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अंबिकापुर नगर निगम में नहीं है पीडीएस और आंगनबाड़ी भवन के लिए जगह, कैसे हो गया बड़ा घोटाला - AMBIKAPUR MUNICIPAL CORPORATION

आरोप है कि फर्जीवाड़े के जरिए सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कर दी गई.

AMBIKAPUR MUNICIPAL CORPORATION
सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कैसे हुई (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 7, 2024, 10:53 PM IST

सरगुजा: अंबिकापुर नगर निगम के पास सरकारी भूमि की किल्लत हो गई है. अगर नगर निगम को शहर में पार्किंग एरिया बनाना है, आंगनबाड़ी भवन बनाना है, पीडीएस दुकान खोलनी है तो जमीन नहीं मिल पाएगी. आरोप है कि नगर निगम और राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से खाली पड़े सरकारी जमीन पर लोगों का कब्जा दिखाकर उसकी रजिस्ट्री कर दी गई. अब इस बात को लेकर हंगामा शुरु हो चुका है.

सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कैसे हुई: कांग्रेस के शासन काल में 152 % में शासकीय भूमि की रजिस्ट्री किये जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. अम्बिकापुर नगर निगम क्षेत्र में इस योजना में बड़े भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद अब जांच शुरू हो गई है. नगर निगम की सामान्य सभा से कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पक्षों ने इसकी जांच कराने के लिए कलेक्टर को पत्र भेजने का प्रस्ताव पास कर दिया है.

सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कैसे हुई (ETV Bharat)

कलेक्टर को भेजा जाएगा प्रस्ताव: दरअसल, प्रदेश की पिछली भूपेश बघेल सरकार ने शासकीय भूमि पर काबिज लोगों को जमीन की वैल्यू का 152 % राशि जमा करने पर उस जमीन की रजिस्ट्री कब्जेधारी के नाम पर करने की योजना शुरु की थी. इस योजना में नगर निगम और राजस्व के अधिकारीयों की मिली भगत से बड़ा खेल हुआ. खाली पड़ी शासकीय जमीन पर लोगों का कब्जा दिखा कर रजिस्ट्री कर दी गई. लगातार विरोध के बाद भी किसी ने इस पर एक्शन नहीं लिया.

सरकार के पास नहीं है अब जमीन: अम्बिकापुर नगर निगम को सामुदायिक भवन, पीडीएस दुकान, आंगनबाड़ी भवन, पार्किंग एरिया जैसे सार्वजनिक उपयोग के निर्माण के लिए शासकीय जमीन ढूंढने से नही मिल रही है. जमीन की कमी के चलते शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है. सरकारी निर्माण कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं.

अम्बिकापुर में राजस्व विभाग के पटवारी और तहसीलदार ने निगम अमले के साथ मिलकर भ्रष्टाचार किया है. सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष ने कलेक्टर को प्रस्ताव भेजने पर सहमति जताई कि जितनी भी अनुमति 152 प्रतिशत के तहत दी गई है उसकी जांच गूगल मैप से हो और 30 अक्टूबर 2017 के पूर्व के जो लोग काबिज हैं वो पात्र हैं. खुली भूमि का पट्टा जारी हुआ है तो दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए. आवेदन करने वाले व्यक्ति की राशि भी राजसात की जाए. :आलोक दुबे, बीजेपी पार्षद

निगम क्षेत्र में शासकीय जमीन के नहीं होने के कारण कई सरकारी योजनाएं प्रभावित होती हैं. शहर के कई जमीनों को लेकर इस तरह की शिकायतें आ रही हैं. पचास साल पुराने पार्किंग स्थल को भी 152 फीसदी की योजना में निजी व्यक्ति को दे दिया गया. जांच होगी दोषियों पर एक्शन लिया जाना चाहिए. :डॉ अजय तिर्की, महापौर, अंबिकापुर

लोगों को नहीं मिल पा रही सुविधाएं: सरकारी जमीन नहीं होने के चलते लोगों की सुविधाओं में इजाफा नहीं जा रहा है. आंगनबाड़ी भवन नहीं होने के कारण आंगनबाड़ी का संचालन किराए के कच्चे मकानों में किया जा रहा है. इसके बाद भी निगम आंगनबाड़ी के लिए जमीन नहीं खोज पा रही है. आरोप है कि योजना की आड़ में निगम की शासकीय जमीन निजी खातों में करके बड़ा खेल किया गया.

