अल्मोड़ा: सांस्कृतिक एवं धार्मिक नगरी अल्मोड़ा चारों ओर से मां दुर्गा के मंदिरों से घिरा है. जहा नवरात्रि में मां के दर्शन एवं पूजन के लिए भक्तों की भीड़ लगती है. इन्हीं में से एक मंदिर डोलीडाना है जो ‘मां जगदंबा सिद्ध पीठ’ के नाम से भी जाना जाता है.
डोगरा रेजीमेंट ने किया मंदिर का जीर्णोद्धार: अल्मोड़ा शहर से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर में लोगों की अपार आस्था है. घने जंगलों से घिरा यह मंदिर पहाड़ी के टॉप पर स्थित है. मंदिर सड़क से करीब आठ सौ मीटर की दूरी पर है. मंदिर तक पहुंचने के लिए जंगलों से होकर पहुंचा जाता है. यहां मंदिर के आसपास की पहाड़ियों में ट्रेकिंग के लिए भी साहसिक खिलाड़ी दूर दूर से पहुंचते हैं. डोलीडाना मंदिर का जीर्णोद्धार 1961 में डोगरा रेजीमेंट ने किया था. डोलीडाना मंदिर को ‘मां जगदंबा सिद्ध पीठ’ के नाम से भी जाना जाता है. यहां श्रद्धालु दूरदराज से मनोकामना लेकर पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं.
नवरात्रि में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़: जब लोगों की मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वह अपने कहे अनुसार माता को प्रसाद चढ़ाते हैं. मंदिर के पुजारी राम सिंह पंवार ने बताया कि घने जंगल के बीच स्थित शक्ति पीठ का मंदिर वर्षों पुराना है. जहां पर एक महंत पूर्णानंद महाराज रहते थे, बाद में इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1961 में तत्कालीन डोगरा रेजीमेंट की ओर से किया गया था. मान्यता है कि सच्चे मन से जो भी भक्त मनोकामना लेकर आता है, मां उसकी मनोकामना पूरी करती है. इसके लिए भक्त मंदिर में धागा बांधते हैं और मनोकामना पूरी होने पर प्रसाद लेकर उसे खोलने मंदिर में अवश्य आते हैं.
श्रद्धालुओं की हर मुराद होती है पूरी: श्रद्धालु उमा देवी ने बताया कि नवरात्रि में अष्टमी और नवमी में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. अष्टमी में माता को चने और हलुवा तथा नवमी को खिचड़ी का भोग लगता है. उन्होंने बताया कि उनकी मनोकामना यहां आने के बाद पूरी हुई है. माता के दर्शन करने पहुंचे भक्त विक्की बिनवाल ने बताया कि उन्होंने मंदिर के बारे में बहुत सुना था. वह पहली बार नवरात्र में माता के दर्शन करने को पहुंचे. उन्होंने कहा कि जंगलों के बीच में स्थित इस मंदिर में शांति की अनुभूति हुई है. कहा कि वह भी मनोकामना लेकर आये है और उन्हें पूरी आशा है कि उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी.
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