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यूपी पशुपालन विभाग में बछियों की वैक्सीन में हुआ फर्जीवाड़ा, कागजों पर लग गए चार गुना ज्यादा टीके - Calves Vaccination Scam in UP

पशुधन विभाग के निदेशक डॉ. पीएन सिंह ने कहा कि बछियों के जन्म का डाटा अपडेट न होने के कारण यह अंतर दिख रहा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 6, 2024, 4:35 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश का पशुपालन विभाग अपने काले कारनामों के लिए प्रसिद्ध है. भर्तियों के नाम पर हुए घोटाले के बाद अब बछियों के टीका लगाने में भी फर्जीवाड़े का आरोप लगा है. चार से छह माह की बछियों को ब्रूसिलोसिस नामक संक्रामक रोग से बचाव के लिए टीके लगाए जाते हैं. यह टीका मादा पशुओं को उनके जीवन काल में एक बार ही लगाया जाता है, लेकिन पशुपालन विभाग के जिम्मेदारों ने कागजों पर बछियों को चार गुना टीके लगा डाले.

इस मामले का खुलासा केंद्र सरकार के भारत पशुधन पोर्टल पर हुआ है. इसका खुलासा होते ही उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद ने पशुधन निदेशक (प्रशासन एवं विकास) समेत जनपदों में तैनात उपनिदेशकों और मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिया है और टीकों का हिसाब किताब मांगा है. ब्रूसिलोसिस रोग से मादा बच्चे चाहे फिर गाय के हो या भैंस के, उनके जन्म के बाद चार से छह माह की आयु में टीके लगाए जाते हैं.

भारत पशुधन पोर्टल पर प्रदेश में एक अप्रैल से 24 सितंबर के बीच पैदा होने वाली बछियों की संख्या 78,185 दर्शाई जा रही है, जबकि इनको लगाए गए ब्रूसिलोसिस के टीकों की संख्या 3,14,602 दर्ज की गई है. पशुधन विकास परिषद की तरफ से जनपदों में अधिकारियों को भेजी गई नोटिस में जिक्र किया गया है कि प्रदेश स्तर पर 75 फ़ीसदी का अंतर कैसे आया? इससे कुछ न कुछ गड़बड़ की आशंका जरूर जताई गई है. पोर्टल पर प्रदेश के कई ऐसे जनपद हैं जहां 100 से भी कम बछियों के पैदा होने के आंकड़े अपलोड हैं. इस पर चिंता भी जताई गई है.

क्या है ब्रूसिलोसिस संक्रामक रोग: ब्रूसिलोसिस संक्रामक रोग से ग्रसित पशुओं से मनुष्य में भी यह रोग फैल जाता है. यह संक्रमण सिर्फ मादा दुधारू पशुओं में होता है. पशुओं का कच्चा दूध पीने या अगर उसे घाव है उससे हो रहे स्राव के संपर्क में आने से यह रोग मनुष्यों को भी अपनी गिरफ्त में ले लेता है. संक्रमित पशुओं के गर्भपात के दौरान होने वाले स्राव के संपर्क में आने वाला व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है. संक्रमित मनुष्य से भी यह स्वस्थ मादा पशुओं को भी ट्रांसफर हो जाता है. इस रोग को नियंत्रित करने के लिए ही जन्म के चार से छह माह के बीच टीका लगाया जाता है. यह टीका सिर्फ एक बार ही लगता है.

क्या कह रहे हैं अधिकारी: उत्तर प्रदेश पशुधन विभाग के निदेशक डॉ. पीएन सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से टीकाकरण का टारगेट तय किया जाता है, उसके मुताबिक टीकाकरण अभियान चलाया जाता है. भारत पशुधन पोर्टल पर बछियों के जन्म का डाटा अपडेट न होने के कारण यह अंतर प्रदर्शित हो रहा है. जल्द ही पूरा डाटा अपडेट कर दिया जाएगा. उम्मीद है कि इस तरह का जो अंतर है, वह खत्म हो जाएगा.

