मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : एमसीबी जिले के तीनों नगर पंचायत खोंगापानी,नई लेदरी और झगराखांड में घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने के मकसद से एक साल पहले अमृत मिशन योजना को स्वीकृति मिली थी. स्वीकृति मिलने के बाद अब तक एक साल में 9 बार टेंडर कॉल किया गया. काम तो चालू नहीं हो पाया लेकिन टेंडर कॉल में ही छत्तीसगढ़ सरकार का पचास लाख से अधिक का खर्च हो चुका है. इधर इन तीनों नगर पंचायतों में आम जनता शुद्ध पेयजल के लिए तरस रही है.
प्राकृतिक स्त्रोतों पर निर्भर है जनता : नगर पंचायत के कई वार्डों के लोग प्राकृतिक जलस्त्रोतों से पानी इकट्ठा करके पी रहे हैं.कई जगह पर निस्तारी वाले गंदे और बदबूदार पानी को ही छानकर लोग अपनी प्यास बुझा रहे हैं. नगर पंचायत लेदरी की बात करें तो सबसे अधिक समस्या वार्ड नंबर 6,7 और 13 वार्ड नंबर में है. जहां सुबह से पानी के लिए बच्चों सहित पूरा परिवार जद्दोजहद करता हैं. आलम ये है कि यहां के निवासियों को दो किलोमीटर तक पैदल चलकर पानी लाना पड़ता है. इस बारे में पहले नगर पंचायत के सीएमओ को इस बारे में जानकारी दी गई.लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला.
SECL नहीं करता जल की आपूर्ति : नगर पंचायत नई लेदरी की अध्यक्ष सरोज पांडेय ने बताया कि क्षेत्र में पेयजल की समस्या विकराल होती जा रही है.लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. अभी तक पानी के लिए हम पूरी तरह एसईसीएल पर निर्भर हैं. एसईसीएल भी पूरे नगर पंचायत में पानी सप्लाई नहीं देता है.
खोंगापानी नगर पंचायत में भी पानी की किल्लत : ये हाल सिर्फ नई लेदरी नगर पंचायत का ही नहीं है.बल्कि खोंगापानी नगर पंचायत का भी है.वार्ड नंबर 13 के पार्षद कमलभान चौधरी ने वार्ड में पानी की समस्या को माना.पार्षद की माने तो पाइप लाइन का विस्तार भी कराया गया है. लेकिन नगर पंचायत की उदासीनता के कारण पाइपलाइन चालू नहीं हो सकी है. वहीं नेता प्रतिपक्ष जगदीश मधुकर ने कहा कि कई बार इस संबंध में नगर पंचायत को बोला गया लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इस पूरे मामले में मनेंद्रगढ़ विधायक और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल का कहना है कि जल्द समस्या दूर होगी.
''दूरस्थ क्षेत्र और नियम में कठोरता के कारण कार्य में देरी हो रही है. अमृत मिशन का कार्य जल्द पूरा होगा. संबंधित विभाग से बातचीत कर जल्द कार्य कराने पहल की जाएगी.''- श्यामबिहारी जायसवाल, कैबिनेट मंत्री
योजना के पूरी होने की आस : इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात ये है कि केंद्र की योजना को अब तक शुरु ही नहीं किया जा सका है.जबकि लाखों रुपए टेंडर निकालने के नाम पर खर्च हो चुके हैं.ऐसे में यदि कोई ठेकेदार काम करने के लिए आगे नहीं आएगा तो अमृत मिशन का जल कभी भी जरुरतमंदों तक नहीं पहुंचेगा.