अलवर : पहले महिलाएं घरों में रहकर चूल्हा चौका संभलने तक सीमित थी, लेकिन अब समय के साथ ही उनका दायरा भी बढ़ा है और आज वो खुद को सशक्त बना रही हैं. घर की चारदीवारी से बाहर निकाल कर पुरुषों के साथ कदम से कदम मिला रही हैं. खास बात यह है कि पहले जहां महिलाओं के घर से बाहर निकलने पर रोक-टोक थी तो वहीं, अब परिजन भी महिलाओं को पूरा सपोर्ट दे रहे हैं. यही वजह है कि आज महिलाएं खुद को स्थापित करने में सफल हुई हैं. बात अगर अलवर जिले की महिलाओं की करें तो वो आज राजीविका के साथ जुड़कर खुद को सशक्त बनाने के साथ ही अपने सपनों की उड़ान भी भर रही हैं. राजीविका के माध्यम से महिलाएं समूह बनाकर विभिन्न उत्पाद तैयार करती हैं, जिन्हें काफी पसंद किया जा रहा है.
राजीविका के माध्यम से सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिला उगांति मीणा ने बताया कि एक समूह में करीब 10 महिलाएं काम करती हैं. उन्होंने बताया कि वे एक साल से ज्यादा समय से इस समूह से जुड़ी हैं. सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर उनकी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आया है, जहां पहले वे अपने घर तक सीमित थीं, वहीं आज राजीविका के माध्यम से उन्हें एक रोजगार मिला है. इससे उन्हें अच्छी आय हो रही है और वो घर खर्च में भी पूरा सहयोग दे पा रही हैं. उगांति मीणा ने बताया कि उनके ग्रुप की महिलाएं हैंड मेड घर की सजावट के लिए बंदरवाल, चैन, इयरिंग्स, जुट व खादी के बैग सहित अन्य तरह के समान तैयार करती हैं. उनके द्वारा तैयार सामान लोगों को काफी पसंद आ रहा है और दिन-ब-दिन डिमांड बढ़ने से उन्हें अच्छी आय हो रही है.
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घर से पहली बार निकली बाहर तो मिली पहचान : नेहा सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिला कुमकुम ने बताया कि वे करीब तीन साल से इस ग्रुप से जुड़ी हैं. इससे उन्हें रोजगार के साथ ही खास पहचान मिली है. उन्होंने बताया कि आजकल लोग कम ऑयली चीजे खाना पसंद करते हैं तो उन्होंने रोस्टेड नमकीन, पापड़ बनाना शुरू किया. शुरुआत से ही उन्हें लोगों का अच्छा रिस्पांस मिला. कुमकुम ने बताया कि उनके ग्रुप से भी 10 महिलाएं जुड़ी हैं. सभी मिलकर इन आइटम को तैयार करते हैं.
एसएचजी के साथ महिलाओं को मिल रही सपनों की उड़ान : सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिला आरती ने बताया कि वो करीब सवा साल से सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी हैं. उन्होंने बताया कि सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ने के बाद सबसे बड़ा बदलाव उनकी जिंदगी में यह आया कि उनका कॉन्फिडेंस बढ़ा है. पहले भी अपनी बनाए उत्पादों को घर से ही बेचती थी, लेकिन अब उनके ग्रुप द्वारा स्टाल भी लगाई जाती है. साथ ही जिले में कई दुकानों से भी उत्पाद की डिमांड आती है. उन्होंने बताया कि वे सभी तरह के पापड़, शरबत सहित अन्य खाने की आइटम बनाते हैं. उन्होंने बताया कि जब से भी सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी है, तभी से उनके परिवार का भी पूरा सपोर्ट उन्हें मिला है. उनके पति व अन्य परिवार के लोग भी उन्हें इस कार्य में पूरी मदद करते हैं. उन्होंने महिलाओं से अपील की सेल्फ हेल्प ग्रुप एक माध्यम है, जिसके चलते महिलाएं घरों से निकलकर अपने सपनों की उड़ान भर सकती है.
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एसएचजी की महिलाओं को मिलता है लोन : एसएचजी ग्रुप से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि एसएचजी ग्रुप से जुड़ने के बाद उन्हें राजीविका के अधिकारियों की मदद से बैंक द्वारा ऋण भी आसानी से मिल जाता है. हालांकि गारंटी के तौर पर एसएचजी की महिलाओं द्वारा उसे नियत अवधि में चुकाना होता है. जो की महिलाएं अपनी आय से कुछ राशि निकालकर आसानी से चुका देती है.