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अब आसान नहीं जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र में संशोधन, 21 दिन से अधिक होने पर लगेगी ये रिपोर्ट, जानिए क्या है नई व्यवस्था - Lucknow News

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 28, 2024, 7:14 AM IST

नगर निगम से जारी होने वाले जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र में अब संशोधन आसान (birth death certificate) नहीं होगा. जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन में 21 दिन से अधिक देर होने पर सीएमओ दफ्तर की रिपोर्ट लगानी होगी.

लखनऊ नगर निगम
लखनऊ नगर निगम (फोटो क्रेडिट : Etv Bharat)

लखनऊ : नगर निगम से जारी होने वाले जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र में अब संशोधन कराना आसान नहीं होगा. जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन में 21 दिन से अधिक देर होने पर सीएमओ कार्यालय की रिपोर्ट लगानी होगी. वहीं, मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदनकर्ता के साथ मृतक के माता-पिता या संरक्षक के आधार कार्ड का ब्योरा भी देना होगा. अभी तक तहसीलदार की रिपोर्ट पर मृत्यु के एक साल बाद भी प्रमाण पत्र लेने की व्यवस्था थी. लेकिन, अब कम से कम सब रजिस्ट्रार की रिपोर्ट अनिवार्य कर दी गई है. यह सब नए केंद्र सरकार के नए अपडेटेड साॅफ्टवेयर के चलते यह नई व्यवस्था होगी.


जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए अभी तक आसान प्रक्रिया थी. किसी भी अस्पताल की रिपोर्ट पर बड़ी आसानी से बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिया जा रहा था. पार्षद, लेखपाल या अधिकारी की रिपोर्ट लगाकर मृत्यु प्रमाण पत्र बन जा रहा था. प्रमाण पत्र जारी होने के बाद बदलाव कराना भी आसान था. एक ही ओटीपी पर बाबू नाम, जन्म या मृत्यु की तिथि जैसे सारे बदलाव आसानी से कर दे रहे थे. यह बदलाव भी कई बार हो रहा था. संशोधन के बहाने अभी तक प्रमाण पत्र में किसी भी तरह का बदलाव बड़ी आसानी से कर दिया जा रहा था.

नाम, तिथि, पता बदलने के लिए एक ही ओटीपी की जरुरत होती थी. इससे बाबूओं का काम आसान हो गया था. साॅफ्टवेयर में बदलाव के बाद व्यवस्था की गई है कि कॉलम के लिए अलग-अलग ओटीपी जारी हो रहा है. इसे डालने के बाद ही संशोधन किया जा सकता है. प्रमाण तैयार होने के बाद इसे आवेदक के मोबाइल पर लिंक के जरिए भेज दिया जाता था. अब प्रमाण पत्र बनते ही इसकी केवल सूचना फोन पर मिलेगी. इसके बाद नगर निगम कार्यालय जाकर आवेदन को कॉपी लेनी होगी. स्कूलों में रंगीन प्रमाण पत्र ही मान्य होता है लेकिन, नगर निगम के पास रंगीन प्रिंटर न होने से आवेदकों को परेशानी हो रही है.

नगर निगम से जारी प्रमाण पत्र के आधार पर हर साल जनगणना का ग्राफ बढ़ता है. बाबूओं की मनमानी से पैदा होने के कई साल बाद भी बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिया जा रहा था. इसी तरह मृत्यु कभी भी हुई हो लेकिन थोड़े से रुपये लेकर प्रमाण पत्र जारी कर दिए जा रहे थे. इस भ्रष्टाचार से एक तरफ जनगणना का समीकरण बिगड़ रहा था, दूसरी ओर स्कूलों में दाखिले और संपत्ति विवाद के मामलों इसका दुरुपयोग हो रहा था.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ विजय कुमार ने बताया कि सॉफ्टवेयर में जो बदलाव किये गए हैं उन पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है. लखनऊ नगर निगम इसमें कुछ नहीं कर सकता है. नियम के अनुसार ही जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाए जाएंगे.

