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आनंदपाल एनकाउंटर में ट्विस्ट, कोर्ट ने गोली मारने के तरीके पर उठाया सवाल तो पुलिस की 'कहानी' पर फिरा पानी - Anand pal Encounter Case

Court Order in Anand pal Encounter Case, 24 जून 2017 को कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एंकाउंटर को कोर्ट ने हत्या बताते हुए मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने आनंदपाल के भाई, जो चश्मदीद भी था, की दलीलों को साक्ष्य के अनुसार मानते हुए पुलिसकर्मियों के कृत्य को गंभीर माना है. जानिए उस रात क्या हुआ था...

आनंदपाल एकाउंटर मामला
आनंदपाल एकाउंटर मामला (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 25, 2024, 5:39 PM IST

अधिवक्ता त्रिभुवन सिंह ने ये कहा (ETV Bharat Jodhpur)

जोधपुर. गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एंकाउंटर को लेकर पुलिस की दलीलें सीबीआई कोर्ट ने नहीं मानीं, जिसके कारण चूरू के तत्कालीन एसपी सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने का आदेश पारित किया गया है, यानी कोर्ट ने माना कि पुलिस ने आनंदपाल को जिंदा पकड़ लिया था, इसके बाद उसे गोली मारी. घटनास्थल से पुलिस कर्मियों की पिस्टल और बंदूकों के ही खाली खोल बरामद हुए, जबकि पुलिस ने दावा किया था कि आंनदपाल सिंह एके 47 से फायर कर रहा था.

ऐसे में सवाल उठता है कि अगर वह फायर कर रहा था तो पुलिस वाले ऊपर नहीं पहुंच सकते थे. यह दर्शाता है कि पुलिस वाले आंनदपाल के जीवित रहते हुए छत पर पहुंच गए थे. इसकी पुष्टि आंनदपाल के भाई रुपिंदर सिंह के बयानों से होती है. कोर्ट ने फैसले में लिखा कि आनंदपाल सिंह अपराधी था, लेकिन उसके सरेंडर करने के बाद पुलिस को किसी तरह की चोट पहुंचने की संभावना नहीं थी. ऐसे में किसी पकड़े गए व्यक्ति की हत्या करने को पदीय (पद पर रहते हुए किए गए कृत्य) कृत्य के तहत किया गया कृत्य नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने पुलिस के इस कृत्य को इतना गंभीर माना कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राहुल बारहठ, सीईओ विधाप्रकाश, सीआई सूर्यवीर सिंह, हेड कांस्टेबल कैलाशचंद्र, कांस्टेबल सोहनसिंह, धर्मपाल व धर्मवीर के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत बिना अभियोजन स्वीकृति के ही मामला दर्ज करने के निर्देश दिए.

पढ़ें. आनंदपाल एनकाउंटर मामला, जानिए सांवराद में क्यों भड़की थी हिंसा ? - Anand pal Singh Encounter Case

शरीर पर टैटूइंग से हत्या का अंदेशा : आदेश में वर्णित किया गया है कि आनंदपाल के शव का दो बार पोस्टमार्टम हुआ था. पहले पोस्टमार्टम में उसके शरीर से 11 गोलियां और दूसरे पोस्टमार्टम से दो गोलियां यानी कुल 13 गोलियां उसे मारी गईं थी. इससे पहला पोस्टमार्टम संदेह के दायरे में आ गया. दूसरे पोस्टमार्टम में बताया गया है कि शरीर पर चोट के चलते उसके शरीर पर टैटूइंग हो गई थी. आदेश में मेडिकल ज्यूरिसप्रूडेंस एंड टॉक्सिकोलॉजी की किताब का हवाला देते हुए लिखा गया है कि टैटूइंग शरीर के नजदीक से लेकर छह फीट की दूरी से गोली मारने पर ही संभव होती है. रुपिंदर सिंह ने अपने बयान में भी यही बात कही थी. इसके अलावा पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के बयान को भी कोर्ट ने आधार माना, जिसके चलते क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार नहीं की गई.

भाई को ढाल बनाकर पुलिस छत पर पहुंची : मजिस्ट्रेट ने आदेश में आनंदपाल सिंह के भाई के बयान का जिक्र किया है, 'जिसके अनुसार उस रात को पुलिस आनंदपाल के पास उस छत तक नहीं पहुंच पा रही थी, जहां वो था. तब सीईओ विधाप्रकाश ने उसके बड़े भाई रुपिंदर पाल को कहा कि तुम आनंदपाल से सरेंडर करवाओ और उसे पुलिस नहीं मारेगी. तब रुपिंदर ने अपने भाई को आवाज लगाई और कहा था कि विधाप्रकाश ने वादा किया है कि वह तुम्हे मारेंगे नहीं. रुपिंदर को आगे कर पुलिस छत पर पहुंची. वहां आंनदपाल ने हाथ ऊपर कर सरेंडर कर दिया. इसपर पुलिस अधिकारियों ने आनंदपाल को नीचे गिराया और विधाप्रकाश, सूर्यवीर सिंह और कैलाश ने उसे गोली मारी'.

