सागर(कपिल तिवारी): किशोरी, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए सरकार द्वारा आंगनवाड़ी केंद्र के माध्यम से टेक होम राशन के तहत सूखा राशन वितरित किया जाता है. लेकिन कई बार शिकायत मिलती है कि पोषण आहार हितग्राही तक नहीं पहुंचा. योजना में बड़े पैमाने पर हेराफेरी होती है.
इस समस्या से निपटने के लिए सरकार पारदर्शी व्यवस्था लागू करने की दिशा में एक जनवरी 2025 से फेस वैरिफिकेशन और ओटीपी सिस्टम लागू कर रही है. लेकिन व्यवस्था लागू होने से पहले ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि सरकार प्रशिक्षण, सहूलियत और अच्छे उपकरणों के बिना तरह-तरह के काम करवाना चाहती है.
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क्या है टेक होम राशन व्यवस्था
भारत सरकार के समेकित बाल विकास कार्यक्रम के तहत आंगनवाड़ी केंद्र में कमजोर वर्ग के परिवारों के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के साथ किशोरियों को पूरक पोषण आहार दिया जाता है. इस व्यवस्था को टेक होम राशन (टीएचआर) के तहत जाना जाता है. इस व्यवस्था के तहत कुपोषण की समस्या दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. पूरक पोषण के तौर पर पोषण आहार का तैयार मिश्रण और अंडे दिए जाते हैं. जिससे कई नए व्यंजन बनाए जा सकते हैं, जिनको बच्चे काफी पसंद करते हैं.
एक जनवरी 2025 से लागू होगा फेस वेरिफिकेशन सिस्टम
नई व्यवस्था के तहत फेस वेरिफिकेशन और ओटीपी के जरिए टीएचआर का वितरण किया जाएगा. जो किशोरी, महिलाएं अपने और अपने बच्चों के लिए
पोषण आहार लेने आंगनवाड़ी केंद्र पहुंचेंगी. उनका बायोमेट्रिक सिस्टम के तहत फेस रीडर के माध्यम से फेस वेरिफिकेशन किया जाएगा. साथ ही आंगनवाड़ी में हितग्राही का जो मोबाइल नंबर दर्ज होगा, उस नंबर पर एक ओटीपी आएगा. जिसको दिखाने पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को टेक होम राशन दिया जाएगा. यदि महिलाएं या बच्चे किसी कारणवश पोषण आहार लेने नहीं पहुंच पा रही है, तो किसी दूसरे परिजन के जरिए मोबाइल पर ओटीपी का सत्यापन किया जा सकेगा.
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का इसलिए है विरोध
मध्य प्रदेश बुलंद आवाज नारी शक्ति आंगनवाड़ी सहायिका और कार्यकर्ता संघ की प्रांताध्यक्ष रामेश्वरी मेश्राम ने कहा " पहले हमसे पोषण आहार पोषण ट्रैकर पर काम करवाया उसके बाद संपर्क ऐप पर काम करवाया गया. अब तीसरा फरमान आया है कि टीएचआर ( टेक होम राशन) वितरण करें, तो फोटो कैप्चर करें. बच्चों और हितग्राही की फोटो अपलोड होने पर ही वितरण माना जाएगा."
उन्होंने आगे कहा "हम ये कह रहे हैं कि हमारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कमजोर नहीं हैं. जमीनी स्तर पर सब काम करती हैं. उन्हें सहूलियत दी जाए. शासन द्वारा मोबाइल और सिम दिया जाए और मोबाइल को रिचार्ज किया जाए. विभाग द्वारा सही तरीके से प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है. दो-तीन प्रशिक्षण देकर सारे काम करवाए जाते हैं. छोटा मोबाइल बांट दिया गया है, जिससे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मोबाइल से काम नहीं कर पा रही हैं. कार्यक्रम और परियोजना अधिकारी तो कलेक्टर मीटिंग में बोल देते हैं कि हम कर लेंगे. लेकिन जमीनी स्तर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को समस्याओं का सामना करना पड़ता है."