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अल्मोड़ा के फयाटनोला की 90 साल की दादी को कंधे पर ले जाना पड़ा अस्पताल, 2 हफ्ते से पानी सप्लाई भी बंद - Lady carried hospital on shoulders

Lack of basic facilities in Fayatnola village एक तरफ हमारा देश आजादी का अमृतकाल मना रहा है, दूसरी तरफ उत्तराखंड के कई गांव ऐसे हैं जहां आज भी मूलभूत सुविधाओं का घोर अकाल है. इन्हीं गांवों में एक मुख्यमंत्री और कई केंद्रीय मंत्री देने वाले अल्मोड़ा जिले का फयाटनोला गांव है. यहां सड़क की हालत खराब होने के कारण 90 साल की बुजुर्ग महिला को कंधे पर बिठाकर कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा.

Fayatnola village
अल्मोड़ा के फयाटनोला गांव का समाचार (Photo by villagers)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 23, 2024, 12:48 PM IST

Updated : Sep 23, 2024, 1:16 PM IST

अल्मोड़ा: जिले के ताड़ीखेत ब्लॉक के फयाटनोला गांव की हालत बहुत खराब है. यहां मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग तरस रहे हैं. दो दिन पहले यहां एक 90 साल की बुजुर्ग महिला गंभीर रूप से बीमार हो गईं. महिला को अस्पताल पहुंचाने में लोगों को पसीने छूट गए. दरअसल यहां सड़क व्यवस्था खस्ताहाल है.

बीमार बुजुर्ग दादी को कंधे पर पहुंचाया अस्पताल: दरअसल 90 साल की रधुली देवी जो अपने गांव में ही रहती हैं, अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई. बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा था. उनसे चला भी नहीं जा रहा था. गांव के आसपास स्वास्थ्य सुविधा नहीं है. गांव की सड़क खस्ताहाल है. ऐसे में गांव के दो युवक गोविंद बबलू और योगेश ने 90 साल की दादी को कंधे पर बिठाया और कई किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक पहुंचाया. वहां से दादी को हल्द्वानी ले जाया गया.

90 साल की बीमार दादी को कंधे पर ले जाते ग्रामीण (Video provided by villagers)

सुविधाओं की कमी से ग्रामीण परेशान: सरकारी विभागों की कार्यशैली से गांव के लोगों में काफी गुस्सा है. उनका कहना है कि सड़क नहीं होने से उनका रोजमर्रा का जीवन बहुत कष्टमय हो गया है. नौकरी से रिटायर होकर गांव में रिवर्स पलायन करने वाले राजेंद्र सिंह कहते हैं कि हमने सरकार के गांव की ओर लौटें कैंपेन को समर्थन देते हुए और अपनी मातृभूमि की सेवा करने के लिये रिटायरमेंट के बाद शहर की आरामदायक जिंदगी को ठुकराकर गांव वापसी की. लेकिन सरकारी विभागों की बेरुखी देखकर मन खट्टा हो रहा है. राजेंद्र सिंह कहते हैं हमारे गांव में सड़क की समस्या तो है ही पिछले दो हफ्ते से पानी भी नहीं आ रहा है. ग्रामीण बरसात में जमा किया हुआ पानी पीने को मजबूर हैं. इससे लोग बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन सरकारी विभाग उदासीन बने हुए हैं.

पीडब्ल्यूडी ने छोड़ दी अधूरी सड़क : चमड़खान से सेलापानी के लिए 8 किलोमीटर की सड़क बननी है. कुछ साल पहले इस पर काम शुरू हुआ, लेकिन सड़क 5 किलोमीटर ही बन पाई. बाकी 3 किलोमीटर सेंक्शन तो है, लेकिन बताया जा रहा है कि फंड नहीं है. ऐसे में ये सड़क अधर में लटकी हुई है. फयाटनोला वही गांव है, जहां दो साल पहले गुलदार ने एक जवान बेटे जगदीश असनोड़ा को अपना शिकार बना दिया था. उस घटना के बाद से गांव में गुलदार कई मवेशियों को भी मार चुका है और लगातार उसकी दहशत बनी हुई है. ऐसे में गांव के लोग खुद को उपेक्षित और मुसीबत से घिरा महसूस कर रहे हैं.