पुलिस का दावा कांच के सहारे छत पर गए : सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में बताया कि 24 जून 2017 को मालासर में श्रवण सिंह के घर पर पुलिस ने घेराबंदी कर आनंदपाल सिंह को सरेंडर करने की चेतावनी दी थी, लेकिन फायरिंग नहीं रुकी. इस पर एसपी राहुल बारहठ ने कांस्टेबल धर्मवीर को नीचे से कांच लाने को कहा. बारहठ ने शीशे को दीवार के सटा कर धीरे-धीरे आगे बढ़ाया, तब उन्हें कमरे में हो रही हलचल और आनंदपाल की ओर से हो रही फायरिंग नजर आई. तब बारहठ, सूर्यवीर सिंह, हेड कांस्टेबल कैलाशचंद और कांस्टेबल सोहनसिंह, धर्मपाल और धर्मवीर आगे बढ़े. सोहनसिंह सबसे आगे था.

सोहनसिंह ने अन्य को बताया कि आनंदपाल उनकी ओर आ रहा है. इस पर बचाव में पुलिस ने उस पर गोलियां दागी, जिससे उसकी मृत्यु हो गई. यहां पुलिस ने सीईओ विधाप्रकाश की उपस्थिति नहीं बताई, लेकिन मौके पर उनकी पिस्टल के कारतूस का खाली खोल मिला. इस पिस्टल का खाली कारतूस फायर करने वाले के पास ही गिरता है, तो अगर विधाप्रकाश वहां नहीं थे तो उनकी पिस्टल के कारतूस का खोल वहां कैसे आया? इसलिए उनको भी आरोपी माना.

पढ़ें. आनंदपाल एनकाउंटर : 20 दिन बाद हुई थी अंत्येष्टि, सीबीआई जांच की मांग को लेकर हुआ था उपद्रव - Anandpal encounter case

यह था मामला : अजमेर की जेल से डीडवाना पेशी भुगत कर वापस आते समय आनंदपाल 3 सितंबर 2015 को परबतसर के पास पुलिस कर्मियों को नशीली मिठाई खिलाकर भागा था. इस दौरान उसकी पुलिस से मुठभेड़ हुई, जिसमें पुलिस कर्मी मारे गए थे. दो साल तक पुलिस आनंदपाल का पता नहीं लगा पाई. 24 जून 2017 को चूरू के मालासर गांव में उसके होने की जानकारी मिलने पर पुलिस ने अमावस्या की रात को उसका एनकाउंटर कर दिया था. बाद में सरकार ने यह मामला सीबीआई को भेज दिया, जिसने अपनी क्लोजर रिपोर्ट पेश की जिसे कोर्ट ने नहीं माना.

अधिवक्ता त्रिभुवन सिंह ने ये कहा (ETV Bharat Jodhpur)

जोधपुर. गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एंकाउंटर को लेकर पुलिस की दलीलें सीबीआई कोर्ट ने नहीं मानीं, जिसके कारण चूरू के तत्कालीन एसपी सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने का आदेश पारित किया गया है, यानी कोर्ट ने माना कि पुलिस ने आनंदपाल को जिंदा पकड़ लिया था, इसके बाद उसे गोली मारी. घटनास्थल से पुलिस कर्मियों की पिस्टल और बंदूकों के ही खाली खोल बरामद हुए, जबकि पुलिस ने दावा किया था कि आंनदपाल सिंह एके 47 से फायर कर रहा था.

ऐसे में सवाल उठता है कि अगर वह फायर कर रहा था तो पुलिस वाले ऊपर नहीं पहुंच सकते थे. यह दर्शाता है कि पुलिस वाले आंनदपाल के जीवित रहते हुए छत पर पहुंच गए थे. इसकी पुष्टि आंनदपाल के भाई रुपिंदर सिंह के बयानों से होती है. कोर्ट ने फैसले में लिखा कि आनंदपाल सिंह अपराधी था, लेकिन उसके सरेंडर करने के बाद पुलिस को किसी तरह की चोट पहुंचने की संभावना नहीं थी. ऐसे में किसी पकड़े गए व्यक्ति की हत्या करने को पदीय (पद पर रहते हुए किए गए कृत्य) कृत्य के तहत किया गया कृत्य नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने पुलिस के इस कृत्य को इतना गंभीर माना कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राहुल बारहठ, सीईओ विधाप्रकाश, सीआई सूर्यवीर सिंह, हेड कांस्टेबल कैलाशचंद्र, कांस्टेबल सोहनसिंह, धर्मपाल व धर्मवीर के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत बिना अभियोजन स्वीकृति के ही मामला दर्ज करने के निर्देश दिए.

