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बीजेपी नहीं क्यों कांग्रेस के लिए स्टेटस सिंबल बनेंगे दो उपचुनाव, जीते तो लोकसभा हार का बदला होगा पूरा - Congress Vs BJP In Amarwara

मध्य प्रदेश में अमरवाड़ा उपचुनाव को लेकर कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है. उपचुनाव में जीत हासिल कर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला लेना चाहेगी. हालांकि कमलनाथ के गढ़ में सेंध लग चुकी है, लेकिन कमलनाथ के लिए यह जमीन बचाने का चुनाव है. वहीं बीजेपी भी इस चुनाव को हलके में नहीं ले रही है.

CONGRESS VS BJP IN AMARWARA
जीत का चौथी बार रिकॉर्ड बनाने कांग्रेस ने की प्लानिंग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 23, 2024, 3:13 PM IST

Updated : Jun 23, 2024, 6:09 PM IST

भोपाल। विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर हुई करारी हार के बाद कांग्रेस ने अमरवाड़ा उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस सीट पर 10 जुलाई को वोट डाले जाने हैं. उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने प्रदेश के सभी बड़े नेताओं की फौज उतार दी है. यह चुनाव कांग्रेस के लिए अपने सबसे मजबूत गढ़ रहे छिंदवाड़ा में एक बार फिर ताकत दिखाने का मौका है. वहीं विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में हार का बदला लेने का भी मौका है. अमरवाड़ा उपचुनाव के अलावा कांग्रेस ने बुधनी सीट पर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. इस सीट पर भी जल्द ही उपचुनाव होने जा रहा है.

हार का बदला लेने मैदान में उतरी कांग्रेस

लोकसभा के चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा भी ढह गया. इस सीट पर कांग्रेस को 27 सालों बाद हार का सामना करना पड़ा. छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर कमलनाथ 9 बार सांसद रहे हैं. इस क्षेत्र में कमलनाथ का इतना प्रभाव रहा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की सभी 7 सीटों में से बीजेपी एक भी नहीं जीत पाई थी. हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान अमरवाड़ा सीट से कांग्रेस विधायक कमलेश प्रताप शाह ने बीजेपी का दामन थाम लिया, जहां अब उपचुनाव हो रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक अजय बोकिल कहते हैं कि 'यह उपचुनाव कांग्रेस के लिए ही नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भी सबसे बड़ी चुनौती है. वैसे तो वह अपना किला हार चुके हैं, लेकिन उनके लिए यह चुनाव जमीन बचाने का चुनाव है. कांग्रेस और कमलनाथ के लिए यह लोकसभा का हार का बदला लेने का भी एक मौका है.

कांग्रेस ने उतारी नेताओं की फौज

पिछले तीन विधानसभा चुनाव से इस सीट पर कांग्रेस के कमलेश शाह का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार उपचुनाव में तस्वीर अलग है. कमलेश शाह इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. उनके सामने कांग्रेस ने धीरन शाह इनवाती को मैदान में उतारा है. अमरवाड़ा सीट को बचाने के लिए कांग्रेस ने प्रदेश के तमाम नेताओं को चुनाव मैदान में उतार दिया है. हालांकि बीजेपी भी इस चुनाव को हलके में नहीं ले रही. इस सीट के लिए बीजेपी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के अलावा मध्यप्रदेश से जुड़े सभी केन्द्रीय मंत्रियों के अलावा महाराष्ट के डिप्टी सीएम फडणवीस, छत्तीसगढ़ के सीएम, असम के सीएम को भी प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है. बीजेपी छिंदवाड़ा लोकसभा के बाद इस क्षेत्र की विधानसभा सीट पर कब्जा करने की पूरी कोशिश कर रही है.

उधर अमरवाड़ा उपचुनाव के बाद बुधनी सीट पर भी उपचुनाव होना है. हालांकि इसके लिए अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है. यह सीट शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस्तीफा देने के बाद खाली हुई है. चुनाव के ऐलान के पहले ही कांग्रेस ने इस सीट की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह और शैलेन्द्र पटेल को सौंप दी है और इस सीट के लिए उम्मीदवार की खोज शुरू कर दी है. उधर बीजेपी इस सीट पर शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय को मैदान में उतार सकती है.

यहां पढ़ें...