70 साल के संघर्ष के बाद भी नहीं बनी सड़क: फयाटनोला से सटे गांव कनोली के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय मोती सिंह नेगी ने अपने जीवन पर्यंत सड़क के लिए संघर्ष और आंदोलन किए. उत्तर प्रदेश के समय में पहले लखनऊ और बाद में देहरादून में सड़क निर्माण हेतु नेताओं और अधिकारियों के चक्कर काटते रहे. उनके देहावसान के लगभग तीन साल के बाद भी गांव वालों को सड़क के लिए इन्तजार ही करना पड़ रहा है. गांव के निवासी बलबीर मावड़ी और देवी दत्त असनोड़ा ने इन हालातों पर चिंता जताई है. आश्चर्य की बात ये है कि फयाटनोला गांव से करीब 10 से 12 किलोमीटर दूर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का गांव मोहनरी है. ग्रामीण आरोप लगाते हैं कि देश विदेश की राजनीति का दम भरने वाले हरीश रावत ने भी कभी अपने पड़ोस के गांव फयाटनोला की सड़क की ओर ध्यान नहीं दिया.

फयाटनोला गांव में पानी की भी किल्लत: चमड़खान सेलापानी मोटरमार्ग में ही फयाटनोला गांव पड़ता है. इस सड़क के लिए वर्ष 2020 में 8 किमी स्वीकृत हुआ था. इसमे 5 किलोमीटर में 240.78 लाख से दो फेज का कार्य पूरा हो चुका है. विभाग के अनुसार शेष 3 किमी सड़क के लिए शासन को 40.65 लाख का बजट विगत वर्ष 19 जुलाई 2023 को भेजा गया, लेकिन अभी तक शासन स्तर से बजट अवमुक्त नहीं हुआ है. दूसरी ओर इस क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या विकट हो गई है. ग्रामीणों के घरों में लगे नल सूखे हैं. ग्रामीण वर्षा के पानी को पीने के लिए उपयोग में ला रहे हैं, जो बीमारी का कारण बन रहा है. इस संबंध में जब ईटीवी भारत ने क्षेत्र की पानी की समस्या के कारणों को जानने के लिए जल संस्थान रानीखेत के अधिशासी अभियंता सुरेश ठाकुर से बात करनी चाही, तो कई बार फोन करने के बाद भी उनका फ़ोन नहीं उठा.

शेष सड़क का शासन से नहीं हुआ बजट अवमुक्त: लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ओंकार पांडे ने बताया कि चमड़खान सेलापानी मोटरमार्ग 8 किमी स्वीकृत है. इसमें 5 किमी सड़क के दूसरे फेज का कार्य पूर्ण हो चुका है. वहीं शेष 3 किमी सड़क निर्माण के लिए शासन को 40.65 लाख का बजट बनाकर भेजा है. बजट प्राप्त होते ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
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बीमार बुजुर्ग दादी को कंधे पर पहुंचाया अस्पताल: दरअसल 90 साल की रधुली देवी जो अपने गांव में ही रहती हैं, अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई. बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा था. उनसे चला भी नहीं जा रहा था. गांव के आसपास स्वास्थ्य सुविधा नहीं है. गांव की सड़क खस्ताहाल है. ऐसे में गांव के दो युवक गोविंद बबलू और योगेश ने 90 साल की दादी को कंधे पर बिठाया और कई किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक पहुंचाया. वहां से दादी को हल्द्वानी ले जाया गया.

90 साल की बीमार दादी को कंधे पर ले जाते ग्रामीण (Video provided by villagers)

सुविधाओं की कमी से ग्रामीण परेशान: सरकारी विभागों की कार्यशैली से गांव के लोगों में काफी गुस्सा है. उनका कहना है कि सड़क नहीं होने से उनका रोजमर्रा का जीवन बहुत कष्टमय हो गया है. नौकरी से रिटायर होकर गांव में रिवर्स पलायन करने वाले राजेंद्र सिंह कहते हैं कि हमने सरकार के गांव की ओर लौटें कैंपेन को समर्थन देते हुए और अपनी मातृभूमि की सेवा करने के लिये रिटायरमेंट के बाद शहर की आरामदायक जिंदगी को ठुकराकर गांव वापसी की. लेकिन सरकारी विभागों की बेरुखी देखकर मन खट्टा हो रहा है. राजेंद्र सिंह कहते हैं हमारे गांव में सड़क की समस्या तो है ही पिछले दो हफ्ते से पानी भी नहीं आ रहा है. ग्रामीण बरसात में जमा किया हुआ पानी पीने को मजबूर हैं. इससे लोग बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन सरकारी विभाग उदासीन बने हुए हैं.

