते हुए हाथियों का सिरमौर जिले में आवागमन हो रहा है. अब यह हाथी पांवटा साहिब घाटी तक सीमित न रहकर नाहन वन मंडल के अधीन आने वाले इलाकों में भी पहुंच रहे हैं, जो खेतों में फसलों इत्यादि को भारी नुकसान पहुंचाते है. पिछले साल नाहन वन मंडल के तहत कोलर में एक बुजुर्ग महिला और माजरा रेंज के तहत एक भेड़ पालक को भी हाथी मौत के घाट उतार चुके हैं. यही वजह है कि हाथियों की लगातार मूवमेंट को बढ़ते देख लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर विभाग प्रभावित इलाकों में पुख्ता प्रबंध कर रहा है.

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