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शरीर पर टैटूइंग से हत्या का अंदेशा : आदेश में वर्णित किया गया है कि आनंदपाल के शव का दो बार पोस्टमार्टम हुआ था. पहले पोस्टमार्टम में उसके शरीर से 11 गोलियां और दूसरे पोस्टमार्टम से दो गोलियां यानी कुल 13 गोलियां उसे मारी गईं थी. इससे पहला पोस्टमार्टम संदेह के दायरे में आ गया. दूसरे पोस्टमार्टम में बताया गया है कि शरीर पर चोट के चलते उसके शरीर पर टैटूइंग हो गई थी. आदेश में मेडिकल ज्यूरिसप्रूडेंस एंड टॉक्सिकोलॉजी की किताब का हवाला देते हुए लिखा गया है कि टैटूइंग शरीर के नजदीक से लेकर छह फीट की दूरी से गोली मारने पर ही संभव होती है. रुपिंदर सिंह ने अपने बयान में भी यही बात कही थी. इसके अलावा पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के बयान को भी कोर्ट ने आधार माना, जिसके चलते क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार नहीं की गई.

भाई को ढाल बनाकर पुलिस छत पर पहुंची : मजिस्ट्रेट ने आदेश में आनंदपाल सिंह के भाई के बयान का जिक्र किया है, 'जिसके अनुसार उस रात को पुलिस आनंदपाल के पास उस छत तक नहीं पहुंच पा रही थी, जहां वो था. तब सीईओ विधाप्रकाश ने उसके बड़े भाई रुपिंदर पाल को कहा कि तुम आनंदपाल से सरेंडर करवाओ और उसे पुलिस नहीं मारेगी. तब रुपिंदर ने अपने भाई को आवाज लगाई और कहा था कि विधाप्रकाश ने वादा किया है कि वह तुम्हे मारेंगे नहीं. रुपिंदर को आगे कर पुलिस छत पर पहुंची. वहां आंनदपाल ने हाथ ऊपर कर सरेंडर कर दिया. इसपर पुलिस अधिकारियों ने आनंदपाल को नीचे गिराया और विधाप्रकाश, सूर्यवीर सिंह और कैलाश ने उसे गोली मारी'.

पुलिस का दावा कांच के सहारे छत पर गए : सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में बताया कि 24 जून 2017 को मालासर में श्रवण सिंह के घर पर पुलिस ने घेराबंदी कर आनंदपाल सिंह को सरेंडर करने की चेतावनी दी थी, लेकिन फायरिंग नहीं रुकी. इस पर एसपी राहुल बारहठ ने कांस्टेबल धर्मवीर को नीचे से कांच लाने को कहा. बारहठ ने शीशे को दीवार के सटा कर धीरे-धीरे आगे बढ़ाया, तब उन्हें कमरे में हो रही हलचल और आनंदपाल की ओर से हो रही फायरिंग नजर आई. तब बारहठ, सूर्यवीर सिंह, हेड कांस्टेबल कैलाशचंद और कांस्टेबल सोहनसिंह, धर्मपाल और धर्मवीर आगे बढ़े. सोहनसिंह सबसे आगे था.

सोहनसिंह ने अन्य को बताया कि आनंदपाल उनकी ओर आ रहा है. इस पर बचाव में पुलिस ने उस पर गोलियां दागी, जिससे उसकी मृत्यु हो गई. यहां पुलिस ने सीईओ विधाप्रकाश की उपस्थिति नहीं बताई, लेकिन मौके पर उनकी पिस्टल के कारतूस का खाली खोल मिला. इस पिस्टल का खाली कारतूस फायर करने वाले के पास ही गिरता है, तो अगर विधाप्रकाश वहां नहीं थे तो उनकी पिस्टल के कारतूस का खोल वहां कैसे आया? इसलिए उनको भी आरोपी माना.

पढ़ें. आनंदपाल एनकाउंटर : 20 दिन बाद हुई थी अंत्येष्टि, सीबीआई जांच की मांग को लेकर हुआ था उपद्रव - Anandpal encounter case

यह था मामला : अजमेर की जेल से डीडवाना पेशी भुगत कर वापस आते समय आनंदपाल 3 सितंबर 2015 को परबतसर के पास पुलिस कर्मियों को नशीली मिठाई खिलाकर भागा था. इस दौरान उसकी पुलिस से मुठभेड़ हुई, जिसमें पुलिस कर्मी मारे गए थे. दो साल तक पुलिस आनंदपाल का पता नहीं लगा पाई. 24 जून 2017 को चूरू के मालासर गांव में उसके होने की जानकारी मिलने पर पुलिस ने अमावस्या की रात को उसका एनकाउंटर कर दिया था. बाद में सरकार ने यह मामला सीबीआई को भेज दिया, जिसने अपनी क्लोजर रिपोर्ट पेश की जिसे कोर्ट ने नहीं माना.

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