पीडब्ल्यूडी ने छोड़ दी अधूरी सड़क : चमड़खान से सेलापानी के लिए 8 किलोमीटर की सड़क बननी है. कुछ साल पहले इस पर काम शुरू हुआ, लेकिन सड़क 5 किलोमीटर ही बन पाई. बाकी 3 किलोमीटर सेंक्शन तो है, लेकिन बताया जा रहा है कि फंड नहीं है. ऐसे में ये सड़क अधर में लटकी हुई है. फयाटनोला वही गांव है, जहां दो साल पहले गुलदार ने एक जवान बेटे जगदीश असनोड़ा को अपना शिकार बना दिया था. उस घटना के बाद से गांव में गुलदार कई मवेशियों को भी मार चुका है और लगातार उसकी दहशत बनी हुई है. ऐसे में गांव के लोग खुद को उपेक्षित और मुसीबत से घिरा महसूस कर रहे हैं.

70 साल के संघर्ष के बाद भी नहीं बनी सड़क: फयाटनोला से सटे गांव कनोली के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय मोती सिंह नेगी ने अपने जीवन पर्यंत सड़क के लिए संघर्ष और आंदोलन किए. उत्तर प्रदेश के समय में पहले लखनऊ और बाद में देहरादून में सड़क निर्माण हेतु नेताओं और अधिकारियों के चक्कर काटते रहे. उनके देहावसान के लगभग तीन साल के बाद भी गांव वालों को सड़क के लिए इन्तजार ही करना पड़ रहा है. गांव के निवासी बलबीर मावड़ी और देवी दत्त असनोड़ा ने इन हालातों पर चिंता जताई है. आश्चर्य की बात ये है कि फयाटनोला गांव से करीब 10 से 12 किलोमीटर दूर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का गांव मोहनरी है. ग्रामीण आरोप लगाते हैं कि देश विदेश की राजनीति का दम भरने वाले हरीश रावत ने भी कभी अपने पड़ोस के गांव फयाटनोला की सड़क की ओर ध्यान नहीं दिया.

फयाटनोला गांव में पानी की भी किल्लत: चमड़खान सेलापानी मोटरमार्ग में ही फयाटनोला गांव पड़ता है. इस सड़क के लिए वर्ष 2020 में 8 किमी स्वीकृत हुआ था. इसमे 5 किलोमीटर में 240.78 लाख से दो फेज का कार्य पूरा हो चुका है. विभाग के अनुसार शेष 3 किमी सड़क के लिए शासन को 40.65 लाख का बजट विगत वर्ष 19 जुलाई 2023 को भेजा गया, लेकिन अभी तक शासन स्तर से बजट अवमुक्त नहीं हुआ है. दूसरी ओर इस क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या विकट हो गई है. ग्रामीणों के घरों में लगे नल सूखे हैं. ग्रामीण वर्षा के पानी को पीने के लिए उपयोग में ला रहे हैं, जो बीमारी का कारण बन रहा है. इस संबंध में जब ईटीवी भारत ने क्षेत्र की पानी की समस्या के कारणों को जानने के लिए जल संस्थान रानीखेत के अधिशासी अभियंता सुरेश ठाकुर से बात करनी चाही, तो कई बार फोन करने के बाद भी उनका फ़ोन नहीं उठा.

शेष सड़क का शासन से नहीं हुआ बजट अवमुक्त: लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ओंकार पांडे ने बताया कि चमड़खान सेलापानी मोटरमार्ग 8 किमी स्वीकृत है. इसमें 5 किमी सड़क के दूसरे फेज का कार्य पूर्ण हो चुका है. वहीं शेष 3 किमी सड़क निर्माण के लिए शासन को 40.65 लाख का बजट बनाकर भेजा है. बजट प्राप्त होते ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
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Last Updated : Sep 23, 2024, 1:16 PM IST
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