ये भी पढ़ें- BHU को मिलेंगे 18 नए साइंटिस्ट; हाई लेवल रिसर्च पर होगा काम, टॉप रैंकिंग पीएचडी होल्डर्स को मौका - BHU will get 18 Scientists

लखनऊ: उत्तर प्रदेश का पशुपालन विभाग अपने काले कारनामों के लिए प्रसिद्ध है. भर्तियों के नाम पर हुए घोटाले के बाद अब बछियों के टीका लगाने में भी फर्जीवाड़े का आरोप लगा है. चार से छह माह की बछियों को ब्रूसिलोसिस नामक संक्रामक रोग से बचाव के लिए टीके लगाए जाते हैं. यह टीका मादा पशुओं को उनके जीवन काल में एक बार ही लगाया जाता है, लेकिन पशुपालन विभाग के जिम्मेदारों ने कागजों पर बछियों को चार गुना टीके लगा डाले.

इस मामले का खुलासा केंद्र सरकार के भारत पशुधन पोर्टल पर हुआ है. इसका खुलासा होते ही उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद ने पशुधन निदेशक (प्रशासन एवं विकास) समेत जनपदों में तैनात उपनिदेशकों और मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिया है और टीकों का हिसाब किताब मांगा है. ब्रूसिलोसिस रोग से मादा बच्चे चाहे फिर गाय के हो या भैंस के, उनके जन्म के बाद चार से छह माह की आयु में टीके लगाए जाते हैं.

भारत पशुधन पोर्टल पर प्रदेश में एक अप्रैल से 24 सितंबर के बीच पैदा होने वाली बछियों की संख्या 78,185 दर्शाई जा रही है, जबकि इनको लगाए गए ब्रूसिलोसिस के टीकों की संख्या 3,14,602 दर्ज की गई है. पशुधन विकास परिषद की तरफ से जनपदों में अधिकारियों को भेजी गई नोटिस में जिक्र किया गया है कि प्रदेश स्तर पर 75 फ़ीसदी का अंतर कैसे आया? इससे कुछ न कुछ गड़बड़ की आशंका जरूर जताई गई है. पोर्टल पर प्रदेश के कई ऐसे जनपद हैं जहां 100 से भी कम बछियों के पैदा होने के आंकड़े अपलोड हैं. इस पर चिंता भी जताई गई है.

क्या है ब्रूसिलोसिस संक्रामक रोग: ब्रूसिलोसिस संक्रामक रोग से ग्रसित पशुओं से मनुष्य में भी यह रोग फैल जाता है. यह संक्रमण सिर्फ मादा दुधारू पशुओं में होता है. पशुओं का कच्चा दूध पीने या अगर उसे घाव है उससे हो रहे स्राव के संपर्क में आने से यह रोग मनुष्यों को भी अपनी गिरफ्त में ले लेता है. संक्रमित पशुओं के गर्भपात के दौरान होने वाले स्राव के संपर्क में आने वाला व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है. संक्रमित मनुष्य से भी यह स्वस्थ मादा पशुओं को भी ट्रांसफर हो जाता है. इस रोग को नियंत्रित करने के लिए ही जन्म के चार से छह माह के बीच टीका लगाया जाता है. यह टीका सिर्फ एक बार ही लगता है.

क्या कह रहे हैं अधिकारी: उत्तर प्रदेश पशुधन विभाग के निदेशक डॉ. पीएन सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से टीकाकरण का टारगेट तय किया जाता है, उसके मुताबिक टीकाकरण अभियान चलाया जाता है. भारत पशुधन पोर्टल पर बछियों के जन्म का डाटा अपडेट न होने के कारण यह अंतर प्रदर्शित हो रहा है. जल्द ही पूरा डाटा अपडेट कर दिया जाएगा. उम्मीद है कि इस तरह का जो अंतर है, वह खत्म हो जाएगा.

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