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सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कैसे हुई: कांग्रेस के शासन काल में 152 % में शासकीय भूमि की रजिस्ट्री किये जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. अम्बिकापुर नगर निगम क्षेत्र में इस योजना में बड़े भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद अब जांच शुरू हो गई है. नगर निगम की सामान्य सभा से कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पक्षों ने इसकी जांच कराने के लिए कलेक्टर को पत्र भेजने का प्रस्ताव पास कर दिया है.

सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कैसे हुई (ETV Bharat)

कलेक्टर को भेजा जाएगा प्रस्ताव: दरअसल, प्रदेश की पिछली भूपेश बघेल सरकार ने शासकीय भूमि पर काबिज लोगों को जमीन की वैल्यू का 152 % राशि जमा करने पर उस जमीन की रजिस्ट्री कब्जेधारी के नाम पर करने की योजना शुरु की थी. इस योजना में नगर निगम और राजस्व के अधिकारीयों की मिली भगत से बड़ा खेल हुआ. खाली पड़ी शासकीय जमीन पर लोगों का कब्जा दिखा कर रजिस्ट्री कर दी गई. लगातार विरोध के बाद भी किसी ने इस पर एक्शन नहीं लिया.

सरकार के पास नहीं है अब जमीन: अम्बिकापुर नगर निगम को सामुदायिक भवन, पीडीएस दुकान, आंगनबाड़ी भवन, पार्किंग एरिया जैसे सार्वजनिक उपयोग के निर्माण के लिए शासकीय जमीन ढूंढने से नही मिल रही है. जमीन की कमी के चलते शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है. सरकारी निर्माण कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं.

अम्बिकापुर में राजस्व विभाग के पटवारी और तहसीलदार ने निगम अमले के साथ मिलकर भ्रष्टाचार किया है. सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष ने कलेक्टर को प्रस्ताव भेजने पर सहमति जताई कि जितनी भी अनुमति 152 प्रतिशत के तहत दी गई है उसकी जांच गूगल मैप से हो और 30 अक्टूबर 2017 के पूर्व के जो लोग काबिज हैं वो पात्र हैं. खुली भूमि का पट्टा जारी हुआ है तो दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए. आवेदन करने वाले व्यक्ति की राशि भी राजसात की जाए. :आलोक दुबे, बीजेपी पार्षद

निगम क्षेत्र में शासकीय जमीन के नहीं होने के कारण कई सरकारी योजनाएं प्रभावित होती हैं. शहर के कई जमीनों को लेकर इस तरह की शिकायतें आ रही हैं. पचास साल पुराने पार्किंग स्थल को भी 152 फीसदी की योजना में निजी व्यक्ति को दे दिया गया. जांच होगी दोषियों पर एक्शन लिया जाना चाहिए. :डॉ अजय तिर्की, महापौर, अंबिकापुर

लोगों को नहीं मिल पा रही सुविधाएं: सरकारी जमीन नहीं होने के चलते लोगों की सुविधाओं में इजाफा नहीं जा रहा है. आंगनबाड़ी भवन नहीं होने के कारण आंगनबाड़ी का संचालन किराए के कच्चे मकानों में किया जा रहा है. इसके बाद भी निगम आंगनबाड़ी के लिए जमीन नहीं खोज पा रही है. आरोप है कि योजना की आड़ में निगम की शासकीय जमीन निजी खातों में करके बड़ा खेल किया गया.

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