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परिवार का इंतजार हुआ खत्म, अग्निवीर को सात माह के बाद मिला शहीद का दर्जा

7 माह पहले शहीद हुए अलवर के अग्निवीर को अब शहीद का दर्जा मिला है.

अग्निवीर को मिला शहीद का दर्जा
अग्निवीर को मिला शहीद का दर्जा (ETV Bharat Alwar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

अलवर : जिले के रैणी क्षेत्र के मोरोडकला गांव के निवासी जितेंद्र सिंह तंवर को देश के लिए कुर्बान होने के करीब 7 माह बाद शहीद का दर्जा प्राप्त हुआ. सेना की ओर से उनके परिवार को सोमवार को एक पत्र मिला, जिसमें जितेंद्र को शहीद का दर्जा देने की जानकारी मिली. जानकारी के अनुसार शहीद अग्निवीर जितेंद्र सिंह तंवर ने सेना में करीब 17 माह तक नौकरी की, इसके बाद सेना की ओर से जम्मू कश्मीर के पूंछ-राजौरी क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन के दौरान गोली लगने से जितेंद्र शहीद हो गए.

शहीद जितेंद्र के परिवार के सदस्य व पूर्व सैनिक बख्तावर सिंह ने बताया कि जितेंद्र को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए भूतपूर्व सैनिकों की टीम की ओर से कई प्रयास किए, करीब 7 माह के बाद यह मुकाम हासिल हुआ. उन्होंने बताया कि शहीद जितेंद्र के परिवार को केंद्र सरकार की ओर से एक करोड़ रुपए की राशि दी गई है. साथ ही पंजाब नेशनल बैंक की ओर से भी परिजनों को एक करोड़ की इंश्योरेंस राशि मिल गई है. परिवार राजस्थान के मुख्यमंत्री से भी मिल चुके हैं, जहां उनकी ओर से शहीद अग्निवीर सैनिक जितेंद्र सिंह तंवर की माता का सम्मान किया गया. साथ ही मुख्यमंत्री की ओर से आश्वासन भी दिया गया, जिसमें कागजी कार्रवाई के बाद राज्य सरकार की ओर से अग्निवीर शहीदों को मिलने वाला कारगिल पैकेज शहीद के परिवार को दिए जाने की बात कही.

परिवार का इंतजार हुआ खत्म (वीडियो ईटीवी भारत अलवर)

पढ़ें. भरतपुर में प्रशिक्षण के दौरान फटा फायर सिलेंडर, UP के अग्निवीर की मौत

जितेंद्र का सपना था देश सेवा करना : पूर्व सैनिक बख्तावर सिंह ने बताया कि जितेंद्र ने शुरुआत से ही देश की सेवा के लिए सेवा में जाने का सपना देखा था. इसके लिए वह दिन में मेहनत करने के साथ शाम व रात के समय सेना भर्ती की तैयारी भी जारी रखते थे. वहीं, दिसंबर 2022 में जितेंद्र सेना में भर्ती हुए थे. बेंगलुरु में एक साल ट्रेनिंग के बाद उन्हें पहली पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में 3 पैरा स्पेशल फोर्स में मिली. अपनी पहली पोस्टिंग के बाद वे काफी खुश थे. मई 2024 में राजौरी क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों से लोहा लेते हुए जितेंद्र शहीद हो गए थे. पूर्व सैनिक ने बताया कि शाहिद के सिर पर व कमर के बगल के हिस्से पर गोली लगी थी. इसके बाद राजकीय सम्मान के साथ उनके गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया.

गांव में सहयोग से बन रहा स्मारक : पूर्व सैनिक बख्तावर सिंह ने बताया कि जितेंद्र के जाने के बाद उनके घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी. अब जितेंद्र को शहीद का दर्जा मिलने के बाद परिवार व गांव वाले खुश हैं. गांव के लोगों व स्थानीय विधायक की मदद से गांव में शहीद जितेंद्र सिंह तंवर का स्मारक बनाया जा रहा है.

अलवर : जिले के रैणी क्षेत्र के मोरोडकला गांव के निवासी जितेंद्र सिंह तंवर को देश के लिए कुर्बान होने के करीब 7 माह बाद शहीद का दर्जा प्राप्त हुआ. सेना की ओर से उनके परिवार को सोमवार को एक पत्र मिला, जिसमें जितेंद्र को शहीद का दर्जा देने की जानकारी मिली. जानकारी के अनुसार शहीद अग्निवीर जितेंद्र सिंह तंवर ने सेना में करीब 17 माह तक नौकरी की, इसके बाद सेना की ओर से जम्मू कश्मीर के पूंछ-राजौरी क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन के दौरान गोली लगने से जितेंद्र शहीद हो गए.

शहीद जितेंद्र के परिवार के सदस्य व पूर्व सैनिक बख्तावर सिंह ने बताया कि जितेंद्र को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए भूतपूर्व सैनिकों की टीम की ओर से कई प्रयास किए, करीब 7 माह के बाद यह मुकाम हासिल हुआ. उन्होंने बताया कि शहीद जितेंद्र के परिवार को केंद्र सरकार की ओर से एक करोड़ रुपए की राशि दी गई है. साथ ही पंजाब नेशनल बैंक की ओर से भी परिजनों को एक करोड़ की इंश्योरेंस राशि मिल गई है. परिवार राजस्थान के मुख्यमंत्री से भी मिल चुके हैं, जहां उनकी ओर से शहीद अग्निवीर सैनिक जितेंद्र सिंह तंवर की माता का सम्मान किया गया. साथ ही मुख्यमंत्री की ओर से आश्वासन भी दिया गया, जिसमें कागजी कार्रवाई के बाद राज्य सरकार की ओर से अग्निवीर शहीदों को मिलने वाला कारगिल पैकेज शहीद के परिवार को दिए जाने की बात कही.

परिवार का इंतजार हुआ खत्म (वीडियो ईटीवी भारत अलवर)

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जितेंद्र का सपना था देश सेवा करना : पूर्व सैनिक बख्तावर सिंह ने बताया कि जितेंद्र ने शुरुआत से ही देश की सेवा के लिए सेवा में जाने का सपना देखा था. इसके लिए वह दिन में मेहनत करने के साथ शाम व रात के समय सेना भर्ती की तैयारी भी जारी रखते थे. वहीं, दिसंबर 2022 में जितेंद्र सेना में भर्ती हुए थे. बेंगलुरु में एक साल ट्रेनिंग के बाद उन्हें पहली पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में 3 पैरा स्पेशल फोर्स में मिली. अपनी पहली पोस्टिंग के बाद वे काफी खुश थे. मई 2024 में राजौरी क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों से लोहा लेते हुए जितेंद्र शहीद हो गए थे. पूर्व सैनिक ने बताया कि शाहिद के सिर पर व कमर के बगल के हिस्से पर गोली लगी थी. इसके बाद राजकीय सम्मान के साथ उनके गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया.

गांव में सहयोग से बन रहा स्मारक : पूर्व सैनिक बख्तावर सिंह ने बताया कि जितेंद्र के जाने के बाद उनके घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी. अब जितेंद्र को शहीद का दर्जा मिलने के बाद परिवार व गांव वाले खुश हैं. गांव के लोगों व स्थानीय विधायक की मदद से गांव में शहीद जितेंद्र सिंह तंवर का स्मारक बनाया जा रहा है.

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