अंबाला: हरियाणा के किसानों को अब गोभी की फसल में काफी नुकसान हो रहा है. इस कारण किसान काफी मायूस दिखाई दे रहे हैं. हालांकि एक महीने पहले जो गोभी 30 रुपए से 40 रुपए किलो के हिसाब से बिक रही थी. अब वो ही गोभी 20 से 25 रुपए पन्नी (थोक में पैकेट) बिक रही है, जिससे किसानों के लेबर का चार्ज भी पूरी नहीं हो पा रहा है. किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस पर सरकार को सोचना चाहिए. साथ ही किसानों को नुकसान के लिए भरपाई करनी चाहिए.
किसानों को नुकसान भरपाई को लेकर सलाह: वहीं, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर ने किसानों को नुकसान भरपाई को लेकर खास सलाह दिया है. उन्होंने कहा, "वो अपनी फसलों को "मेरी फसल, मेरा ब्यौरा" पर रजिस्ट्रेशन कराएं, ताकि भावांतर भरपाई योजना के तहत उनके नुकसान की भरपाई हो सके." हरियाणा में पिछले कुछ दिनों से गोभी के रेट में भारी गिरावट आई है, जिसके चलते किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
किसानों को हो रहा भारी नुकसान: बात अगर अंबाला की करें तो गोभी पिछले महीने से 30 से 40 रुपए किलो बिक रहा था. अब उसका रेट 20 रुपए से 25 रुपए पन्नी यानी एक रुपए तक हो गई है. गोभी का रेट कम होने से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. यहां तक कि किसानों को मजदूरों का पैसा भी नहीं निकल पा रहा है. ऐसे में किसान सरकार से अपील कर रहे है कि इन फसलों को MSP पर खरीदा जाए. या भावांतर भरपाई योजना के तहत इसकी भरपाई की जाए, ताकि किसानों को नुकसान न हो. यहां तक कि किसान गोभी की फसल को खेत में ही बहाने पर मजबूर हो रहे हैं. हालांकि पिछले साल के मुकाबले अबकी बार आलू और प्याज का रेट सही रहा, जिससे किसान काफी खुश हैं, हालांकि पिछले कुछ दिनों से आलू के रेट में भी भारी गिरावट आई है, जिसने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है.
क्या कहते हैं किसान: अंबाला के किसान राजिंदर ने कहा, "मैंने फूल गोभी और बंदगोभी लगा रखी है. काफी बुरा हाल है. मजदूरी का पैसा भी नहीं निकल पा रहा है." वहीं, किसान सचिन छाबड़ा ने कहा कि, "मैं आलू की खेती करता हूं. अबकी बार आलू का रेट अन्य सब्जियों के रेट से सही है. पहले के मुकाबले रेट बेहतर है.हमने नेचुरल तरीके से आलू की खेती है. इस बार हमें अच्छा मुनाफा हुआ है."
किसानों को एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर की सलाह: किसानों के फसल नुकसान को लेकर एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर जसविंदर सैनी ने कहा कि हरियाणा में लगभग 27 फसलें ऐसी है, जो भावांतर भरपाई के अंदर कवर होती है. किसानों को मेरी सलाह है कि "मेरी फसल, मेरा ब्यौरा" के तहत वो अपनी फसलों का रजिस्ट्रेशन जरूर कराएं. किसानों को अबकी बार आलू का और प्याज का अच्छा रेट मिला है. जैसा कि गोभी किसानों को नुकसान हो रहा है तो वो भावांतर भरपाई योजना के तहत भरपाई हो सकती है.
बता दें कि जहां एक ओर इस बार आलू के किसान खुश हैं. वहीं, दूसरी ओर गोभी के किसानों को परेशानी हो रही है. इन किसानों को कम कीमत में गोभी बेचना पड़ रहा है. वहीं,कृषि विभाग डिप्टी डायरेक्टर जसविंदर सैनी ने किसानों को अपनी फसलों का रजिस्ट्रेशन "मेरी फसल, मेरा ब्यौरा" पर कराने की सलाह दी है.
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