भोपाल। मध्यप्रदेश के घर-घर में अपनी पैठ बना चुका सांची दुग्ध संघ जल्द ही अमूल का हो जाएगा. लोकसभा चुनाव बाद इस पर फैसला हो सकता है. इसको लेकर एमपी सरकार लंबे समय से प्रयास कर रही है. एमपी के मुख्यमंत्री मोहन यादव और सांची दुग्ध संघ के अधिकारियों के साथ अमूल डेयरी के प्रबंधन की कई बैठकें भी हो चुकी हैं.
'सांची को अमूल के साथ मर्ज किये जाने का फैसला'
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के प्रधान सचिव गुलशन बामरा ने बताया कि "दूध उत्पादक किसानों के लाभ के लिए सांची को अमूल के साथ मर्ज किये जाने का फैसला किया गया है. इससे एमपी के पशुपालकों की आय में इजाफा होगा." बता दें कि अमूल डेयरी का संचालन गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ द्वारा किया जा रहा है, जो गुजरात की एक सहकारी संस्था है.
जनवरी में मुख्यमंत्री के साथ हो चुकी है बैठक
अमूल डेयरी में सांची को मर्ज करने को लेकर बीते 10 जनवरी को गुजरात में बैठक हो चुकी है. इसमें मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ सांची और अमूल डेयरी के अधिकारी भी शामिल हो चुके हैं. इसके साथ इंदौर में हुई इंवेस्टर समिट में भी इसको लेकर चर्चा की गई थी. अब इसे अमूल द्वारा टेकओवर करने की योजना बनाई जा रही है.
पहले अमूल से मदद चाहती थी एमपी सरकार
अमूल डेयरी के मॉडल को एमपी सरकार भी अपनाना चाहती थी. इसको लेकर अमूल डेयरी के अधिकारियों से मदद मांगी गई थी. लेकिन इसमें अमूल डेयरी प्रबंधन ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. जिसके बाद एमपी सरकार ने अब इसे अमूल डेयरी को सौंपने का निर्णय लिया है. जिससे किसानों और दुग्ध उत्पादकों की आय बढ़ाई जा सके.
एमपी में सांची और अमूल की ये है स्थिति
मध्यप्रदेश में जितना दूध उत्पादन होता है, उसका करीब 50 फीसदी दूध सांची किसानों से खरीदती है, यानि कि करीब 10 लाख लीटर दूध प्रतिदिन सांची के द्वारा एमपी के किसानों से खरीदा जाता है. वहीं अमूल प्रतिदिन किसानों से करीब 4 लाख लीटर दूध खरीदता है, यानि कि अमूल एमपी में सांची का बड़ा काम्पटीटर है.
1982 करोड़ रुपये है सांची का सालाना टर्नओवर
2022-23 में सांची का सालाना टर्नओवर 1982 करोड़ रुपये था, जबकि पूरे आपरेशन में सांची दुग्ध संघ को सालाना 1500 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसको देखते हुए एमपी सरकार ने इसे अमूल डेयरी को देने का फैसला लिया है. बता दें कि अमूल डेयरी का पूरे देश में वर्ष 2022-23 में 17000 करोड़ रुपये से अधिक का टर्नओवर था.
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इनका कहना है
"अमूल डेयरी के प्रबंधन और एमपी सरकार के प्रतिनिधियों के बीच इसको लेकर बैठक हो चुकी है. लेकिन आखिरी फैसला मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद लिया जाएगा.दूध उत्पादक किसानों के लाभ के लिए सांची को अमूल के साथ मर्ज किये जाने का फैसला किया गया है." - गुलशन बामरा, प्रधान सचिव, पशुपालन एवं डेयरी विभाग