अमरवाड़ा उपचुनाव में कांग्रेस ने उतारी स्टार प्रचारकों की फौज, मैदान में 35 के मुकाबले 40

अमरवाड़ा कांग्रेस प्रत्याशी धीरनशा इनवाती ने भरा पर्चा, जीतू पटवारी रहे मौजूद, त्रिकोणीय होगा मुकाबला

अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस का रहा है कब्जा

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 1967 में हुआ था. उस वक्त इस सीट को जनसंघ के एसजे ठाकुर ने चुनाव जीता था. लेकिन इसके बाद यह सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ बन गई. इस सीट पर अभी तक 13 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें से 9 बार यह सीट कांग्रेस की झोली में गई है. बीजेपी इस सीट पर 1990 और आखिरी बार 2008 में ही चुनाव जीत सकी. 2003 में इस सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने चुनाव जीता था।. इस सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तीसरी बड़ी ताकत बनकर उभरी है. इस बार भी इस सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारा है.

भोपाल। विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर हुई करारी हार के बाद कांग्रेस ने अमरवाड़ा उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस सीट पर 10 जुलाई को वोट डाले जाने हैं. उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने प्रदेश के सभी बड़े नेताओं की फौज उतार दी है. यह चुनाव कांग्रेस के लिए अपने सबसे मजबूत गढ़ रहे छिंदवाड़ा में एक बार फिर ताकत दिखाने का मौका है. वहीं विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में हार का बदला लेने का भी मौका है. अमरवाड़ा उपचुनाव के अलावा कांग्रेस ने बुधनी सीट पर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. इस सीट पर भी जल्द ही उपचुनाव होने जा रहा है.

हार का बदला लेने मैदान में उतरी कांग्रेस

लोकसभा के चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा भी ढह गया. इस सीट पर कांग्रेस को 27 सालों बाद हार का सामना करना पड़ा. छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर कमलनाथ 9 बार सांसद रहे हैं. इस क्षेत्र में कमलनाथ का इतना प्रभाव रहा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की सभी 7 सीटों में से बीजेपी एक भी नहीं जीत पाई थी. हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान अमरवाड़ा सीट से कांग्रेस विधायक कमलेश प्रताप शाह ने बीजेपी का दामन थाम लिया, जहां अब उपचुनाव हो रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक अजय बोकिल कहते हैं कि 'यह उपचुनाव कांग्रेस के लिए ही नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भी सबसे बड़ी चुनौती है. वैसे तो वह अपना किला हार चुके हैं, लेकिन उनके लिए यह चुनाव जमीन बचाने का चुनाव है. कांग्रेस और कमलनाथ के लिए यह लोकसभा का हार का बदला लेने का भी एक मौका है.

कांग्रेस ने उतारी नेताओं की फौज

पिछले तीन विधानसभा चुनाव से इस सीट पर कांग्रेस के कमलेश शाह का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार उपचुनाव में तस्वीर अलग है. कमलेश शाह इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. उनके सामने कांग्रेस ने धीरन शाह इनवाती को मैदान में उतारा है. अमरवाड़ा सीट को बचाने के लिए कांग्रेस ने प्रदेश के तमाम नेताओं को चुनाव मैदान में उतार दिया है. हालांकि बीजेपी भी इस चुनाव को हलके में नहीं ले रही. इस सीट के लिए बीजेपी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के अलावा मध्यप्रदेश से जुड़े सभी केन्द्रीय मंत्रियों के अलावा महाराष्ट के डिप्टी सीएम फडणवीस, छत्तीसगढ़ के सीएम, असम के सीएम को भी प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है. बीजेपी छिंदवाड़ा लोकसभा के बाद इस क्षेत्र की विधानसभा सीट पर कब्जा करने की पूरी कोशिश कर रही है.

उधर अमरवाड़ा उपचुनाव के बाद बुधनी सीट पर भी उपचुनाव होना है. हालांकि इसके लिए अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है. यह सीट शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस्तीफा देने के बाद खाली हुई है. चुनाव के ऐलान के पहले ही कांग्रेस ने इस सीट की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह और शैलेन्द्र पटेल को सौंप दी है और इस सीट के लिए उम्मीदवार की खोज शुरू कर दी है. उधर बीजेपी इस सीट पर शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय को मैदान में उतार सकती है.

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अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 1967 में हुआ था. उस वक्त इस सीट को जनसंघ के एसजे ठाकुर ने चुनाव जीता था. लेकिन इसके बाद यह सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ बन गई. इस सीट पर अभी तक 13 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें से 9 बार यह सीट कांग्रेस की झोली में गई है. बीजेपी इस सीट पर 1990 और आखिरी बार 2008 में ही चुनाव जीत सकी. 2003 में इस सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने चुनाव जीता था।. इस सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तीसरी बड़ी ताकत बनकर उभरी है. इस बार भी इस सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारा है.

Last Updated : Jun 23, 2024, 6:09 PM IST
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