यह भी पढ़ें : नगर निगम की महिला कर्मी से अभद्रता, कार्यालय में हुई बेहोश, तीन बाबू निलंबित, जांच कमेटी गठित - female worker indecency

यह भी पढ़ें : मैनहोल में गिरकर बच्चे की मौत का मामला हाईकोर्ट ने नगर निगम और LDA से मांगा विस्तृत जवाब - High Court News

लखनऊ : नगर निगम से जारी होने वाले जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र में अब संशोधन कराना आसान नहीं होगा. जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन में 21 दिन से अधिक देर होने पर सीएमओ कार्यालय की रिपोर्ट लगानी होगी. वहीं, मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदनकर्ता के साथ मृतक के माता-पिता या संरक्षक के आधार कार्ड का ब्योरा भी देना होगा. अभी तक तहसीलदार की रिपोर्ट पर मृत्यु के एक साल बाद भी प्रमाण पत्र लेने की व्यवस्था थी. लेकिन, अब कम से कम सब रजिस्ट्रार की रिपोर्ट अनिवार्य कर दी गई है. यह सब नए केंद्र सरकार के नए अपडेटेड साॅफ्टवेयर के चलते यह नई व्यवस्था होगी.


जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए अभी तक आसान प्रक्रिया थी. किसी भी अस्पताल की रिपोर्ट पर बड़ी आसानी से बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिया जा रहा था. पार्षद, लेखपाल या अधिकारी की रिपोर्ट लगाकर मृत्यु प्रमाण पत्र बन जा रहा था. प्रमाण पत्र जारी होने के बाद बदलाव कराना भी आसान था. एक ही ओटीपी पर बाबू नाम, जन्म या मृत्यु की तिथि जैसे सारे बदलाव आसानी से कर दे रहे थे. यह बदलाव भी कई बार हो रहा था. संशोधन के बहाने अभी तक प्रमाण पत्र में किसी भी तरह का बदलाव बड़ी आसानी से कर दिया जा रहा था.

नाम, तिथि, पता बदलने के लिए एक ही ओटीपी की जरुरत होती थी. इससे बाबूओं का काम आसान हो गया था. साॅफ्टवेयर में बदलाव के बाद व्यवस्था की गई है कि कॉलम के लिए अलग-अलग ओटीपी जारी हो रहा है. इसे डालने के बाद ही संशोधन किया जा सकता है. प्रमाण तैयार होने के बाद इसे आवेदक के मोबाइल पर लिंक के जरिए भेज दिया जाता था. अब प्रमाण पत्र बनते ही इसकी केवल सूचना फोन पर मिलेगी. इसके बाद नगर निगम कार्यालय जाकर आवेदन को कॉपी लेनी होगी. स्कूलों में रंगीन प्रमाण पत्र ही मान्य होता है लेकिन, नगर निगम के पास रंगीन प्रिंटर न होने से आवेदकों को परेशानी हो रही है.

नगर निगम से जारी प्रमाण पत्र के आधार पर हर साल जनगणना का ग्राफ बढ़ता है. बाबूओं की मनमानी से पैदा होने के कई साल बाद भी बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिया जा रहा था. इसी तरह मृत्यु कभी भी हुई हो लेकिन थोड़े से रुपये लेकर प्रमाण पत्र जारी कर दिए जा रहे थे. इस भ्रष्टाचार से एक तरफ जनगणना का समीकरण बिगड़ रहा था, दूसरी ओर स्कूलों में दाखिले और संपत्ति विवाद के मामलों इसका दुरुपयोग हो रहा था.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ विजय कुमार ने बताया कि सॉफ्टवेयर में जो बदलाव किये गए हैं उन पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है. लखनऊ नगर निगम इसमें कुछ नहीं कर सकता है. नियम के अनुसार ही जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाए जाएंगे.

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